1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

जस्टिस गांगुली पर बढ़ती खींचतान

१३ दिसम्बर २०१३

पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज अशोक कुमार गांगुली प्रथम दृष्टया यौन अपराध के दोषी करार दिए जाने के बावजूद अपने पद पर बने हुए हैं. उनके बचाव में कुछ नामी हस्तियां भी उतर आई हैं.

https://p.dw.com/p/1AYqk
तस्वीर: DW/ S.Bandopadhyay

यौन उत्पीड़न के आरोपों से जूझ रहे न्यायमूर्ति गांगुली फिलहाल पश्चिम बंगाल राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष हैं. तृणमूल कांग्रेस समेत तमाम संगठन उनके इस्तीफे की मांग उठा रहे हैं. लेकिन गांगुली ने इस्तीफा देने से साफ मना कर दिया है. इस बीच, कलकत्ता हाईकोर्ट में दायर एक जनहित याचिका में भी अदालत से गांगुली को इस्तीफा देने का निर्देश देने को कहा गया है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उनको हटाने के लिए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को दो-दो बार पत्र लिखा है. तृणमूल कांग्रेस तो लगभग रोज उनसे इस्तीफा मांग रही है.

तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा में संसदीय दल के मुख्य सचेतक डेरेक ओब्रायन के मुताबिक, पार्टी मानती है कि न्यायमूर्ति गांगुली के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप चिंताजनक हैं और इनसे राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष के तौर पर उनकी मौजूदा भूमिका की निष्पक्षता पर सवाल उठ सकते हैं. वह कहते हैं, "शीर्ष पदों पर बैठे लोगों को आदर्श भूमिका निभानी चाहिए. इससे न सिर्फ महिला सहयोगियों के साथ आचरण के मानक बरकरार रहेंगे, बल्कि भविष्य में अगर उन पर ऐसे आरोप लगें तो वह पूरी संवेदनशीलता और तेजी से उसका जवाब दे सकेंगे."

समर्थन भी

गांगुली के बढ़ते विरोध के बीच अब कुछ लोग उनके समर्थन में भी उतर आए हैं. इनमें पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी भी हैं. यहां एक समारोह में न्यायमूर्ति गांगुली के साथ मंच पर मौजूद सोमनाथ ने उनका बचाव किया. उन्होंने सवाल किया कि आखिर सुप्रीम कोर्ट ने किस हैसियत से इस मामले में हस्तक्षेप किया? इसमें कोई औपचारिक शिकायत भी दर्ज नहीं हुई है. उन्होंने महिला आयोग पर भी सवाल उठाए. चटर्जी ने कहा, "महिला आयोग का मतलब यह नहीं कि वह तथ्यों की जांच-परख के बिना किसी भी नतीजे पर पहुंच जाए."

अशोक गांगुली को निर्दोष बताते हुए चटर्जी ने कहा है कि फिलहाल इस मामले में कोई सबूत नहीं मिले हैं और न्यायमूर्ति गांगुली को गलत ढंग से फंसाया जा रहा है. पूर्व लोकसभा अध्यक्ष कहते हैं, "मैं इस पर विश्वास नहीं कर सकता कि गांगुली ऐसा कर सकते हैं. मैं उन्हें काफी लंबे समय से जानता हूं. लेकिन फिर भी इस मामले की निष्पक्ष जांच और सुनवाई के बाद ही उनको कोई सजा मिलनी चाहिए." सोमनाथ चटर्जी से पहले सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायधीश अल्तमस कबीर ने भी गांगुली का पक्ष लेते हुए कहा था, "इस बात पर भरोसा करना मुश्किल है कि गांगुली ऐसा कुछ कर सकते हैं. गांगुली को मैं बहुत पहले से जानता हूं. यह गांगुली के खिलाफ साजिश हो सकती है."

पीड़िता से अपील

इस बीच, महिला कार्यकर्ताओं ने उस लॉ इंटर्न से अशोक कुमार गांगुली के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने की अपील की है. महिला अधिकार कार्यकर्ता संतश्री चौधरी और गैर-सरकारी संगठन 'भारत बचाओ संगठन' के सदस्यों ने उस युवती को भेजे संदेशों में उससे गांगुली के खिलाफ औपचारिक शिकायत दर्ज कराने को कहा है.

अब ममता बनर्जी सरकार जहां उनको हटाने पर अड़ी है, वहीं गांगुली खुद इस्तीफा नहीं देने की जिद पर अड़े हैं. न्यायमूर्ति गांगुली को लेकर लगातार बढ़ती इस खींचतान के बीच अब राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ही इस मामले को निपटा सकते हैं. संविधान विशेषज्ञों का कहना है कि पीड़िता के सामने आकर औपचारिक तौर पर शिकायत दर्ज नहीं करने तक गांगुली के खिलाफ ठोस कदम उठाना मुश्किल है.

रिपोर्ट: प्रभाकर, कोलकाता

संपादन: ओंकार सिंह जनौटी

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी