1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

ईरान से नाखुश सीरियाई विपक्ष

२० जनवरी २०१४

लंबे समय तक हिंसा के बाद शांति वार्ता में हिस्सा लेने को तैयार सीरिया के विपक्ष का कहना है कि अगर ईरान को इसमें शामिल किया गया, तो वह पीछे हट जाएगा.

https://p.dw.com/p/1Athb
तस्वीर: picture-alliance/AA

वार्ता से पहले बुधवार को स्विट्जरलैंड के मोंत्रोए शहर में होने वाले सम्मेलन में शामिल होने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने ईरान को आमंत्रित किया है.

बान ने कहा सीरिया में तीन साल से जारी गृह युद्ध को रोकने के प्रयास में 'सकारात्मक और रचनात्नक' भूमिका निभाने के तेहरान के वादे के बाद उसे शांति वार्ता में शामिल होने की दावत दी गई है. सीरियाई राष्ट्रीय गठबंधन की मांग है कि ईरान को भेजा गया निमंत्रण वापस लिया जाए. ईरान असद सरकार का प्रमुख सहयोगी है, ऐसे में विपक्ष इस सम्मेलन में उसके शामिल होने की बात पर तैयार नहीं है.

शुक्रवार को अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी की अपील के बाद सीरियाई विपक्ष शांति वार्ता में शामिल होने को तैयार हुआ था, लेकिन 48 घंटों के अंदर ही उसने पीछे हटने की धमकी दे दी. असद और सीरियाई विपक्ष के बीच शांति वार्ता इस शुक्रवार जेनेवा में होनी है.

ईरान के शामिल होने के साथ बुधवार को स्विट्जरलैंड के मोंत्रोए में होने वाले सम्मेलन में 40 देश और कुछ क्षेत्रीय संगठन शामिल होंगे, जो सीरिया में शांति बहाली के लिए अब तक का सबसे बड़ा राजनयिक प्रयास होगा. प्रेस कांफ्रेस में बान ने कहा कि उन्होंने ईरान के विदेश मंत्री मुहम्मद जवाद जरीफ के साथ लंबी बातचीत के बाद ईरान को शांति वार्ता में शामिल होने का न्योता भेजा.

उन्होंने कहा, "विदेश मंत्री जरीफ और मैं इस नतीजे पर पहुंचे कि वार्ता का मकसद पारस्परिक सहमति से अंतरिम सरकार की स्थापना है, जिसके पास काम करने के सभी अधिकार हों." संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने यह भी कहा कि जरीफ ने उन्हें बार बार आश्वासन दिलाया है कि अगर वे वार्ता में शामिल होने के लिए आमंत्रित किए जाते हैं तो वे सकारात्कम और रचनात्नक भूमिका निभाएंगे.

सीरियाई राष्ट्रीय गठबंधन के प्रवक्ता बट लोए साफ ने अपने समूह की तरफ से ट्वीट किया कि अगर बान ईरान को न्योता वापस नहीं लेते हैं तो विपक्ष शांति वार्ता में हिस्सा नहीं लेगा.

Iran Fahne Flagge
वार्ता में ईरान के शामिल होने से विपक्ष नाराजतस्वीर: Fotolia/aaastocks

अंतरिम सरकार पर विवाद

30 जून 2012 को जेनेवा में हुए सम्मेलन में अमेरिका और विश्व के अन्य प्रमुख पश्चिमी देशों ने सीरिया में अंतरिम सरकार लाने की साझा घोषणा को स्वीकृति दी थी जिसे ईरान ने स्वीकार करने से इनकार किया था. इसके बाद अमेरिका और अन्य पश्चिमी ताकतें इस सम्मेलन में ईरान के शामिल होने के विरोध में थीं. राष्ट्रपति असद को सैन्य और आर्थिक मदद पहुंचाने वाले ईरान ने संकेत दिए कि वह सीरिया में अंतरिम सरकार बनाने के विचार का समर्थन करता है. इसके बाद अमेरिका ने ईरान से इस बारे में स्पष्टता मांगी थी.

अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता जेन साकी ने कहा, "संयुक्त राष्ट्र महासचिव के ईरान को जेनेवा कांफ्रेंस में आमंत्रित करने की बात को अमेरिका ऐसे देखता है कि जेनेवा साझा घोषणापत्र पूरी तरह लागू करने को ईरान अपना खुला समर्थन देता है." उन्होंने कहा ईरान ने ऐसा पहले कभी नहीं किया है और हम हमेशा से इसकी जरूरत मानते आए हैं.

बान की मून रूस के साथ इस बात का समर्थन करते रहे हैं कि सीरिया संकट पर वार्ता में ईरान को शामिल होना चाहिए. उन्होंने कहा वह तेहरान से इस बारे में किसी तरह के बयान की उम्मीद कर रहे थे. मून ने कहा, "मुझे इस बात का पक्का विश्वास है कि सीरिया संकट से निपटने में ईरान की जरूरत है." बशर सरकार को शांति वार्ता में अपने प्रतिनिधि शामिल करने के लिए राजी करने में अमेरिका और रूस की मुख्य भूमिका रही है. बशर सरकार पहले भी इस प्रस्ताव को टालती रही है.

संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा, "मानवता और सीरिया के भविष्य के लिए हिंसा को रोकना होगा." तीन साल से देश में चल रहे गृह युद्ध में 23 लाख लोग देश छोड़ कर जा चुके हैं और 65 लाख के करीब विस्थापित हो चुके हैं.

एसएफ/एजेए (एएफपी)

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी