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पोलियो से आजादी

१३ जनवरी २०१४

सवा अरब की आबादी वाला भारत अब पोलियो मुक्त हो गया है. दो दशकों की कड़ी मेहनत और पोलियो के खिलाफ अभियान के बाद भारत को बड़ी उपलब्धि मिली है. तीन साल में पोलियो का एक भी मामला सामने नहीं आया है.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

भारत को पोलियो मुक्त देश घोषित करने से पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्ल्यूएचओ को इस बात की पुष्टि करनी होगी कि कोई ऐसा मामला तो नहीं जिसका अब तक पता नहीं चल पाया है. आखिरी मामला 2011 में देखा गया था. उस समय साल भर में केवल एक ही मामला दर्ज हुआ था. इसे देखते हुए पिछले साल डब्ल्यूएचओ ने भारत का नाम पोलियो ग्रस्त देशों की सूची से हटा दिया था. हालांकि पड़ोसी देश पाकिस्तान और अफगानिस्तान अब भी बुरी तरह इसकी चपेट में हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन से पोलियो मुक्त प्रमाणपत्र मिलने में अभी थोड़ा समय लगेगा. उम्मीद की जा रही है कि कागजी कार्रवाई के बाद 11 फरवरी को भारत को पोलियो मुक्त घोषित कर दिया जाएगा.

पिछले दो दशक से देश भर में लाखों स्वयंसेवक, डॉक्टर और चिकित्सा कर्मचारी लगातार पोलियो के खिलाफ काम कर रहे हैं और उसके बाद लक्ष्य पूरा हो पाया है. घर घर जा कर इस बात की पुष्टि की जाती रही है कि तीन साल से कम उम्र वाले बच्चों को टीके की खुराक नियमित रूप से मिल रही हो. 2009 में देश में 741 मामले दर्ज किए गए थे, जबकि 2010 में ये घटकर 42 हो गए और इसके अगले साल केवल एक ही मामला सामने आया.

दोबारा ना फैल पाए

1990 के दशक में भारत में पोलियो के खिलाफ युद्धस्तर पर टीका अभियान चलाया गया. इस काम में संयुक्त राष्ट्र ने भारत सरकार और सामाजिक संस्थाओं की मदद की. इसका नतीजा आज पोलियो मुक्त भारत के रूप में सामने आया है. यूनीसेफ में पोलियो ऑपरेशन की प्रमुख निकोल डॉयच इस कामयाबी को पोलियो के खिलाफ जंग में ''मील का पत्थर'' बताती हैं.

स्वास्थ्य कर्मचारियों और सरकारी पहल के बाद भारत तो पोलियो के खिलाफ जीत हासिल कर सका है लेकिन दुनिया के कुछ ऐसे भी देश हैं जहां पोलियो पर काबू नहीं पाया जा सका है. पाकिस्तान में पोलियो के खिलाफ काम कर रहे डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मचारियों पर हमले का खतरा बना रहता है.

साल 2013 में सीरिया और हॉर्न ऑफ अफ्रीका में पोलियो के मामले बढ़े हैं.

भारत ने पोलियो को दोबारा आने से रोकने के लिए यात्रा नियमों में कड़ाई की है. देश में दोबारा वायरस ना फैले इसके लिए पाकिस्तान से आने वाले यात्रियों की कड़ाई से जांच की जा रही है. पिछले महीने भारत ने एलान किया कि पाकिस्तान से आने वाले लोगों को सबूत दिखाने होंगे कि उन्हें छह हफ्ते पहले पोलियो की खुराक दी गई थी. पोलियो उन्मूलन के खिलाफ पहल करने वाली संस्था वैश्विक पोलियो उन्मूलन ने एक बयान में कहा, "पोलियो के खिलाफ लड़ाई में भारत को एक बार सबसे कठिन देश माना गया था."

देर से आया टीका

पोलियो को टीके की मदद से रोका जा सकता है. हालांकि इस बीमारी की वजह से लकवा या फिर मौत के मामले नाईजीरिया, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में अब भी सामने आ रहे हैं. पोलियो पांच साल से कम उम्र के बच्चों को शिकार बनाता है. दूषित पानी के जरिये पोलियो का वायरस सेंट्रल नर्वस सिस्टम यानि तंत्रिका तंत्र पर हमला करता है जिसकी वजह से लकवा या फिर मौत भी हो जाती है.

इस बीमारी को रोकने में भले ही भारत कामयाब हुआ हो लेकिन भारतीय शहरों में पोलियो के शिकार लोग आसानी से देखे जा सकते हैं. इन लोगों के लिए पोलियो का टीका काफी देर बाद आया. सोनू कुमार को पोलियो ने दस साल की उम्र में जकड़ा था. उस वक्त सोनू की पहुंच पोलियो के टीके तक नहीं थी. कमर के नीचे से अपाहिज सोनू कहते हैं, "मेरे माता पिता बहुत गरीब थे. उनके पास इलाज कराने के लिए पैसे नहीं थे.'' सोनू पश्चिमी दिल्ली के एक मंदिर के बाहर भीख मांगते हैं. चलने फिरने के लिए उन्हें व्हील चेयर का इस्तेमाल करना पड़ता है. कुछ साल पहले सोनू ने टीवी पर पोलियो के इलाज के लिए विज्ञापन देखा. लेकिन डॉक्टरों ने जांच के बाद पाया कि सोनू के लिए बहुत देर हो चुकी थी.

एए/आईबी (एपी, एएफपी)

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