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आवारा कुत्ते ने रिकॉर्ड बनाया

१३ नवम्बर २०१३

भारत में कचरे के ढेर से बचाया गया एक पिल्ला एवरेस्ट बेस कैंप तक पहुंचा. माना जा रहा है कि इतनी ऊंचाई तक ट्रैकिंग करने वाला यह पहला कुत्ता है.

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तस्वीर: picture alliance/dpa

दक्षिण अफ्रीका की पूर्वी गोल्फ खिलाड़ी जोआने लेफसन भारत यात्रा के दौरान लेह में थी. तभी उन्होंने कूड़ेदान में एक कुत्ते को देखा. उसकी हालत बुरी थी. दाहिने कान का हिस्सा कटा हुआ था. लेफसन को दिल पसीज गया. उन्होंने 11 महीने के उस कुत्ते को गोद ले लिया और नाम दिया रुपी.

धीरे धीरे रुपी का इलाज हुआ और वो तंदुरुस्त हो गया. इसी दौरान लेफसन ने तय कर लिया था कि वह उसे अपने साथ 5,364 मीटर की ऊंचाई पर बेस कैंप में ले जाएंगी. कुत्ता पहाड़ी था लिहाजा यह तय था कि उसे उस ऊंचाई पर जाने में ज्यादा परेशानी नहीं होगी.

दोनों ने 14 अक्टूबर से हिमालय के लुकला शहर से अपनी यात्रा शुरू की. उनका अभियान है बेघर कुत्तों के बारे में लोगों को जागरूक करना और उन्हें गोद लेने के चलन को बढ़ावा देना है.

13 दिन बाद रिकॉर्ड चढ़ाई के बारे में बताते हुए उन्होंने फेसबुक पर लिखा कि यह कुत्तों के लिए एक बड़ा कदम है. लेफसन ने कहा, "मुझे रुपी पर गर्व है. मुझे लगा था कि कुछ दिन बाद मुझे उसे उठा कर चलना पड़ेगा. लेकिन वह आगे चलता रहा और मुझे भी खींचता रहा. मुझे उम्मीद है कि इस उपलब्धि से लोग जानवरों के प्रति और दयालु होंगे खासकर आवारा कुत्तों के प्रति. हमें यह समझना होगा कि हर जिंदगी महत्वपूर्ण है."

रुपी और लेफसन जर्जर पुलों, गीले पहाड़ी रास्तों और भूस्खलन के खतरों को पार करते हुए इस ऊंचाई तक पहुंचे. ऊंचाई पर चढ़ने में उसे कोई दिक्कत नहीं हुई. लेफसन ने बताया, "उसे बर्फ में खूब मजा आया. उसने बर्फ खायी और फिर खूब खेला भी. अगर मैं उसे वहां सोने देती तो शायद वह बर्फ में सो भी जाता."

फेसबुक पर पोस्ट किए गए फोटो में देखा जा सकता है कि पिल्ला नेपाल को काफी पसंद कर रहा है. नामचे बाजार में बच्चों के साथ खेल रहा है. अब रुपी लेफसन के साथ दक्षिण अफ्रीका पहुंच गया है और नई ही दुनिया में आराम फरमा रहा है.

लेफसन आने वाले कुछ दिनों में अपने पहले कुत्ते ऑस्कर पर लिखी एक किताब पेश करने जा रही हैं. ऑस्कर उनके साथ पूरी दुनिया में घूमा था. भारत में हालांकि कुत्ते पाले जाते हैं लेकिन अक्सर कुछ ही नस्लों को तरजीह दी जाती है. आवारा कुत्तों पर कोई ध्यान नहीं देता. स्कूलों और घर में जानवरों के साथ दया और प्रेम से पेश आने के बारे में कोई खास सीख नहीं दी जाती.

एएम/ओएसजे (एएफपी)

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