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'चुनौती लेने को तैयार हों जर्मन'

३१ दिसम्बर २०१३

जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने देशवासियों के नाम नए साल के संदेश में कहा है कि इस साल का जुमला होना चाहिए "मैं चुनौती लेता हूं". साथ ही उन्होंने वित्तीय फैसलों में समझदारी और वैकल्पिक ऊर्जा पर ध्यान देने की बात कही.

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तस्वीर: David Gannon/AFP/Getty Images

राष्ट्र के नाम अपने जोशीले संदेश में उन्होंने कहा कि जर्मन आने वाले साल में अपने लक्ष्य पर डटे रहें और राष्ट्र की उन्नति के लिए आगे आएं. उन्होंने कहा किसी भी कामयाबी के पीछे लोगों की व्यक्तिगत 'वचनबद्धता, समर्पण और एकता' का हाथ होता है. मैर्केल ने भरोसा दिलाया कि राष्ट्र निवेश के लिए तैयार है और इससे बेहतर हालात पैदा हो सकते हैं. "लेकिन राजनीति आप सभी देशवासियों के बगैर बहुत कम ही पूरी हो सकती है. हममें से हर एक की छोटे छोटे स्तर पर कामयाबी ही देश को बड़े स्तर पर प्रभावित करती है."

चांसलर के रूप में तीसरे कार्यकाल में मैर्केल का यह नए साल का पहला संदेश है. पहले की तरह इस बार भी उनके संदेश में पारिवारिक एकता और आर्थिक जिम्मेदारियों जैसे पारंपरिक मूल्यों पर जोर दिया गया.

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मैर्केल ने जर्मनी की कामयाबी में यूरोप के महत्व की भी बात कही. उन्होंने कहा, "हमारे देश की कामयाबी यूरोप की कामयाबी पर निर्भर है." पिछले साल यूरोप के यूरो संकट से जूझने के सिलसिले में उन्होंने कहा कि वह जर्मनी को आने वाले साल में अच्छी स्थिति में देखती हैं.

मैर्केल ने कहा कि 2014 में पहला काम होगा यह निर्धारित करना कि हम अपना वित्त आने वाली पीढ़ियों को अच्छी हालत में सौंप सकें. उनके भाषण में आने वाली पीढ़ियों पर ज्यादा जोर रहा. इसके अलावा उन्होंने कहा कि जर्मनी को आने आने वाले साल में ऊर्जा के इस्तेमाल में परिवर्तन पर गौर करना है. लक्ष्य रहेगा परमाणु ऊर्जा से वैकल्पिक ऊर्जा के इस्तेमाल की तरफ बढ़ना.

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यही है वह 'सवाल का निशान' जिसे आप तलाश रहे हैं. इसकी तारीख 31/12 और कोड 4523 हमें भेज दीजिए ईमेल के ज़रिए hindi@dw.de परतस्वीर: Fotolia/Stauke

मैर्केल ने कहा कि उनकी सरकार परिवारों को समाज का दिल मानती है. उनका मकसद है बच्चों और युवाओं को उच्च शिक्षा मुहैया कराना. उन्होंने यह भी याद किया कि आने वाला साल प्रथम विश्व युद्ध का 100वां साल होगा. इसके अलावा दिव्तीय विश्व युद्ध को 75 साल और बर्लिन की दीवार को गिरे हुए 25 साल हो जाएंगे. मैर्केल ने कहा, "कुछ लोगों के ख्वाबों और बहुत से लोगों के प्रयासों से यूरोप लाखों के लिए शांतिपूर्ण जगह बन गया है."

एसएफ/ एमजे (एपी, डीपीए)

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