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मोलाह की फांसी पर फैसला आज

१० दिसम्बर २०१३

'मीरपुर के बूचड़' के नाम से बदनाम बांग्लादेश के कट्टर नेता अब्दुल कादर मोलाह की फांसी बुधवार सुबह तक टली. उन्हें आधी रात को फांसी पर लटकाया जाना था. वह 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान जनसंहार और बलात्कार के दोषी हैं.

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तस्वीर: Reuters

एक नाटकीय विकास में सुप्रीम कोर्ट ने मोलाह की फांसी बुधवार सुबह साढ़े दस बजे तक रोक दी. डॉयचे वेले की सहयोगी वेबसाइट बीडीन्यूज24 के अनुसार मुख्य बचाव वकील अब्दुर रजाक ने यह सूचना दी. फैसला सुप्रीम कोर्ट के चैंबर जज ने बचाव पक्ष की अपील पर सुनाया.

इससे पहले कट्टरपंथी पार्टी जमात ए इस्लामी के वरिष्ठ नेता 65 साल के अब्दुल कादर मोलाह के परिवार को मंगलवार उनसे आखिरी बार मिलने की इजाजत दी गई. जेलर से जब यह पूछा गया कि क्या मोलाह को मंगलवार रात फांसी दी जाएगी तो जेल प्रमुख माइनुद्दीन खानडाकर ने कहा, "हां." जेल प्रशासन के मुताबिक फांसी की तैयारियां पहले ही पूरी कर ली गई थीं.

खबर की पुष्टि करते हुए बांग्लादेश के उप कानून मंत्री कमरुल इस्लाम ने मंगलवार को बताया, "उन्हें आज रात 12.01 बजे फांसी दी जाएगी." रविवार को फांसी की तारीख तय करने वाले प्राधिकरण ने मोलाह के कागजों पर दस्तखत कर दिए. इसके बाद मोलाह को ढाका सेंट्रल जेल लाया गया. तभी पत्रकारों को भनक लगी कि मोलाह को फांसी दी जा सकती है.

मोलाह बांग्लादेश की स्थापना के खिलाफ थे. 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान उन्होंने पाकिस्तानी सेना का साथ दिया. अभियोजन पक्ष के मुताबिक युद्ध के दौरान मोलाह ने 350 से ज्यादा बंगालियों की हत्या की और कई महिलाओं से बलात्कार किया. अभियोजन पक्ष ने अदालत के सामने उन्हें 'मीरपुर का बूचड़' कहा.

इसी साल की शुरुआत में मोलाह को उम्र कैद की सजा सुनाई गई. लेकिन इसके विरोध में हजारों धर्मनिरपेक्ष कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए. उन्होंने सजा को बहुत ही मामूली करार दिया. इसके बाद कोर्ट ने मोलाह को फांसी की सजा सुनाई. सुनवाई के दौरान विरोधियों और समर्थकों के बीच झड़पें भी हुईं. इस हिंसा में 224 लोग मारे गए.

मानवाधिकारों की बात करने वाले संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच ने ढाका को चेतावनी देते हुए कहा है कि मोलाह को बिना समुचित कानूनी सहायता और अपील करने का अधिकार दिये बिना फांसी देना अंतरराष्ट्रीय नियमों को उल्लघंन है.

इसके जवाब में बांग्लादेश के उप कानून मंत्री इस्लाम ने कहा, "दो जजों के सामने जब मोलाह से यह पूछा गया था कि क्या वो राष्ट्रपति से माफी मांगना चाहते हैं तो जबाव मिला, नहीं."

ओएसजे/एए (एएफपी)