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पाकिस्तान में फैलता अफगान नशा

२३ दिसम्बर २०१३

करीब दस लाख पाकिस्तानी हेरोइन के नशे के आदी हैं जिनमें से 30 फीसदी इंजेक्शन के इस्तेमाल के कारण एचआईवी के शिकार हैं. अफगानिस्तान की सस्ती हेरोइन के लिए पाकिस्तान बड़ा बाजार बनता जा रहा है.

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तस्वीर: Behrouz Mehri/AFP/Getty Images

रेल्वे लाइनों के करीब कूड़ा करकट भरा पड़ा है, बस्ते पहने कई बच्चे स्कूल जा रहे हैं. सड़क के एक तरफ खड़े दो ट्रकों की आड़ में बैठे कुछ जवान लड़के नशा कर रहे हैं. कराची में यह मंजर आम होता जा रहा है.

पाकिस्तान में न सिर्फ नशे के मामलों में वृद्धि हुई है, बल्कि सुई की अदला बदली से होने वाले एड्स के मामले भी बढ़े हैं. करीब दस लाख पाकिस्तानी हेरोइन का इस्तेमाल करते हैं. इसमें से 50 फीसदी नशा इंजेक्शन के जरिए किया जाता है.

करीब दो करोड़ की आबादी वाले शहर कराची के उन हजारों नवयुवकों में से एक शहजाद भी हैं, जो सस्ती अफगान हेरोइन के लती हैं. बार बार इंजेक्शन लगाने की वजह से शहजाद का दाहिना हाथ सूजा हुआ है. वह बताते हैं, "कराची में आपको हर वह ड्रग मिल सकती है जो आप खरीदना चाहते हैं."

सस्ते में मिल जाती है हेरोइन

शहजाद की तरह कई दूसरे लड़के भी कराची की मूसा कॉलोनी की पुरानी रेल्वे लाइन के पास ठोकरें खा रहे हैं. यह वह इलाका है जहां आपको नशा करने वाले भी आसानी से दिख जाएंगे और नशीले पदार्थ बेचने वाले भी. आने वाले समय में यह खतरा और बढ़ता दिख रहा है. इस साल पाकिस्तान के पड़ोसी देश अफगानिस्तान में अफीम की रिकॉर्ड 5,500 टन पैदावार हुई.

Drogenmissbrauch in Pakistan - Mobile Hilfe für Drogenabgängige
कराची के कई इलाकों में नवयुवक कूड़े के ठेर के बीच बैठे नशा करते दिख जाते हैं.तस्वीर: Rizwan Tabassum/AFP/Getty Images

एक गैर सरकारी संस्था के लिए काम करने वाले मुहम्मद इमरान एक समय में खुद हेरोइन के लती रह चुके हैं. उन्होंने कहा, "क्योंकि मैं खुद इस सबसे कुछ समय पहले ही गुजर चुका हूं, इसलिए मैं समझ सकता हूं कि वे कैसा महसूस करते होंगे, उनकी क्या समस्याएं हैं." उन्होंने बताया कि हेरोइन खरीदना महंगा भी नहीं, वह कुछ रुपयों में ही मिल जाती है.

इमरान अपने क्लीनिक से लाकर नशे के लती लड़कों को नई सुइयां बांटते हैं, ताकि कम से कम नशे के चलते वे एड्स की भेंट तो न चढ़ जाएं.

नशे से एड्स तक

इमरान तो खुद को एचआईवी संक्रमण से बचा ले गए, लेकिन कई दूसरे नवयुवक ऐसा नहीं कर पा रहे हैं. कराची की सड़कों पर बेघर मारे मारे फिरने वाले तारिक अब्बास को दो साल पहले पता चला कि वह एचआईवी से संक्रमित हैं. इतने सालों तक नशा करने के कारण उनके गाल अंदर धंस गए हैं. अब्बास ने बताया, "जब भी मेरे पास कम उम्र के लड़के आते हैं, मैं उनसे कहता हूं कि मेरी तरफ देखो, अब मेरी कोई फिक्र नहीं करता. जो लोग मुझे अच्छा आदमी मानते थे, आज मेरे साथ बैठना भी नहीं पसंद करते क्योंकि मुझे एड्स है."

अपनी ऐसी हालत के लिए अब्बास हेरोइन को जिम्मेदार मानते हैं. उन्होंने कहा, "ये ऐसी लत है जो अगर लग जाए तो आपको आपके अपनों से दूर कर देती है. आप इज्जत खो देते हैं और आपकी जिंदगी खत्म हो जाती है."

आब्बास इन हालात में अकेले नहीं हैं. पाकिस्तान में हेरोइन लेने वालों में से 30 फीसदी एचआईवी से संक्रमित हैं. 2005 से अब तक देश में एचआईवी के मामलों में 11 फीसदी बढ़ोतरी हुई है.

सुइयां बांट कर एड्स पर रोक

पाकिस्तान के कई गैर सरकारी संगठन झुग्गियों में रहने वाले नशे के आदी लोगों को नई सुइयां बांट कर एचआईवी के बढ़ रहे खतरे को काबू में करने की कोशिश कर रहे हैं. संगठन से जुड़ी डॉक्टर मारिया आतिफ ने बताया, "शुरुआत में लोगों ने यहां तक कहा कि हम नशे को बढ़ावा दे रहे हैं. लेकिन बाद में उन्होंने महसूस किया कि हेरोइन के लती तो कोई न कोई रास्ता खुद खोज ही लेते हैं. उन्होंने कहा, "यह हर रोज बढ़ रहा है. कई सामाजिक कारण हैं जो लोगों को इस नर्क में झोंक रहे हैं. सरकार के तमाम दावों के बावजूद यह बाजार में मौजूद है."

दुनिया में हेरोइन की कुल पैदावार का 90 फीसदी हिस्सा अफगानिस्तान से आता है. पाकिस्तान से होते हुए यह यूरोप और अमेरिका पहुंचता है. फिलहाल पाकिस्तान ही इसका सबसे बड़ा बाजार बना हुआ है.

एसएफ/आईबी (एएफपी)

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