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गूगल और याहू में भी सेंध

३१ अक्टूबर २०१३

अमेरिकी खुफिया एजेंसी एनएसए ने हर महीने गूगल और याहू जैसी बड़ी कंपनियों के करोड़ों डाटा भी कॉपी किए. उसने पता लगाया कि दुनिया भर में किसने किसे ईमेल भेजा, उसमें क्या था. इस काम में ब्रिटिश खुफिया एजेंसी भी जोड़ीदार बनी.

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तस्वीर: imago

34 देशों के शीर्ष नेताओं की जासूसी के आरोपों के बाद अब अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया एजेंसी (एनएसए) पर अंतरराष्ट्रीय इंटरनेट कंपनियों के डाटा की हैकिंग के आरोप लग रहे है. अब 'द पोस्ट' अखबार ने कहा है कि एनएसए ने हर दिन याहू और गूगल के इंटरनल नेटवर्क से करोड़ों आंकड़े जुटाए. इंटरनेट कंपनियां दुनिया भर में लगाए गए अपने सवर्रों के बीच डाटा ट्रांसफर करती हैं. एनएसए ने इसे हैक किया.

गूगल और याहू का डाटा हैक करने के प्रोजेक्ट को एनएसए ने 'मस्क्यूलर' नाम दिया. इस काम में ब्रिटेन की खुफिया एजेंसी जीसीएचक्यू ने भी मदद की. अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक एनएसए और जीसीएचक्यू ने याहू और गूगल की फाइबर लाइन से ट्रांसफर होने वाला डाटा को कॉपी किया. लीक दस्तावेजों के मुताबिक जनवरी 2013 से पहले एक बार एक महीने में एनएसए ने 18 करोड़ जानकारियां जुटाई. इनमें मेटाडाटा भी था. मेटाडाटा के जरिए पता चलता है कि किसने ईमेल भेजा, किसे भेजा और ईमेल में क्या क्या था.

गूगल और याहू में सेंध लगाने की रिपोर्ट आने के बाद दुनिया की सबसे बड़ी इंटरनेट सेवा कंपनी गूगल ने कड़ी नाराजगी जताई है. गूगल एनएसए के खिलाफ फेडरल वायरटेप लॉ के उल्लंघन का मुकदमा ठोंकने पर विचार कर रही है. गूगल के मुख्य कानूनी अधिकारी डेविड ड्रममोंड कहते हैं, "जिस तरह सरकार हमारे निजी फाइबर नेटवर्क से डाटा को पकड़ने के लिए बहुत ही आगे बढ़ी, इससे हम बहुत ही नाराज हैं. इससे पता चलता है तुरंत सुधारों की जरूरत है."

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अमेरिका पर भड़का जर्मनीतस्वीर: SAUL LOEB/AFP/Getty Images

इलेक्ट्रॉनिक प्राइवेसी इनफॉर्मेशन सेंटर के निदेशक मार्क रोटेनबर्ग कहते हैं, "इस बात को साबित करने के लिए अच्छे तर्क हैं कि एनएसए ने गैरकानूनी ढंग से निगरानी की." गूगल और याहू के डाटा पर नजर रखने के लिए एनएसए एक और कार्यक्रम चला रही थी. इसे 'प्रिज्म' कहा जाता था. इसके तहत कुछ खास डाटा जमा करने के लिए एजेंसी ने अदालत की मंजूरी ली थी.

वहीं एनएसए के प्रमुख जनरल कीथ एलेक्जेंडर इन खबरों का खंडन कर रहे हैं. बुधवार को अमेरिकी संसद की खुफिया समिति के सामने पेशी के दौरान उन्होंने यूरोपीय नेताओं की जासूसी से इनकार किया. पेशी के बाद बुधवार शाम जब एलेक्जेंडर से जब यह पूछा गया कि क्या उन्होंने गूगल और याहू के डाटा पर सेंध लगाई तो उनका जवाब था, "मेरी जानकारी में ऐसा कुछ नहीं है. हमें अमेरिकी कंपनी के सर्वर में जाकर डाटा लेने की इजाजत नहीं है. ऐसा करने के लिए हमें अदालत की अनुमति लेनी होती है."

एनएसए से जुड़े ये दस्तावेज एडवर्ड स्नोडन जारी किए हैं. स्नोडन एनएसए के पूर्व कॉन्ट्रैक्टर रह चुके हैं. खुलासों के बाद उन्हें अमेरिका में मोस्ट वांटेड अपराधी करार दिया गया है. स्नोडन अमेरिका से भाग कर रूस की शरण में हैं और लगातार एनएसए से जुड़ी जानकारी सार्वजनिक कर रहे हैं. दुनिया भर के प्रमुख अखबार इन रिपोर्टों को छाप रहे हैं. जर्मनी में डेय श्पीगल पत्रिका और ब्रिटेन में द गार्डियन लगातार इससे जुड़ी खबरें छाप रहे हैं.

जर्मनी में जहां चासंलर अंगेला मैर्केल की जासूसी करने पर हंगामा हो रहा है वहीं ब्रिटेन में सरकार मामले को दबाने में जुटी है. बुधवार को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने ब्रिटिश अखबार द गार्डियन से जासूसी कांड से जुड़े खुलासों को न छापने को कहा था. कैमरन ने अखबार से चेतावनी भरे अंदाज में कहा कि उसे अच्छे और बुरे का अंतर करना चाहिए. कैमरन के बयान के बाद ही ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि एनएसए की जासूसी में कहीं न कहीं ब्रिटेन भी शामिल है.

गूगल और याहू के डाटा पर नजर रखने के ये आरोप ऐसे वक्त में सामने आए हैं जब अमेरिकी संसद एनएसए के कामकाज की समीक्षा कर रही है. जासूसी एजेंसी पर जर्मनी, मेक्सिको और ब्राजील के शीर्ष नेताओं की जासूसी के अलावा स्पेन, इंडोनेशिया और फ्रांस के करोड़ों नागरिकों की निगरानी के आरोप हैं.

जर्मन खुफिया विभाग के अधिकारी इस वक्त वॉशिंगटन में हैं. यूरोपीय संघ के अधिकारियों के साथ मिलकर वो ओबामा प्रशासन पर ऐसी गतिविधियां बंद करने के लिए दबाव बना रहे हैं.

ओएसजे/एमजे (एपी)

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