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नाजी अत्याचार के 75 साल

९ नवम्बर २०१३

उस रात यहूदियों की दुकानों में आग लगा दी गई. उनके धार्मिक स्थलों को जलाया जाने लगा. जर्मनी की कट्टरपंथी सरकार के इशारे पर यहूदियों को पकड़ा जाने लगा. बात नौ नवंबर, 1938 की है.

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तस्वीर: Getty Images

इसी दिन यहूदियों के खिलाफ अत्याचार की शुरुआत हुई, जिसने धीरे धीरे ऐसा रूप ले लिया कि जर्मनी उनके लिए जहन्नुम बन गया. सिर्फ एक रात में 90 यहूदियों को मार दिया गया और 30,000 को यातना शिविरों में पहुंचा दिया गया. उस दिन को क्रिस्टलनाख्ट या "शीशा टूटने वाली रात" के नाम से जाना जाता है.

जर्मनी अपने इतिहास और अतीत से कभी नहीं भागता. वह इन बातों को मानता है कि उस पर शासन करने वालों ने गलतियां और अत्याचार किए हैं. यहां के बच्चों को सिखाया जाता है कि नाजी अत्याचार उनके इतिहास पर लगा ऐसा कलंक है, जिसे कभी धोया नहीं जा सकता. क्रिस्टलनाख्ट को भी याद किया जाता है. इस दिन सभाएं होती हैं और मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है.

करीब पांच साल पहले जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने इस मौके पर बेहद भावनात्मक बात कही, "हमें पता है कि इस दिन अपमानजनक बातें शुरू हुईं, जिसके बाद होलोकॉस्ट की भी शुरुआत हुई. बहुत से जर्मन नौ नवंबर, 1938 को खामोश रहे. लेकिन उस वक्त भी ऐसे लोग थे, जिन्होंने तभी कहा था कि भविष्य में यहूदियों का अंजाम कितना बुरा हो सकता है."

Novemberpogrome 1938 Artikel New York Times
1938 में छपी न्यू यॉर्क टाइम्स की एक कॉपीतस्वीर: Entschädigungsbehörde Berlin

क्या है क्रिस्टलनाख्ट

जर्मनी का निरंकुश तानाशाहर एडोल्फ हिटलर जब 1930 के दशक में यहूदियों के खिलाफ बर्बर हो उठा, तो इसके विरोध में 17 साल के एक युवा यहूदी छात्र हेर्शेल ग्रिन्सपान ने सात नवंबर, 1938 को पेरिस में जर्मन राजनयिक एर्न्सट फॉम राथ की हत्या कर दी. जर्मन दूतावास में हुई यह घटना जर्मनी में यहूदियों के खिलाफ भावनाएं भड़काने के लिए काफी साबित हुईं, जिसके बाद नौ नवंबर को हाहाकार मच गया.

हालांकि इस घटना के 75 साल बाद नए तथ्य सामने आ रहे हैं. बर्लिन के एक लेखक ने दावा किया है कि ग्रिन्सपान ने जो गोलियां चलाई थीं, वह हत्या के लिए नहीं, बल्कि जर्मन राजनयिक को घायल करने के लिए थीं और नाजी हुक्मरानों ने उन्हें मरने छोड़ दिया, "ताकि वे शहीद हो जाएं और यहूदियों के खिलाफ भावनाएं भड़काई जा सकें." ग्रिन्सपान जब 15 साल का था, तो उसके घर वालों ने यहूदियों के खिलाफ अत्याचार से घबरा कर उसे फ्रांस भगा दिया. बाद में उसके घर वालों को 17000 दूसरे यहूदियों के साथ जर्मनी पोलैंड की सीमा पर ऐसी जगह भेज दिया गया, जहां कोई नहीं रहता था. अपने परिवार के बारे में पता चलने के बाद ग्रिन्सपान ने फॉम राथ पर गोलियां चलाईं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक ग्रिन्सपान 1942 तक साक्सेनहाउसेन यातना शिविर में था.

जर्मनी ऑस्ट्रिया में कार्यक्रम

जर्मनी और ऑस्ट्रिया में क्रिस्टलनाख्ट के लिए तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. पिछले हफ्ते जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने इसे "जर्मन इतिहास के सबसे काले अध्यायों में" गिना. शुक्रवार को जर्मन राष्ट्रपति योआखिम गाउक बर्लिन में उस जगह का दौरा करेंगे, जो द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान नेत्रहीन और बधिर यहूदियों की कार्यशाला थी. जर्मन राजधानी में 100 दुकानदार अपनी खिड़कियों पर टूटे ग्लास का प्रतीक चिह्न लगाएंगे. रविवार को यूरोपीय रब्बियों का दल बर्लिन में होलोकॉस्ट के खिलाफ एक सम्मेलन करेगा. ऑस्ट्रिया के राष्ट्रपति हाइन्ज फिशर रविवार को ही एक भाषण देंगे, जिसका आयोजन यहूदी समुदाय कर रहा है.

एजेए/एनआर (एएफपी, डीपीए)

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