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नए साल से देशद्रोह की सुनवाई

२४ दिसम्बर २०१३

सड़क पर विस्फोटक और पिस्तौलें मिलने की वजह से परवेज मुशर्रफ के खिलाफ देशद्रोह के मुकदमे की सुनवाई टली. पाकिस्तान के इतिहास में यह पहला मौका है जब किसी सैन्य शासक पर इस तरह का मुकदमा चलाया जा रहा है.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

मुशर्रफ ने नवंबर 2007 में पाकिस्तान में आपातकाल लगाया गया. उस वक्त परवेज मुशर्रफ राष्ट्रपति थे. अभियोजन पक्ष का आरोप है कि मुशर्रफ ने आपातकाल लगाकर संविधान के अनुच्छेद छह का उल्लंघन किया है. 70 साल के मुशर्रफ पर इसी वजह से देशद्रोह का मुकदमा चलाया जा रहा है. अगर पूर्व सैन्य प्रमुख और पूर्व राष्ट्रपति मुशर्रफ दोषी करार दिये गए तो उन्हें मौत की सजा या उम्रकैद भी हो सकती है.

मुकदमे की सुनवाई मंगलवार को इस्लामाबाद की विशेष अदालत में शुरू होनी थी. लेकिन उससे ठीक पहले मुशर्रफ के फॉर्महाउस के करीब सड़क पर पांच किलोग्राम विस्फोटक मिला. वहां दो पिस्तौलें भी मिलीं. जिस रास्ते से मुशर्रफ को अदालत आना था, हथियार और पिस्तौलें वहीं रखी गईं थीं. मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए अदालत ने सुनवाई एक जनवरी तक टाल दी.

मुशर्रफ मार्च 2013 में ब्रिटेन से पाकिस्तान लौटे हैं. 1999 से 2008 तक पाकिस्तान पर हुकूमत करने वाले मुशर्रफ पर अब कई मुकदमे चल रहे हैं. इन्हीं मुकदमों की वजह से वो 2008 के बाद ब्रिटेन में रहने लगे थे. मुशर्रफ के वकीलों और सहयोगियों ने देशद्रोह के मुकदमे को राजनीतिक करार दिया है. उनका आरोप है कि शरीफ सरकार रंजिश में मुकदमों का सहारा ले रही है.

मुशर्रफ ने 1999 में पाकिस्तान में शरीफ सरकार का तख्ता पलट दिया था. उस वक्त वे पाकिस्तान के सेना प्रमुख थे. शरीफ के मुताबिक मुशर्रफ के इशारे पर सेना ने भारत प्रशासित जम्मू कश्मीर राज्य के करगिल इलाके में घुसपैठ की. तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के मुताबिक उन्हें तो इसकी भनक भी नहीं लगने दी गई.

Raheel Sharif
पाकिस्तान के सेना प्रमुख राहिल शरीफतस्वीर: picture-alliance/dpa

14 अगस्त 1947 को ब्रिटिश इंडिया से आजाद होकर बने पाकिस्तान में यह पहला मौका है जब किसी पूर्व सेना प्रमुख को अदालत में पेश होना पड़ रहा है. माना जा रहा है कि मुशर्रफ का मामला सेना और निर्वाचित सरकार के बीच सीधा टकराव है. देखना यह है कि सेना क्या रुख अपनाती है. वैसे पाकिस्तानी सेना के नए प्रमुख राहिल शरीफ नवाज शरीफ के भाई और पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री शाहबाज शरीफ के करीबी माने जाते हैं.

राष्ट्रपति रहते हुए मुशर्रफ ने अमेरिका के साथ पाकिस्तान में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई छेड़ी. तब से तालिबान लगातार उन्हें जान से मारने की धमकी देता रहा है.

मंगलवार को मुशर्रफ के वकील अनवर मंसूर खान ने अदालत से कहा है कि जान पर बने गंभीर खतरे को देखते हुए उनके मुवक्किल अदालत नहीं आ आए. सरकार की तरफ से अभियोजन पक्ष के वकील नसीर उद्दीन खान नायर ने उम्मीद जताई है कि मुशर्रफ एक जनवरी 2014 को अदालत आएंगे. उस दिन मुशर्रफ के खिलाफ आरोप तय किए जाएंगे.

मुशर्रफ ने अदालती कार्रवाई के लिए 10 लोगों की टीम बनाई है. टीम सबसे पहले सरकारी अभियोजक की नियुक्ति पर सवाल उठाएगी.

ओएसजे/एमजे (एएफपी, रॉयटर्स)

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