गुलाम रखने वाले दंपति पूर्व माओवादी
२६ नवम्बर २०१३ब्रिटिश अखबारों के मुताबिक इस दंपति में पुरुष का नाम अरविंदन बालाकृष्णन है जो भारत में पैदा हुए और महिला तंजानिया की है जिनका नाम चंदा है. लंदन की पुलिस ने बंधक महिलाओं को छुड़ाने के बाद इन दोनों को गुरुवार को गिरफ्तार किया. मार्क्सवादी इतिहास से जुड़ी एक वेबसाइट पर जानकारी दी गई है कि कामरेड बाला के नाम से मशहूर बालाकृष्णन की उम्र 73 साल है और वह कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंग्लैंड (एमएल) के शीर्ष कार्यकर्ताओं में थे. हालांकि 1974 में उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते निलंबित भी किया गया था.
वेबसाइट का यह भी कहना है कि 1978 में दक्षिणी लंदन के ब्रिक्सटन इलाके में एक माओवादी केंद्र को बंद कराने के लिए पुलिस की कार्रवाई के दौरान बालाकृष्णन को गिरफ्तार भी किया गया था. पुलिस ने 1970 के दशक में उनकी गिरफ्तारी की बात मान ली है लेकिन इसकी वजह नहीं बताई है. जांचकर्ताओं ने आरोपियों पहचान की पुष्टि करने से इनकार कर दिया है. उनका कहना है कि मामला अभी अदालत में है. इस दंपति को फिलहाल जनवरी तक के लिए जमानत दे दी गई है.
पीड़ित महिलाओं में 57 साल की एक आयरिश महिला हैं जबकि दूसरी महिला मलेशिया की हैं और उनकी उम्र 69 साल है. तीसरी महिला 30 साल की है और उसने तकरीबन अपनी पूरी जिंदगी गुलामी में ही गुजारी है. पुलिस का कहना है कि इन महिलाओं को ब्रिक्सटन के एक फ्लैट में रखा गया था और इनका काफी शोषण किया गया, हालांकि यौन शोषण के बारे जानकारी नहीं मिली है. इन लोगों को बहुत कम घर से बाहर दिया जाने दिया जाता और वो भी बहुत पहरे में. पुलिस ने शनिवार को बताया कि दोनों बुजुर्ग महिलाएं बंधक बनाने वाले से "समान राजनीतिक विचारों" की वजह से मिलीं और शुरुआत में साथ काम करने के लिए साथ रहना शुरू किया.
इस बीच द सन अखबार ने खबर दी है कि पीड़ितों में "रोजी" नाम की युवा महिला ने अपने एक पड़ोसी प्रेमी को खूब सारे प्रेम पत्र लिखे लेकिन साथ ही उसे चेतावनी दी कि वह उसे बंदी बनाने वाले 'पागल और दुष्ट' से ना टकराए. रोजी ने 26 साल के मारियस फेनेक को पिछले आठ सालों में 500 से ज्यादा पत्र लिखे. इनमें से एक में उसने लिखा था, "मैं उस मक्खी की तरह हूं जो मकड़ी के जाले में फंस गई है. यहां के ये दानव पागल, दुष्ट और नस्लभेदी हैं. ये सारे दरवाजे और खिड़कियां बंद रखते हैं और चाबियां हमेशा अपने पास रखते हैं." ब्रिटिश अखबार गार्डियन में छपी रिपोर्ट में कहा गया है कि 'रोजी' बालाकृष्णन और आयरिश महिला की बेटी है.
पुलिस ने सोमवार को कहा कि वो आरोपी दंपति से जुड़े 13 पतों की छानबीन कर रही है. ये लोग 1960 के दशक में आए थे और इन पर आप्रवासन से जुड़े अपराधों के साथ ही बंधुआ मजदूरी कराने का संदेह है. पुलिस ने इनका पता लगाने के लिए घर घर जाकर तलाशी ली.
एनआर/ओएसजे (डीपीए, एएफपी)