चुनौतीपूर्ण भूमिकाएं तलाशते हैं अनिल कपूर
२ नवम्बर २०१३डीडब्ल्यूः लंबे अरसे तक फिल्मों में अभिनय के बाद छोटे परदे पर काम करने का ख्याल कैसे आया?
अनिल कपूरः मुझे पहले भी कुछ रियलिटी शो में जज बनने के प्रस्ताव मिले थे, लेकिन जमे नहीं. अपने पूरे करियर में मुझे हमेशा ऐसी भूमिकाओं की तलाश रही है जो अभिनय के लिहाज से चुनौतीपूर्ण हों. इसके अलावा मैं कभी खतरा मोल लेने से नहीं घबराता. कई बार नाकामी भी हाथ लगी है, लेकिन मैंने नाकामियों से हिम्मत हारने की बजाय उन्हें दूर करने के लिए और ज्यादा मेहनत करने की प्रेरणा ली है.
इस शो को भारत में लाने का फैसला क्यों किया?
इसके अंतरराष्ट्रीय संस्करण में काम करते वक्त लगा कि यह शो भारतीय दर्शकों के लिए प्रासंगिक हो सकता है. मुझे लगा कि छोटे परदे पर जो खालीपन है वह 24 से भर सकता है.
इसे बनाने में कैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ा?
सबसे बड़ी चुनौती इसे मूल शो के अनुरूप सौंदर्य शास्त्र से भरपूर और उसी पैमाने पर बनाने की थी. इसके अलावा सभी किरदारों से उसी स्तर का अभिनय कराना भी बेहद चुनौतीपूर्ण था. अमेरिका में इस शो के एक-एक एपीसोड पर चार से छह अरब डालर खर्च होता था. हम इतनी बड़ी रकम नहीं खर्च कर सकते थे. कम पैसों व समय में इस शो को उसी स्तर पर असरदार बनाने के लिए हमने कड़ी मेहनत की.
इस शो की सबसे बड़ी कामयाबी क्या है?
इस शो ने युवा तबके को टीवी का दर्शक बनाया है. घर की महिलाएं और बच्चे भी काफी दिलचस्पी से 24 देख रहे हैं. युवा वर्ग को छोटे परदे की ओर आकर्षित करना ही मेरी राय में इस शो की सबसे बड़ी कामयाबी है.
अपने लंबे करियर में आपको कई उतार-चढ़ावों से भी जूझना पड़ा होगा. सबसे बुरा दौर किसे मानते हैं?
मैं रूप की रानी चोरों का राजा की नाकामी को सबसे बुरा समय मानता हूं. हमने काफी अच्छी व भव्य फिल्म बनाई थी और उस पर काफी पैसे खर्च किए थे, लेकिन वह फिल्म औंधे मुंह गिरी थी. इससे हमारे पूरे परिवार को करारा झटका लगा था, लेकिन मैंने उससे सबक लेते हुए उन गलतियों को जीवन में कभी नहीं दोहराने का संकल्प किया.
आपने अपने जीवन व करियर पर एक किताब लिखने की भी बात कही थी ?
हां, जीवनी पर काम चल रहा है. यह सीरियल (24) पूरा होने के बाद उसका काम आगे बढ़ेगा. अब तक उसका कुछ हिस्सा ही लिखा गया है.
भावी योजनाएं क्या है? क्या मिस्टर इंडिया के सीक्वल में भी काम करेंगे?
शर्मा जी का एटम बम और राजकुमार संतोषी की एक फिल्म के अलावा वेलकम के सीक्वल पर काम चल रहा है. यह फिल्में एक कलाकार के लिए काफी चुनौतीपूर्ण हैं. अब कई नए निर्देशक नए-नए आइडिया के साथ मेरे पास आ रहे हैं. जहां तक मि. इंडिया के सीक्वल का सवाल है वह मेरे बिना कैसे बन सकता है. उस पर जल्दी ही काम शुरू होगा.
रिपोर्ट: प्रभाकर, कोलकाता
संपादन: निखिल रंजन