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तुर्की में मुश्किल में एर्दोआन

२६ दिसम्बर २०१३

तुर्की में तीन मंत्रियों के इस्तीफे के एक दिन बाद प्रधानमंत्री रेचेप तय्यप एर्दोआन को अपना आधा मंत्रिमंडल बदलना पड़ा है. इसके बाद अब उनकी कुर्सी भी खतरे में लग रही है.

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Premierminister Türkei Tayyip Erdogan Porträt
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo

बुधवार को तुर्की के गृह मंत्री, वित्त मंत्री और पर्यावरण मामलों के मंत्री ने इस्तीफा दे दिया. इसके बाद प्रधानमंत्री ने बंद दरवाजों के पीछे राष्ट्रपति अब्दुल्लाह गुल के साथ नए मंत्रिमंडल पर विचार किया. गुरूवार सुबह उन्होंने टीवी पर इसकी घोषणा की और कहा कि तीनों मंत्रालय अलग मंत्रियों को सौंप दिए गए हैं और साथ ही कानून, परिवहन, परिवार और खेल मंत्रालयों में भी बदलाव किए गए हैं. साथ ही चार में से एक उप प्रधानमंत्री को भी बदल दिया गया है. कुल मिला कर मंत्रिमंडल के 26 में से 10 मंत्रियों को बदल दिया गया है.

भ्रष्टाचार के आरोप

एर्दोआन पिछले 11 साल से सत्ता में हैं, लेकिन अब भ्रष्टाचार के मामलों के चलते विपक्ष उनके इस्तीफे की मांग कर रहा है. पर्यावरण मंत्री एर्दोआन बेरक्तार ने भी इस्तीफा देते हुए प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग की और कहा कि देश के हित में यही सही होगा. दरअसल इस्तीफा दे चुके तीनों मत्रियों के बेटों के नाम उन दो दर्जन लोगों की सूची में शामिल हैं जिन पर रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार के मामले चल रहे हैं.

पर्यावरण मंत्री के बेटे को पिछले हफ्ते गिरफ्तार कर लिया गया था, लेकिन बाद में मुकदमा शुरू होने तक के लिए जमानत पर रिहा कर दिया गया. बाकी दोनों मंत्रियों ने इसे साजिश करार दिया है और बेटों पर लगे आरोपों से इंकार किया है.

इस्तीफा दें एर्दोआन

लेकिन पर्यावरण मंत्री ने प्रधानमंत्री से सीधी टक्कर लेते हुए टीवी पर एक इंटरव्यू के दौरान कहा, "मुझे लगता है कि प्रधानमंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए. जिस निर्माण योजना पर छानबीन चल रही है, उसके बड़े हिस्से को प्रधानमंत्री ने ही अनुमति दी थी." पर्यावरण मंत्री का यह बयान टीवी पर लाइव देखा जा रहा था और उसी दौरान चैनल ने उसे काट दिया. इसके बाद से ट्विटर पर लोग इसे सरकार की सेंसरशिप कह कर गुस्सा उतार रहे हैं.

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बुधवार को तुर्की के गृह मंत्री, वित्त मंत्री और पर्यावरण मामलों के मंत्री ने इस्तीफा दिया.तस्वीर: Reuters

प्रधानमंत्री एर्दोआन की एकेपी पार्टी के लिए यह साल काफी मुश्किलों भरा रहा है. इस्तांबुल में एक पार्क के हटाए जाने को लेकर जून में भारी प्रदर्शन हुए. अब इस नए मामले को ले कर भी जनता भड़की हुई है. बुधवार को इस्तांबुल में करीब 5,000 लोग एर्दोआन के खिलाफ प्रदर्शन करने उतरे. भीड़ पर काबू करने के लिए पुलिस को आंसू गैस का इस्तेमाल करना पड़ा. इसके अलावा अंकारा और इजमिर में भी प्रदर्शन हुए.

धार्मिक नेता से दुश्मनी

एर्दोआन के सामने ये चुनौतियां तब आई हैं, जब पहले ही देश की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं चल रही. डॉलर के मुकाबले लीरा लगातार कमजोर हो रहा है और इस वक्त रिकॉर्ड निचले स्तर पर है. एर्दोआन का कहना है कि यह उनकी छवि खराब करने की कोशिश है और उनके खिलाफ यह साजिश अंतरराष्ट्रीय स्तर पर की जा रही है.

कुछ जानकारों का मानना है कि इसके पीछे एर्दोआन के पुराने साथी फतेहउल्लाह गुलेन का हाथ हो सकता है. गुलेन एक धार्मिक नेता हैं जो अब अमेरिका में रह रहे हैं. माना जाता है कि तुर्की की पुलिस और न्याय प्रणाली पर उनका काफी प्रभाव है. कभी गुलेन को एर्दोआन के बड़े समर्थकों में गिना जाता था.

2002 से लगातार तीन बार एकेपी पार्टी की जीत को भी गुलेन के समर्थन से जोड़ कर देखा जाता रहा है. लेकिन पिछले कुछ समय में एर्दोआन सरकार ने गुलेन के कई मदरसों को बंद करवा दिया. इसी को दोनों के बीच की दुश्मनी का कारण माना जा रहा है.

तुर्की में भ्रष्टाचार के मामलों में कई फाइलें खुल रही हैं. रेल मंत्रालय के टेंडरों की भी दोबारा जांच की जा रही है. हालांकि अब तक गिरफ्तारियां नहीं हुई हैं, लेकिन मामले के बढ़ने की आशंका जताई जा रही है.

आईबी/एमजे (डीपीए/एएफपी/रॉयटर्स)

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