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सेना के लिए लाल निशान फजलुल्लाह

८ नवम्बर २०१३

पाकिस्तानी तालिबान के नए प्रमुख ने शांति वार्ता की उम्मीदों पर तो विराम लगाया ही है, नए सिरे से हमलों को तेज करने की भी बात कही है. ऐसे में पाकिस्तानी सेना एक बार फिर आक्रामक अभियान शुरू कर सकती है.

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तस्वीर: Thir Khan/AFP/Getty Images

पाकिस्तान के उत्तर पश्चिमी स्वात घाटी में तालिबान अपनी क्रूरता के लिए कुख्यात है और जिसके नेतृत्व में वहां दो साल तक सब कुछ हुआ अब वही तालिबान का मुखिया है. एक रक्षा विश्लेषक का कहना है कि मौलाना फजलुल्लाह का तालिबान प्रमुख बनना सेना के लिए किसी "सांड को लाल कपड़ा दिखाने" जैसा है. यह नियुक्ति अफगानिस्तान के साथ भी तनाव बढ़ा सकती है जो 12 साल की जंग के बाद अमेरिकी फौजों की वापसी के साथ नई चुनौतियों के दरवाजे पर खड़ा है.

अफगानिस्तान लंबे समय से पाकिस्तान पर अफगान तालिबान को समर्थन देने का आरोप लगाता रहा है. हालांकि फजलुल्लाह ने पूर्वी अफगानिस्तान के अपने अड्डे से पाकिस्तान में कई हमलों की इबारत लिखी है. पाकिस्तान को शक है कि पड़ोसी देश की खुफिया एजेंसी फजलुल्लाह को समर्थन देती है.

तहरीके तालिबान पाकिस्तान के प्रमुख हकीमुल्लाह महसूद के ड्रोन हमले में मारे जाने के बाद फजलुल्लाह को नया प्रमुख चुना गया है. पाकिस्तान ने हकीमुल्लाह महसूद को मारे जाने पर कड़ी प्रतिक्रिया जताई. पाकिस्तानी गृह मंत्रालय ने यहां तक कह दिया कि अमेरिका ने "शांति वार्ता" को तहस नहस कर दिया. अभी यह साफ नहीं है कि बातचीत की दिशा में क्या प्रगति हुई थी लेकिन माना जा रहा है कि फजलुल्लाह के प्रमुख बनने के कारण प्रक्रिया रुक गई.

गुरुवार को तालिबान लड़ाकों ने सरकार के साथ बातचीत को "वक्त की बर्बादी" कह कर खारिज कर दिया. उनका कहना है कि जब तक शरीया कानून को पूरे देश में लागू नहीं किया जाता वो सरकार के साथ बातचीत नहीं करेंगे.

सेना के पूर्व जनरल और रक्षा विश्लेषक तलत मसूद का कहना है कि "सेना के खिलाफ घातक हमले कराने वाले फजलुल्लाह को चुनना सांड को लाल कपड़ा दिखाने जैसा" है. मसूद ने समाचार एजेंसी एएफपी से कहा, "इससे बातचीत की गुंजाइश नहीं बची और अब देश में आतंकवादी हरकतों को रोकने के लिए सैन्य कार्रवाइयों पर वापस लौटना होगा. वह सेना का सबसे बड़ा दुश्मन है."

सितंबर में राजनीतिक दलों ने सरकार की तालिबान के साथ बातचीत के सरकार के प्रस्ताव को समर्थन दिया, जिससे कि छह साल से चली आ रही जंग को खत्म किया जा सके. फजलुल्लाह के लड़ाकों ने इसका जवाब एक मेजर जनरल समेत सेना के दो वरिष्ठ अधिकारियों की सड़क किनारे बम हमले में हत्या से दिया. सेना के जख्म पर नमक छिड़कने के लिए फजलुल्लाह ने एक वीडियो संदेश जारी कर हमले की जिम्मेदारी ली और कहा कि उनका असल निशाना तो सेना प्रमुख जनरल अशफाक कियानी थे.

2009 में सेना के एक बड़े अभियान ने स्वात घाटी में फजलुल्लाह का शासन उखाड़ फेंका. इसी साल सेना की एक और कार्रवाई ने दक्षिणी वजीरिस्तान में उग्रवादियों के एक और गढ़ को ध्वस्त किया गया. यह अफगान सीमा पर मौजूद उन सात कबायली इलाकों में एक था जिन्हें तालिबान और अल कायदा के लड़ाकों की पनाहगाह कहा जाता है.

अमेरिका ने उत्तरी वजीरिस्तान में भी इसी तरह की कार्रवाई के लिए दबाव बना रखा है जहां वह ड्रोन हमले के जरिए आतंकवादियों को निशाना बना रहा है. हालांकि अमेरिकी दबाव के बावजूद सेना ने अब तक इस तरफ पांव नहीं बढ़ाए हैं. सूत्रों का कहना है कि बातचीत आगे नहीं बढ़ने की सूरत में सेना के लिए कार्रवाई "जरूरी हो जाएगा". सरकार, सेना और अफगान मध्यस्थों के बीच पहले हुई सभी चर्चाओं में फजलुल्लाह की अफगानिस्तान में मौजूदगी और पाकिस्तान के खिलाफ उसकी कार्रवाइयों पर चर्चा होती रही है.

पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल अशफाक कियानी इसी महीने 29 तारीख को रिटायर हो रहे हैं और उनकी जगह कौन लेगा इसकी घोषणा अभी नहीं हुई है. रक्षा अधिकारियों का मानना है कि फजलुल्लाह की नियुक्ति का इस फैसले पर असर हो सकता है.

एनआर/एजेए (एएफपी)