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देवयानी की आया की कहानी

२० दिसम्बर २०१३

संगीता रिचर्ड हफ्ते में सात दिन काम करती थीं और उन्हें घंटे के केवल 3 डॉलर मिलते थे. रिचर्ड भारतीय राजनयिक देवयानी के बच्चों की आया हैं. लेकिन उनकी अपनी कहानी अमेरिका और भारत के बीच कूटनीतिक विवाद में कहीं खो गई है.

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Indien Diplomatin Devyani Khobragade
तस्वीर: picture-alliance/AP

संगीता रिचर्ड सुबह से शाम तक देवयानी के बच्चों का ख्याल रखती थीं. माना जा रहा है कि रिचर्ड ने वेतन बढ़ाने की बात कही थी, लेकिन ऐसा न होने पर वह देवयानी के घर से चली गईं. रिचर्ड की वकील डाना सुसमैन बताती हैं कि उसके बाद से ही वह न्यू यॉर्क में रह रहे भारतीय समुदाय के अनजाने लोगों की मदद पर निर्भर थीं. एक समय में रिचर्ड को सिख गुरुद्वारे में आसरा मिला. आखिरकार वह सहायता एजेंसी सेफ होराइजन के पास पहुंचीं. यह संगठन मानव तस्करी के खिलाफ कार्यक्रम चलाती है. वकील सुसमैन कहती हैं, "वह मूल रूप से कोई रास्ता निकालने की कोशिश कर रही थीं. उसके पास थोड़े कपड़े थे और बेहद कम पैसे."

आखिरकार आया और सेफ होराइजन की वकील डाना सुसमैन आरोपों के साथ अमेरिकी विदेश मंत्रालय गए. पिछले हफ्ते न्यू यॉर्क में तैनात भारतीय उप वाणिज्य दूत देवयानी खोबरागड़े को गिरफ्तार किया गया था. देवयानी पर गलत दस्तावेज देकर आया के लिए वीजा हासिल करने का आरोप है. अभियोजन पक्ष का आरोप है कि खोबरागड़े ने दावा किया कि वह 4500 डॉलर (करीब 2 लाख 80 हजार रुपये) प्रति माह रिचर्ड को पगार के तौर पर देती हैं लेकिन वास्तव में वह तीन डॉलर प्रति घंटे अदा करती थीं. राजनयिक पर अगर वीजा में धांधली के दोष साबित हो जाते हैं तो उन्हें 10 साल की अधिकतम सजा हो सकती है. साथ ही साथ झूठा ब्योरा देने की दोषी होने पर 5 साल की अलग से सजा हो सकती है.

ब्लैकमेलिंग का आरोप

भारत का कहना है कि देवयानी की आया उसे ब्लैकमेल करती थी और अमेरिका ने राजनयिक के साथ बुरा बर्ताव किया. इस मामले की वजह से भारत और अमेरिका के बीच रिश्तों में खटास आई है. अमेरिका में सुसमैन और अन्य लोगों का कहना है कि आक्रोश गुमराह करने वाला है.

भारत के विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद का कहना है कि राजनयिक को आया ब्लैकमेल कर रही थी. खुर्शीद के मुताबिक रिचर्ड ने खोबरागड़े को इसी साल गर्मियों में कहा कि अगर वह नए पासपोर्ट के साथ वीजा की व्यवस्था नहीं करती है तो वह पुलिस के पास चली जाएगी. साथ ही खुर्शीद ने बताया कि आया मोटी रकम की मांग कर रही थी. खुर्शीद ने हालांकि रकम का खुलासा नहीं किया. लेकिन दो भारतीय अधिकारियों का कहना है कि रिचर्ड ने 10,000 डॉलर (करीब छह लाख रुपये) की मांग की. यह मांग आप्रवासन वकील और दो अन्य चश्मदीदों के सामने की गई थी. दोनों अधिकारियों को इस मामले की पूरी जानकारी है. अधिकारियों ने मामले की गंभीरता को देखते हुए नाम न जाहिर करने की शर्त पर बात की.

कौन सुने रिचर्ड की

सुसमैन ने कहा की यह दावे गलत हैं, "देवयानी ने उतनी तनख्वाह नहीं दी, उन्होंने मेरी मुवक्किल को बहुत कम पैसा दिया और उससे उम्मीद से ज्यादा काम करने की अपेक्षा की. उसे घर पर ही अलग थलग छोड़ दिया गया.'' सुसमैन के मुताबिक इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि रिचर्ड के व्यवहार के बारे में भारतीय अधिकारी क्या कह रहे हैं. न्यू यॉर्क में देवयानी के खिलाफ लगाए गए आरोप खुद अपनी कहानी बता रहे हैं. न्यू यॉर्क पुलिस विभाग के पास खोबरागड़े की ब्लैकमेलिंग की शिकायत का कोई रिकॉर्ड नहीं है. हो सकता है कि उन्होंने यह शिकायत किसी और विभाग को दी होगी. देवयानी ने आया की गुमशुदगी की रिपोर्ट जून में दर्ज कराई. न्यू यॉर्क पुलिस विभाग ने माना कि आया यूं ही चली गई और केस को बंद कर दिया गया. हालांकि यह मामला अमेरिका में रह रहे विदेशी नागरिक से जुड़ा था.

Empfang in der indischen Botschaft in Berlin zum Tag der Republik
देवयानी के साथ खड़ी भारत सरकारतस्वीर: DW/M. Jha

अमेरिका का दावा है कि रिचर्ड को चुप कराने और उसे भारत लौटने को मजबूर करने की कोशिशों के बाद रिचर्ड के परिवार को अमेरिका बुला लिया गया. विदेश मंत्री खुर्शीद का कहना है कि अमेरिका ने इस बात को नजरअंदाज किया कि भारत में नौकरानी और देवयानी के बीच कानूनी मामला चल रहा है. सुसमैन का कहना है कि रिचर्ड अपने लिए इंसाफ चाहती हैं और इस पूरे मामले में जो बात सामने नहीं आ रही है वो ये कि आया सरकारी जांच में गवाह हैं और देवयानी के खिलाफ आपराधिक मामला है. वहीं देवयानी के पिता उत्तम खोबरागड़े आया के साथ अमानवीय व्यवहार से इनकार कर रहे हैं. उनका कहना है, "रिचर्ड की रविवार को छुट्टी होती थी. साथ ही साथ वह घर में आजादी के साथ रहती थी." वहीं अमेरिका ने देवयानी के मामले में आरोप वापस लेने और उनके साथ कथित बुरे बर्ताव को लेकर माफी मांगने संबंधी भारत की दोनों मांगों को अस्वीकार कर दिया है.

एए/एजेए (एएफपी, एपी)

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