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यूक्रेन में संयम का खेल

३ दिसम्बर २०१३

यक्रेन में विपक्ष चाहता है कि राष्ट्रपति यानुकोविच अपने पद से हट जाएं और चुनावों का आयोजन हो. राजधानी कीव में हजारों लोग सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं. लेकिन यानुकोविच विरोधियों की दृढ़ता को नापते दिख रहे हैं.

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तस्वीर: Reuters

विरोधी प्रदर्शन शुरु होने के दो दिन बाद राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच ने अपना मुंह खोला. यूक्रेनी टीवी पर एक इंटरव्यू में उन्होंने पुलिस और प्रदर्शनकारियों से कहा कि वह कानून के दायरे में रहें, "यह अहम है कि सब कुछ शांतिपूर्वक हो."

तीन दिन पहले कीव में सैंकड़ों युवा प्रदर्शनकर्ता जमा हुए. यानुकोविच की सरकार यूरोपीय संघ के साथ मुक्त व्यापार समझौता नहीं करना चाहती, जिसके विरोध में वहां प्रदर्शन शुरू हुए. शनिवार रात को यूक्रेन के सुरक्षाकर्मियों ने हिंसा का उपयोग कर प्रदर्शनकर्ताओं को काबू में करने की कोशिश की. आने वाले दिनों में विरोध प्रदर्शन बढ़े जिनमें प्रदर्शनकर्ताओं ने सरकार की तरफ से हिंसा का विरोध किया. कुछ प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति निवास में घुसने की कोशिश की.

यानुकोविच के पैंतरे

यूक्रेनी राष्ट्रपति ने पूरे दो दिन चुप्पी साधी. लेकिन उनपर नजर रखने वाले कहते हैं कि वह फैसला लेने में असमर्थ हैं. सरहई राखमानिन कीव के अखबार जेरकालो तिशन्या में काम करते हैं. उनका मानना है कि राष्ट्रपति ने अब तक तय नहीं किया कि वह किस तरह की प्रतिक्रिया देंगे, "यहां गतिरोध बना हुआ है. दोनों पक्ष, सरकार और प्रदर्शनकर्ता, अपनी हद पार कर चुके हैं."

लेकिन कोलोन विश्वविद्यालय में यूक्रेनी मामलों के जानकार गेरहार्ड सिमोन कहते हैं कि यानुकोविच की अपनी रणनीति है, "यानुकोविच जानते हैं कि इंतेजार का फल कैसा होता है. उनका चुप रहना बेवकूफी नहीं है. जो भी वह करेंगे, उसका इस्तेमाल उनके खिलाफ किया जा सकता है."

यानुकोविच पिछले चार साल से यूक्रेन के राष्ट्रपति हैं. 2010 में पद संभालने के बाद से अब तक उन्हें इस बड़े स्तर पर विरोधी प्रदर्शनों का सामना नहीं करना पड़ा. प्रदर्शन शुरू होने के एक दिन बाद उनकी ताकत कम होती दिख रही थी. सत्ताधारी पार्टी के कुछ प्रतिनिधियों ने अपने इस्तीफे का भी एलान किया. राष्ट्रपति दफ्तर के प्रमुख सरहेई ल्योवोचकिन के इस्तीफे की भी बात हो रही थी. लेकिन कीव के पत्रकार राखमानिन कहते हैं कि इन घटनाओं को जरूरत से ज्यादा अहमियत दी जा रही है, "मैं नहीं कहूंगा कि सरकार गिरने जा रही है."

क्या प्रदर्शन जारी रहेंगे

राखमानिन मानते हैं कि यानुकोविच विरोध के बाद भी सत्ता में बने रहेंगे. अगले चुनाव 2015 में हैं और राखमानिन कहते हैं कि विपक्ष के पास ठोस रणनीति नहीं है. लेकिन हो सकता है कि पुलिस की तरफ से हिंसा बढ़े. पर यानुकोविच इससे बचना चाहेंगे क्योंकि फिर पूरा यूरोप उन पर भड़केगा. यानुकोविच इस वक्त यूरोप की तरफ से शायद कुछ सहारा भी चाहेंगे क्योंकि वह रूस के दबाव का जवाब देना चाहते हैं.

यूक्रेन विशेषज्ञ सिमोन मानते हैं कि यानुकोविच पद नहीं छोड़ेंगे. अगर विपक्ष पूरे देश में हड़ताल करने का एलान करता है तो "इस देश में ऐसी चीजें हो सकती हैं जिनके बारे में हमने कभी नहीं सोचा हो." उनका कहना है कि सर्दियां आ गई हैं और प्रदर्शनों की आग अपने आप ही ठंडी हो जाएगी.

रिपोर्टः रोमान गोंचारेंको/एमजी

संपादनः ईशा भाटिया

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