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26/11 के पांच साल बाद

२५ नवम्बर २०१३

भारत पर हुए सबसे खतरनाक आतंकवादी हमलों के 5 साल पूरे होने को आए. हड्डियां जमा देने वाली हमलों की यादें धुंधली पड़ती जा रही हैं. जिंदा पकड़े गए एकमात्र हमलावर को फांसी दे दी गई है. लेकिन केस का इंसाफ अभी तक नहीं हो पाया

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पांचसितारा होटलों पर 10 बंदूकधारियों का हमला और टेलीविजन पर इसका सीधा प्रसारण. भारत का सबसे जवान शहर मुंबई अचानक डर और सदमे में डूब गया. 26 नवंबर, 2008 की रात गोलियां बरसने लगीं और देखते ही देखते लाशों के ढेर लग गए. बड़े पुलिस अधिकारी मारे गए और सिर्फ एक हमलावर आमिर अजमल कसाब जिंदा पकड़ा जा सका.

लगभग 60 घंटे के खूनी तांडव के बाद जब हिंसा रुकी, तो नौ हमलावरों सहित कम से कम 174 लोग मारे जा चुके थे. भारत ने हमले के दिन ही पाकिस्तान पर आरोप लगा दिया और इसके लिए सबूत भी जुटाने लगा. बाद में हालांकि इस बात की पुष्टि हो गई कि पकड़ा गया इकलौता आतंकवादी कसाब पाकिस्तान का नागरिक था.

भारत ने जल्द ही अपनी तरफ से सबूत जुटा लिए और पाकिस्तान के हवाले कर दिए. उसका दावा है कि लश्कर ए तैयबा ने इस हमले की साजिश रची और उसे परमाणु संपन्न राष्ट्र पाकिस्तान के खुफिया विभाग आईएसआई का पूरा साथ मिला. हालांकि पाकिस्तान सरकार इस बात से इनकार करती आई है. अंतरराष्ट्रीय दबाव के बाद पाकिस्तान ने इस मामले की जांच का फैसला किया लेकिन अभी अदालती रस्में पूरी नहीं हो पाई हैं.

हेडली की साजिश

इधर, भारत में कसाब के खिलाफ मुकदमा चला और तेजी से हुई कार्यवाही में उसे हर स्तर पर मौत की सजा मिलती चली गई. इसी बीच 2010 में अमेरिका में डेविड हेडली नाम के शख्स का भंडाफोड़ हुआ, जिस पर मुंबई हमलों की साजिश गढ़ने और इसमें सहयोग देने का आरोप लगा. अमेरिका छोड़ कर भागते वक्त उसे पकड़ लिया गया और मुकदमा चला. मौत की सजा न दिए जाने की शर्त पर हेडली ने जांचकर्ताओं को सहयोग दिया और अब वह अमेरिकी जेल में बंद है.

भारत की सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल अगस्त में कसाब की मौत की सजा बरकरार रखी और राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से दया याचिका खारिज होने के बाद उसे 21 नवंबर, 2012 को पुणे की यरवदा जेल में फांसी दे दी गई. मौत की सजा का कई स्तरों पर विरोध होने के बाद भी कसाब की फांसी का अधिक विरोध नहीं हुआ. जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर और सामाजिक विश्लेषक सविता पांडे ने कसाब की फांसी पर कहा था, "भारत 1989 से सीमा पार आतंकवाद का शिकार रहा है और यह पहली बार है कि जब उसने इस मुद्दे पर कोई कार्रवाई करने का फैसला किया है. लेकिन मैं कहना चाहती हूं कि भारत को इससे आगे जाने की जरूरत है ताकि इसका तार्किक अंत हो."

उसी जगह खड़े देश

पांच साल बाद भारत और पाकिस्तान लगभग उसी जगह खड़े हैं, जहां 2008 में थे. भले ही दोनों देशों के नेताओं ने बातचीत शुरू कर दी है और क्रिकेट भी खेला जाने लगा है. लेकिन स्थिति सामान्य नहीं हुई है. हाल के दिनों में सीमा पर कई बार दोनों देशों के सैनिक उलझ चुके हैं. उधर, अमेरिकी नेतृत्व वाली फौज अगले साल अफगानिस्तान खाली कर रही है और जानकारों का मानना है कि इसका असर भारत और पाकिस्तान के रिश्तों पर भी पड़ेगा.

Ajmal Kasab Anschläge Mumbai Indien 2008 Archivbild
हमले के दोषी कसाब को फांसी हो चुकी है.तस्वीर: AP

लश्कर ए तैयबा ने चेतावनी दी है कि वह भारतीय हिस्से वाले कश्मीर में हिंसा फैलाने की कोशिश कर रहा है. लश्कर के प्रमुख हाफिज सईद ने तो एक अमेरिकी पत्रिका को दिए इंटरव्यू में यहां तक कहा, "अमेरिका की फौजों के हटते ही कश्मीर में पूरी तरह सशस्त्र जिहाद शुरू कर दिया जाएगा." यह एक गंभीर चेतावनी है क्योंकि 1989 में जब रूसी फौज ने अफगानिस्तान खाली किया, उसी साल कश्मीर में हिंसा की शुरुआत हुई. सईद के सिर पर अमेरिका ने एक करोड़ डॉलर का इनाम रखा है लेकिन वह बेधड़क पाकिस्तान में घूमता है.

नवाज शरीफ के प्रधानमंत्री बनने के बाद इस बात की उम्मीद जगी थी कि पाकिस्तान और भारत के बीच बातचीत तेजी से आगे बढ़ेगी क्योंकि शरीफ पड़ोसी देश के साथ कारोबार बढ़ाने पर जोर देते हैं. लेकिन इसका कोई खास असर नहीं देखा गया, उल्टे दोनों सेनाओं के बीच तनाव ही पैदा हुआ. जानकारों का कहना है कि पाकिस्तान का अंदरूनी ढांचा कुछ इस तरह बना हुआ है कि वह खुल कर कट्टरपंथियों का विरोध नहीं कर सकता.

भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ के एक पूर्व अधिकारी का आकलन है, "अमेरिकी जैसे ही अफगानिस्तान से हटेंगे, पाकिस्तान के जिहादी संगठनों से अंकुश भी हटेगा. अगर जिहादी अफगानिस्तान में कामयाब हुए, तो उनका ध्यान भारत की तरफ आएगा ही. और अगर नाकाम हुए, तो हम पर गुस्सा निकालने की कोशिश करेंगे."

एजेए/आईबी (रॉयटर्स, एएफपी)