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2014 का आसमान

३० दिसम्बर २०१३

दो दो बार पूर्ण चंद्रग्रहण, भारत के मंगलयान की लाल मिट्टी को छूती तस्वीरें और धूमकेतु के बारे में बहुत कुछ नया जानने का मौका. अंतरिक्ष की दुनिया के अनजाने रहस्यों में से कुछ 2014 में खुल सकते हैं.

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करेंगे मंगल ग्रह की सतह का नक्शा तैयारतस्वीर: ESA/DLR/FU Berlin (G. Neukum)

साल की शुरुआत होगी यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के एक उपग्रह रोसेटा के सफर से. रोसेटा ऐसा उपग्रह है जो कॉमेट या धूमकेतु का पीछा करता है. तीन साल से अंतरिक्ष में बेजान पड़े इस उपग्रह को दोबारा सक्रिय किया जाएगा.

इस यान को 2004 में अंतरिक्ष में भेजा गया और इसने अब तक सूरज का पांच बार चक्कर लगाया है. इसी दौरान रोसेटा अपने ऊर्जा के केंद्र से इतना दूर निकल गया कि उसकी सौर बैट्रियों का चार्ज होना बंद हो गया. इसके बाद ऊर्जा बचाने के लिए ही उसे सुषुप्तावस्था में रख दिया गया. आने वाली 20 जनवरी को रोसेटा को दोबारा जगाया जाएगा. उसे अपने अंतिम लक्ष्य चुरीयूमोव-गेरासिमेनको धूमकेतु की ओर कूच करना होगा. उपग्रह जब पूरी तरह चार्ज हो जाएगा, तो उसका एंटीना धरती को संकेत देने लगेगा. जर्मनी के डार्मश्टाट में बैठे यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) के वैज्ञानिकों का संपर्क उससे जुड़ जाएगा.

गर्मी में रोसेटा धूमकेतु तक पहुंच जाएगा और करीब एक साल तक चुरीयूमोव-गेरासिमेनको पर शोध करेगा. नवंबर में कॉमेट के केन्द्र पर एक खास यान भेजा जाएगा जो वहां मौजूद 450 करोड़ साल पुराने तत्वों का अध्ययन करेगा, जब हमारे सौरमंडल का जन्म हुआ था. इस अध्ययन से पता चल सकेगा कि धरती पर जीवन की शुरुआत कैसे हुई.

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नवंबर में कॉमेट के केन्द्र पर भेजा जाएगा एक खास यानतस्वीर: ESA/AOES Medialab

धरती से मंगल तक

दो खोजी यान अगले साल सितंबर में मंगल ग्रह तक पहुंच जाएंगे. एक है अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का यान मावेन, जो धरती के पड़ोसी ग्रह के वातावरण पर शोध करेगा. दूसरा भारत का मंगलयान है, जो लाल ग्रह पर भेजा गया भारत का पहला यान है. मंगलयान के जरिए भारत अपनी तकनीकों का परीक्षण कर सकेगा और साथ ही देश को ग्रहों पर शोध का अनुभव भी मिलेगा. मंगलयान लाल ग्रह की कक्षा में पहुंचने पर उसकी तस्वीरें लेगा और मंगल की सतह का एक नक्शा भी तैयार करेगा.

जर्मनी के लिए साल 2014 अंतरिक्ष यात्रा के लिहाज से खास होगा. अंतरिक्ष यात्री आलेक्सांडर गैर्स्ट मई में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र (आईएसएस) पर पहुंच जाएंगे और छह महीने तक वहीं रहेंगे. किसी जर्मन को आईएसएस में इतना लंबा समय बिताए छह साल हो चुके हैं. इससे पहले वहां लंबे समय तक रहने वाले जर्मन अंतरिक्ष यात्री थोमास राइटर अब यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के मानव अंतरिक्ष यात्रा से जुड़े कार्यक्रमों को संभाल रहे हैं.

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अंतरिक्ष यात्री आलेक्सांडर गैर्स्ट छह महीने तक रहेंगे आईएसएस परतस्वीर: picture-alliance/dpa

इस साल दिसंबर में चीन ने अपना पहला मानवरहित अंतरिक्ष यान चांगये-3 चांद पर उतार दिया. पिछले करीब चार दशक में पहली बार चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग हुई है. चीन ने यान का नाम चंद्रमा की देवी चांगये पर रखा है. यह यान करीब एक साल तक माप लेगा. यह अपने छोटे दूरबीन से अंतरिक्ष का निरीक्षण भी करेगा. चांगये-3 का रोवर युतू या जेड रैबिट अप्रैल 2014 तक सक्रिय रहेगा और सतह पर घूम कर उसकी माप लेता रहेगा.

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चीन के चांगये-3 का रोवर युतू या जेड रैबिट अप्रैल 2014 तक सक्रिय रहेगातस्वीर: picture-alliance/dpa

चीन अंतरिक्ष की दुनिया में नए साल में और क्या करने वाला है, इस बारे में अटकलें लगाई जा रही हैं. संभावना है कि चीन लोगों को तियानगोंग-1 अंतरिक्ष स्टेशन पर भेज सकता है. अमेरिका ने जिस तरह से एशियाई देशों को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के साथ काम करने से रोका हुआ है उससे चीन अंतरिक्ष अभियानों में अलग थलग पड़ गया है. लेकिन जनवरी में वॉशिंगटन में स्पेस मैपिंग पर होने वाले अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में चीन भी हिस्सा लेने वाला है.

जगमगाएगा आसमान

आने वाले साल में आसमान की ओर निहारने वालों को बहुत से सुंदर नजारे दिखाई देंगे. हमारे सौरमंडल का सबसे चमकीला ग्रह शुक्र, मार्च के आखिरी हफ्ते में सूर्य से पश्चिम दिशा में अपनी सबसे दूर की स्थिति में चला जाएगा. इसकी वजह से शुक्र ग्रह जो सूर्योदय के पहले दिखने के कारण सुबह का तारा नाम से भी जाना जाता है, करीब दो घंटे पहले ही आसमान में दिखाई दे जाएगा.

अप्रैल की शुरुआत में मंगल ग्रह भी रात के आसमान में काफी चमकता हुआ दिखेगा क्योंकि वो भी कई सालों के बाद सूर्य से सबसे दूर की स्थिति में पहुंचेगा. अगस्त के महीने में तो नजारा और भी दिलचस्प होगा जब आसमान के सबसे चमकीले ग्रह एक साथ आ जाएंगे. शुक्र और वृहस्पति आपस में इतने करीब होंगे कि नंगी आंखों से देखने पर एक ही चमकीले पिंड जैसे नजर आएंगे.

होगा घुप अंधेरा भी

नए साल में दो पूर्ण चंद्रग्रहण होंगे तो दो आंशिक सूर्यग्रहण भी लगेंगे. पहला पूर्ण चंद्रग्रहण पूर्वी ऑस्ट्रेलिया, प्रशांत महासागरीय देशों, उत्तर और दक्षिण अमेरिकी देशों से 15 अप्रैल को देखा जा सकेगा. आठ अक्टूबर को एक बार फिर चंद्रमा पृथ्वी की छाया में प्रवेश कर जाएगा जिससे ऑस्ट्रेलिया, प्रशांत महासागरीय देशों, उत्तर और दक्षिणी अमेरिकी देशों के अलावा पूर्वी एशियाई देशों में भी लोग पूर्ण चंद्रग्रहण देख पाएंगे.

चंद्रमा 29 अप्रैल को पृथ्वी और सूर्य के बीच से गुजरेगा जिससे अंटार्कटिका और ऑस्ट्रेलिया में आंशिक सूर्यग्रहण की स्थिति बनेगी. उत्तरी अमेरिका और रूस के सुदूर पूर्व में 23 अक्टूबर को फिर आंशिक सूर्यग्रहण दिखाई देगा.

रिपोर्टः डिर्क लोरेंसेन/ऋतिका राय

संपादनः ए जमाल

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