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बवेरिया बुला रहा है

२५ दिसम्बर २०१३

जर्मनी विदेशों में काम कर रहे अपने इंजीनियरों और आईटी विशेषज्ञों को पुकार रहा है. जर्मन कंपनियां घर में ही उन्हें अच्छी नौकरी और जिंदगी बिताने के लिए तमाम सुविधाएं देने का वादा कर रही हैं. इसका असर भी हो रहा है.

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Ansicht von München
तस्वीर: picture-alliance/Marc Müller

दक्षिणी जर्मनी राज्य बवेरिया अमीर प्रांतों में एक है. बवेरिया अब विदेशों में काम कर रहे जर्मनों को वापस बुलाने के लिए तरह तरह के प्रलोभन दे रहा है. बवेरिया में सबसे कम बेरोजगारी दर है. इसके अलावा वहां इतनी नौकरियां हैं कि भर नहीं पा रही हैं. किसी फिल्मी नाम की तरह पिछले साल ''रिटर्न टू बवेरिया'' योजना शुरू की गई. इस योजना को क्षेत्रीय वित्त मंत्रालय आर्थिक सहायता दे रहा है. उद्देश्य प्रतिभा पलायन पलटने की है. उन लोगों की मदद की जा रही है स्वदेश लौट रहे हैं. योजना से जुड़ी वेबसाइट में लिखा है, "बवेरिया को तेज दिमाग की जरूरत है.''

तीस लाख से अधिक जर्मन रोजगार के कारण आर्थिक सहयोग और विकास संगठन सदस्य 34 देशों में रह रहे हैं. योजना का लक्ष्य ऐसे लोगों को आकर्षित करना है जहां जर्मनों की आबादी अधिक है. स्विट्जरलैंड, ऑस्ट्रिया, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में जर्मन नौकरी कर रहे हैं. सम्मेलनों और कॉन्फ्रेंस की मदद से देश लौटने वाले संभावित लोगों को व्यावहारिक सहायता देना इसका उद्देश्य है. इसके लिए ''बवेरिया की शाम'' परंपरागत व्यंजन, सॉसेज और मशहूर बीयर के सहारे भी लुभाने की कोशिश हो रही है. योजना चलाने वाले केंद्र की अध्यक्ष कैर्सटर्न डॉयबनर जी के मुताबिक, "हम यहां तक व्यक्तिगत सलाह भी देना सुनिश्चित करते हैं. नौकरी की तलाश से लेकर बवेरिया में मेलजोल बढ़ाने तक में मदद करते हैं. व्यावहारिक दृष्टि से हम संभावित नियोक्ताओं के साथ उम्मीदवारों का संपर्क स्थापित कराने, स्कूल में दाखिले, प्रशासनिक काम में सहायता या फिर जीवन साथी के लिए रोजगार की तलाशने में मदद करते हैं.''

स्वदेश लौटने वाले

इस योजना से लाभ भी हो रहा है. डॉयबनर जी के मुताबिक, "औसतन हर हफ्ते एक या दो उम्मीदवार नौकरी के लिए करार कर रहे हैं." वह संतोष के साथ कहती हैं कि उन्होंने सैकड़ों ऐसे मामले निपटाए हैं. ऑस्ट्रेलिया के शहर मेलबर्न में 6 साल बिताने वाले जर्मन इम्यूनोलॉजिस्ट ग्रेगोर लिश्टफुस इनमें से एक हैं. ''रिटर्न टू बवेरिया'' की मदद से उन्होंने बवेरिया की कंपनी के साथ करार किया है. उनका कहना है कि वे इस योजना की मदद से आवेदन और अच्छा वेतन पाने में कामयाब रहे. बवेरिया से सटे बाडेन वुर्टेमबर्ग में भी अनुभवी कामगारों की कमी है. इस समस्या से निपटने के लिए कंपनियां और प्रशासन ऐसे उपाय निकाल रहा है जिससे ज्यादा से ज्यादा लोगों को आकर्षित किया जा सके. उदाहरण के लिए स्कूल में फेल हुए छात्रों को नौकरी के साथ प्रशिक्षण की सुविधा, घर बैठी मां को काम की तरफ खींचना, इटली और स्पेन के युवा कर्मचारियों का उपयोग करना. इटली और स्पेन में युवाओं के लिए संभावनाएं बहुत ही कम है. लेकिन जर्मनों के लिए वापस बुलाना विशेष रूप से किफायती है.

Herbst in Deutschland
बवेरिया की खूबसूरत वादियांतस्वीर: fotolia/magann

हालांकि डॉयबनर जी योजना के वास्तविक बजट का खुलासा करने से इनकार करती हैं. उनके मुताबिक, "हमें ज्यादा प्रचार करने की जरूरत नहीं. उम्मीदवार आम तौर पर वापस आने के लिए आश्वस्त हैं.'' वे कहती हैं कि बहुत लोगों के लिए वापस लौटने का विचार निजी कारण है. लेकिन लिश्टफुस कहते हैं कि वे बवेरिया के बहकावे में आने वाले नहीं है. उनके मुताबिक, ''मेरे लिए सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मैं वहां जाऊं जहां एक बेहतरीन मौका मौजूद हो." वे कहते हैं कि अगर बवेरिया के अलावा उन्हें कहीं और ज्यादा अच्छा मौका मिलता है तो वे वहां जाने को भी तैयार हैं. जर्मनी छोड़कर दूसरे देशों में नई जिंदगी की तलाश में गए लोग बवेरिया और यहां मौजूद नौकरी की संभावनाओं से हैरान नहीं है. आईटी विशेषज्ञ आंद्रियास काफ्का कहते हैं, "हमारा परिवार अब यहां रहता है." काफ्का दो साल पहले मेलबर्न नौकरी के लिए गए थे. उनके मुताबिक उनके परिवार को वहां की स्कूल प्रणाली, जिंदगी की रफ्तार और समंदर के किनारे पसंद हैं. उन चीजों को छोड़ जर्मनी आना उन्हें रास नहीं.

एए/ओएसजे (एएफपी)

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