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'गलतियों से सीखना ही बुद्धिमानी है'

२१ दिसम्बर २०१३

2002 में तेलुगू फिल्म से अपना करियर शुरू करने वाले अभिनेता सचिन जोशी ने लगातार तीन फिल्मों के बाद वर्ष 2011 में अजान के जरिए हिंदी फिल्मों में अपना करियर शुरू किया. इस साल उनकी फिल्म मुंबई मिरर और पिछले सप्ताह जैकपॉट आई.

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तस्वीर: DW/P. M. Tewari

अपनी फिल्म के प्रमोशन के सिलसिले में कोलकाता आए सचिन ने अपने अब तक के सफर और भावी योजनाओं के बारे में कुछ सवालों के जवाब दिए. यहां पेश हैं उसके मुख्य अंश:

अभिनय करने का ख्याल कैसे आया?

पुणे में मेरा घर भारतीय फिल्म व टेलीविजन संस्थान की दीवार से सटा था. आठ या नौ साल की उम्र में वहां छात्रों को शूटिंग करते हुए देखता था. उसी समय अभिनय के प्रति दिलचस्पी पैदा हुई. अपना कारोबार संभालने से पहले मैंने तीन तेलुगू फिल्मों में काम किया. फिल्में मेरे लिए एक पैशन हैं.

हिंदी फिल्मों में अब तक का सफर कैसा रहा है?

यह सफर मिला-जुला रहा है. हर फिल्म के साथ आपका अभिनय निखरता है और आप अपनी गलतियों से सीख कर उनको दुरुस्त करने का प्रयास करते हैं. मैंने भी करियर की शुरूआत में हल्की-फुल्की भूमिकाओं के बजाय गंभीर किरदारों वाली पटकथाओं का चयन करने की गलती की. हर फिल्म व्यक्तित्व के नए पहलू को उजागर करती है.

अपनी तीसरी फिल्म में ही आपने नसीरुद्दीन शाह जैसे कलाकार के साथ काम किया है. वह अनुभव कैसा रहा?

शुरू में मैं नर्वस था. लेकिन वह किसी को असहज नहीं होने देते. उनकी मौजूदगी की वजह से मुझे अपने किरदार पर तीन गुनी ज्यादा मेहनत करनी पड़ी. नसीर साहब एक परफेक्शनिस्ट हैं. उनके साथ काम करने की वजह अभिनय की कई बारीकियां सीखने को मिलीं. वह अपने आप में एक संस्थान हैं.

दक्षिण भारतीय फिल्मों में काम करने का अनुभव कैसा रहा?

वहां काम करने के दौरान मैंने डांस और एक्शन सीखा. उस उद्योग ने मुझे काफी कुछ सिखाया. लोगों ने मुझे सलाह दी थी कि हिंदी फिल्मों में काम करने से पहले दक्षिण की फिल्मों में काम करना चाहिए. एक तरह से वह मेरे लिए प्रशिक्षण का दौर था.

दक्षिण भारतीय और हिंदी फिल्म उद्योग में क्या अंतर है?

दोनों के कामकाज के तरीके में काफी अंतर है. वहां उद्योग संगठित है. सुबह छह बजे से शाम छह बजे तक काम होता है. वहां लोग हर काम पर अतिरिक्त मेहनत करते हैं. इसके अलावा बजट का भी ध्यान रखा जाता है. यहां ऐसा कुछ नहीं है. हिंदी फिल्म उद्योग में भी लोग कड़ी मेहनत करते हैं, लेकिन दक्षिण के मुकाबले यहां तनाव कम है.

भावी योजना क्या है?

फिलहाल मेरे पास कई पटकथाएं हैं. इनमें रोमांस, कॉमेडी और हॉरर फिल्में भी शामिल हैं. मैं एक बार में एक ही फिल्म में काम करना चाहता हूं ताकि अपना सर्वश्रेष्ठ दे सकूं. अगली योजना का एलान जल्दी की करूंगा.

भविष्य में निर्देशन में उतरने का इरादा?

निश्चित तौर पर. निर्देशन तो करना ही है. मैं इस उद्योग को कुछ नया देना चाहता हूं.

इंटरव्यू: प्रभाकर, कोलकाता

संपादन: महेश झा

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