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फर्जी मुठभेड़ में कोर्ट मार्शल

२५ दिसम्बर २०१३

तीन युवकों को सीमा पर ले जाकर गोली मारने और फिर घटना को आतंकी मुठभेड़ कहने वाले भारतीय सेना के दो अधिकारियों और चार जवानों का कोर्ट मार्शल होगा. कश्मीर में इस वारदात के बाद हुए हिंसक प्रदर्शनों में 123 लोग मारे गए थे.

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तस्वीर: AFP/Getty Images

भारतीय सेना ने मचिल फर्जी मुठभेड़ मामले में बुधवार को दो अधिकारियों समेत छह सैनिकों के कोर्ट मार्शल का आदेश दिया. आरोपियों में कर्नल डीके पठानिया, चार राजपूताना राइफल्स के कमांडिंग अफसर मेजर उपिंदर और चार जवान हैं.

30 अप्रैल 2010 को भारत प्रशासित जम्मू कश्मीर राज्य में सेना ने नियंत्रण रेखा के पास आतंकवादियों से मुठभेड़ होने का दावा किया. सेना ने कहा कि मचिल सेक्टर के पास हुई मुठभेड़ में तीन पाकिस्तानी आतंकवादी मारे गए हैं. बाद में मृतकों की असली पहचान सामने आई, वे सभी भारतीय नागरिक निकले. मृतक मोहम्मद शफी, शहजाद अहमद और रियाज अहमद बारामुला जिले के नदीहाल इलाके के निवासी थे.

आरोप हैं कि स्थानीय टेरिटोरियल आर्मी के कुछ जवानों ने तीनों को लालच देकर सोपोर से उठाया. फिर उन्हें नियंत्रण रेखा पर ले जाया गया और उनकी हत्या कर दी.

Indien Protest Kind Feuer 2010
फर्जी मुठभेड़ के बाद घाटी में हुए प्रदर्शनतस्वीर: AP

मृतकों के रिश्तेदारों की शिकायत पर पुलिस ने सेना के एक जवान और दो लोगों को गिरफ्तार किया. मुठभेड़ फर्जी होने का मामला सामने आते ही कश्मीर घाटी में तनाव फैल गया. जगह जगह हिंसक प्रदर्शन होने लगे. इस दौरान 123 लोग मारे गए. जम्मू कश्मीर पुलिस इस मामले में जुलाई 2010 में चार्जशीट पेश कर चुकी है.

हिंसक प्रदर्शनों के बाद राज्य के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाह और रक्षा मंत्री एके एंटनी ने मामले की विस्तृत जांच का भरोसा दिया था. भारतीय सेना की उत्तरी कमांड के प्रवक्ता के मुताबिक अनुशासनात्मक कार्रवाई के दौरान जो बातें सामने आईं उनके आधार पर अब मामला आगे बढ़ाया जा रहा है. प्रवक्ता ने कहा, "बेहद लंबी और गहन जांच में राज्य की पुलिस और न्यायिक विभाग के सहयोग से चश्मदीदों से बात की गई, सबूत दर्ज किए गए और आरोपियों के खिलाफ अभियोग तैयार किया गया है. सेना ने माना है कि प्राथमिक जांच में आरोपियों के खिलाफ ठोस सबूत मिले हैं, इसी वजह से कोर्ट मार्शल की कार्रवाई शुरू की जा रही है.

ओएसजे/एमजे (पीटीआई)

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