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दुनिया का सबसे संकरा मकान

१७ जनवरी २०१४

क्या दो मकानों के बीच गली जितनी खाली जगह में आम घर जैसी सुविधाओं से लैस तिमंजिला मकान बनाया जा सकता है. पोलैंड की राजधानी में कुछ इंजीनियर ऐसा ही कमाल दिखा रहे हैं.

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तस्वीर: Bastian Jäger, Hamburg, 2013

दो बड़ी इमारतों के बीच ज्यादा से ज्यादा कोई चिमनी या फिर सीढ़ी ही लगाई जा सकती है. लेकिन वॉरसा में सवा मीटर की जगह में तिमंजिला मकान ही बना दिया गया है. केरेट हाउस शायद दुनिया का सबसे संकरा मकान है. पोलैंड के आर्किटेक्ट याकोब श्चेस्नी ने 2012 में इसे तैयार किया. वह कहते हैं, "यह मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी चुनौती थी क्योंकि मैंने पहले कभी इतना संकरा मकान नहीं बनाया था."

पिछले हिस्से से इमारत की चौड़ाई है 122 सेंटीमीटर है और सबसे संकरे हिस्से में सिर्फ 72 सेंटीमीटर. लेकिन रहने के लिए इस घर में सब कुछ मौजूद है. बिस्तर, मेज और आधुनिक किचन के साथ यह छोटा सा घर यह पूरी तरह फर्निश्ड है.

घर या कला

फिलहाल इसे इस्राएली लेखक एटकर केरेट ने पोलैंड में अपना अड्डा बना रखा है. 14.5 वर्गमीटर के इस तिमंजिले घर को वे वारसा में अपना ठिकाना मानते हैं. केरेट की वजह से इस घर का नाम ही केरेट हाउस पड़ गया है. इस पर वे हंसते हुए कहते हैं, "यहां आने से पहले मैं बहुत घबराया हुआ था, मुझे लगा कि यहां तो सांस लेने की जगह भी नहीं होगी, बहुत अंधेरा होगा और मुझे ऐसे लगेगा कि जैसे मुझे एक डिब्बे में बंद कर दिया गया है. लेकिन मुझे यहां अच्छा लगता है. यह डिजाइन ऐसा है कि यहां खूब रोशनी अंदर आती है."

पोलैंड में केरेट हाउस को आधिकारिक तौर पर घर की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता, लिहाजा इसे कला कहा जा रहा है. केरेट कहते हैं, "मुझे इस आइडिया का पता तब चला जब याकोब ने मुझे फोन किया और बताया कि वह पोलैंड में एक बहुत ही संकरा घर बना रहे हैं. वह पोलिश अंदाज में अंग्रेजी बोल रहे थे. मुझे लगा कि यह कोई मजाक है, मेरा कोई दोस्त मुझे बेवकूफ बनाना चाह रहा है."

स्टील का शानदार डिजाइन

याकोब श्चेस्नी वॉरसा के आर्किटेक्टों के समूह सेंट्राला के सदस्य हैं. यह ग्रुप निर्माण में तरह तरह के प्रयोगों के लिए मशहूर है. याकोब ने केरेट हाउस का डिजाइन को पलक झपकते ही बनाया था, लेकिन फिर शुरू हुई सरकारी दफ्तरों की दौड़ भाग. जायदाद, निर्माण संबंधी नियम और पैसा, उन्हें इस सबसे गुजरना पड़ा और 70,000 यूरो बाहर से जुटाने पड़े, "जितना पैसा हम लगा रहे हैं उसका एक तिहाई हमें वॉरसा शहर से मिला. इसका मतलब है कि हमें हाथ में पूरी रकम आए बिना ही काम शुरू करना पड़ा. वह सारा पैसा स्टील कंस्ट्रकशन में ही खत्म हो गया. फिर हम पैसों की तलाश में निकल गए.""

निजी प्रायोजकों ने मदद की. अब घर पोलैंड की कला अकादमी की संपत्ति है. याकोब के मुताबिक एक संकरी गली में निर्माण आसान नहीं था. इसी वजह से घर के लिए स्टील का ढांचा शहर के बाहर एक पार्किंग में तैयार किया गया. फिर इसे गली में हिसाब से बैठाया गया. याकोब कहते हैं, "10 सेंटीमीटर की जगह तो पेंच कसने के लिए भी जरूरी होती ही है. हर चीज बिना मशीन के, बहुत ही संकरी जगह पर हाथ से फिट करनी थी.

बड़े शहरों पर नजर

याकोब भविष्य में भी खाली जगह को घर बनाकर भरने पर काम करना चाहते हैं. केरेट हाउस इसकी शुरुआत भर है, "वॉरसा या दूसरे शहरों जैसे बर्लिन में दो इमारतों के बीच खाली जगह वाले कई इलाके हैं. ये खाली जगह वहां रहने वाले लोगों के लिए बेहतरीन मौके हैं. लेकिन मुश्किल यह है कि ये सस्ता नहीं होगा."

इस्राएली लेखक केरेट अब वॉरसा और तेल अवीव के बीच चक्कर लगाते रहेंगे. केरेट मानते हैं कि यह घर अच्छा है लेकिन इसमें पूरी जिंदगी नहीं रहा जा सकता, "मैं अपने आप को यहां रहते हुए नहीं देख सकता लेकिन मैं इसे वर्किंग स्टूडियो बना सकता हूं, जहां मैं आकर कुछ घंटे लिख और सोच सकूं.

आर्किटेक्ट की मेहनत ने साबित किया है कि दिमाग का दरवाजा खोलकर क्या क्या किया जा सकता है.

रिपोर्ट: उलरिके डोएर/ओ सिंह

संपादन: ईशा भाटिया

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