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बचपन में झांकती फिल्में

२५ दिसम्बर २०१३

देश की सांस्कृतिक राजधानी कहे जाने वाले कोलकाता में इन दिनों तीसरे अंतरराष्ट्रीय बाल फिल्मोत्सव का आयोजन चल रहा है. नौ दिनों तक चलने वाले महोत्सव ने तीन साल के कम समय में ही अपनी अलग पहचान बना ली है.

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तस्वीर: DW

कोलकाता बाल फिल्म महोत्सव का उद्घाटन एक बच्ची शुभांगी मित्र ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की मौजूदगी में किया. फिल्मोत्सव का आयोजन सूचना व संस्कृति मंत्रालय की ओर से किया गया है. यह मंत्रालय मुख्यमंत्री के ही जिम्मे है. इस मौके पर उन्होंने कहा, "हम चाहते हैं कि बच्चों के लिए अधिक से अधिक फिल्में बनाई जाएं. हम बच्चों के लिए एक वैश्विक खिड़की खोलना चाहते हैं और यह फिल्मोत्सव इसका एक बेहतर मंच है." मुख्यमंत्री ने कहा कि बच्चों के लिए बनी फिल्मों का आनंद उनके साथ-साथ बड़े भी उठाते हैं. उन्होंने कहा कि यह जानना जरूरी है कि किशोर तबका क्या सोचता है. फिल्मों के जरिए उनकी पसंद-नापसंद और सोच का पता चल सकता है.

समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर मौजूद अभिनेता मोहन अगाशे ने मुख्यमंत्री से विकलांग बच्चों के लिए अलग से एक फिल्मोत्सव आयोजित करने का सुझाव दिया. उन्होंने कहा, "फिल्मों से ऐसे बच्चों को जीवन में कुछ करने की प्रेरणा मिलेगी. उनके दिमाग में यह भावना मजबूत होगी कि अपनी अक्षमता के बावजूद वह भी जीवन में नई ऊंचाईयां हासिल कर सकते हैं."

22 देशों की 186 फिल्में

इस फिल्मोत्सव के दौरान 22 देशों की कुल 186 फिल्में दिखाई जाएंगी. इसकी शुरूआत वर्ष 2004 में ऑस्कर के लिए मनोनीत मराठी फिल्म श्वास से हुई. आयोजन समिति की प्रमुख अर्पिता घोष बताती हैं, "महानगर के विभिन्न सिनेमाहॉलों में इन फिल्मों का प्रदर्शन किया जा रहा है. महोत्सव के दौरान अभिनेता चार्ली चैपलिन को श्रद्धांजलि दी जाएगी और बांग्ला कार्टूनिस्ट नारायण देवनाथ को सम्मानित किया जाएगा." महोत्सव के दौरान एनीमेशन फिल्मों पर एक वर्कशाप का आयोजन भी किया जाएगा. इसमें बच्चों को फिल्म निर्माण की विभिन्न विधाओं की जानकारी दी जाएगी.

भारतीय पैनोरमा सेक्शन में हीरेर आंगठी (हीरे की अंगूठी), गोसांई बागानेर भूत (गोसांई बागान का भूत), सबजू द्वीपेर राजा (हरे द्वीप का राजा), पालघर और बाल गणेश जैसी फिल्में दिखाई जाएंगी. सूचना व संस्कृति सचिव अत्रि भट्टाचार्य बताते हैं, "महोत्सव के दौरान चार पुरानी बांग्ला क्लासिक फिल्में, पथेर पांचाली, बाड़ी थेके पालिए (घर से भाग कर), अतिथि और हंसराज, दिखाई जाएंगी. इनके अलावा ईटी, एलिस इन वंडरलैंड, एराउंड द वर्ल्ड इन 80 डेज और गोल्ड रश जैसी क्लासिक फिल्मों का भी प्रदर्शन किया जाएगा."

Kinder-Filmfestival in Kalkutta, Indien
कोलकाता बाल फिल्म महोत्सव का उद्घाटन करती शुभांगी मित्रतस्वीर: DW

बच्चों में खुशी

क्रिसमस के मौके पर स्कूलों की छुट्टी होने की वजह से महोत्सव में काफी भीड़ जुट रही है. इस महोत्सव से बच्चों के साथ-साथ उनके अभिभावक भी खुश हैं. आठवीं कक्षा में पढ़ने वाला हीरक सेन कहता है, "इस महोत्सव में हमें अपनी पसंद की कई फिल्में देखने का मौका मिल गया है. एक साथ इतनी फिल्में सिर्फ महोत्सव में ही देखने को मिल सकती हैं." उसके पिता दीपक सेन बच्चों को फिल्म दिखाने के लिए दफ्तर से छुट्टी लेकर फिल्मोत्सव में पहुंचे हैं. वह कहते हैं, "हर आदमी के भीतर एक बच्चा छिपा होता है. बच्चों की फिल्में देखते हुए हम अपने बचपन में लौट जाते हैं."

दीपक सेन कहते हैं कि यह फिल्में हमारे बचपन का आईना हैं. उन्होंने कई ऐसी फिल्में महोत्सव में दोबारा देखी हैं जो कोई 35 साल पहले अपने बचपन में देखी थी. आयोजन स्थल पर सुबह से ही स्कूली छात्र-छात्राओं की भीड़ जुट जाती है. दिलचस्प बात यह है कि कई बुजुर्गों को भी टिकट की कतार में देखा जा सकता है. आयोजन स्थल पर बड़े-बुजुर्गों की बढ़ती भीड़ से साफ है कि इस फिल्मोत्सव ने शायद उनको अपने बचपन को दोबारा जीने का एक मौका दे दिया है.

रिपोर्ट: प्रभाकर, कोलकाता

संपादन: महेश झा

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