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ऑनलाइन होंगे छात्र संघ चुनाव

२१ जनवरी २०१४

पश्चिम बंगाल के कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के छात्र संघ चुनावों में हिंसा का पुराना इतिहास रहा है. लेकिन अब इस हिंसा पर काबू पाने की गंभीर कोशिशें हो रही हैं.

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तस्वीर: DW/Prabhakar Mani Tewari

छात्र संघ के चुनावों में सीपीएम, कांग्रेस और अब तृणमूल कांग्रेस से संबद्ध छात्र संगठनों के बीच वर्चस्व की लड़ाई में अमूनन खून-खराबा होता रहा है. इनमें पुलिस वालों से लेकर छात्रों तक की मौत हो चुकी है. प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय ने भविष्य में छात्र संघ चुनाव ऑनलाइन कराने की योजना बनाई है. वहां इस साल नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया ऑनलाइन थी. देश में छात्र संघ चुनावों के लिए ऑनलाइन होने का यह पहला मौका है. राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों और उनसे संबद्ध कॉलेजों में जनवरी में छात्र संघ चुनाव कराए जा रहे हैं.

ऑनलाइन वोटिंग

प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय में इस साल नामांकन पत्र दाखिल करने की प्रक्रिया ऑनलाइन थी. इसी वजह से जहां पहले इस दौरान भारी हिंसा होती थी, वहीं इस साल पूरी प्रक्रिया शांतिपूर्वक निपट गई. इसे देखते हुए प्रशासन ने अब अगले साल से पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन करने का फैसला किया है. प्रेसीडेंसी के रजिस्ट्रार प्रबीर दासगुप्ता कहते हैं, "अगले साल से छात्र संघ चुनावों की प्रक्रिया पंद्रह दिनों तक चलेगी. इस दौरान छात्र अलग-अलग स्लॉट में वोट डाल सकते हैं. इसके लिए उनको चुनावी वेबसाइट पर लॉग-इन कर वोट डालना होगा. इससे चुनाव संक्षिप्त, पारदर्शी और तनावमुक्त होंगे."

Studenten Protest Gewerkschaft
छात्र संघ चुनाव में सुरक्षा बड़ा मुद्दातस्वीर: DW/Prabhakar Mani Tewari

लेकिन कलकत्ता और यादवपुर विश्वविद्यालय प्रबंधन फिलहाल इसके पक्ष में नहीं हैं. कलकत्ता विश्वविद्यालय के वाइस-चांसलर सुरंजन दास कहते हैं, "प्रेसीडेंसी के मुकाबले हमारे छात्र-छात्राओं की तादाद बहुत ज्यादा है. इसलिए फिलहाल हम ऑनलाइन प्रणाली चालू नहीं कर सकते." प्रेसीडेंसी में ढाई हजार छात्र हैं. लेकिन कलकत्ता व यादवपुर में उनकी तादाद क्रमशः 18 और 10 हजार है. लेकिन इन दोनों विश्वविद्यालयों ने इस साल के चुनाव के बाद इस मुद्दे पर विचार करने की बात कही है.

हिंसक चुनाव

पश्चिम बंगाल में छात्र संघ चुनाव हमेशा हिंसक रहे हैं. पिछले साल एक कॉलेज के चुनाव के दौरान हुई हिंसा में एक पुलिस सब-इंस्पेक्टर की भी मौत हो गई थी. पिछले सप्ताह उत्तर 24-परगना जिले नें चुनावी हिंसा में एक छात्र की मौत हो गई. सीपीएम की अगुवाई वाली वाम मोर्चा सरकार के शासनकाल में जहां ज्यादातर कॉलेजों में छात्र संघों पर स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) का कब्जा था वहीं अब तृणमूल छात्र संघ का प्रभुत्व लगातार बढ़ रहा है.

राज्य सरकार ने पिछले साल हुई हिंसा के बाद छह महीनों के लिए छात्र संघ चुनाव स्थगित कर दिए थे, लेकिन उसने कभी ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू करने की बात नहीं कही. इसकी वजह यह है कि ज्यादातर कॉलेज प्रबंधन समितियां सत्तारूढ़ पार्टी यानी तृणमूल कांग्रेस की करीबी हैं. यह समितियां ऑनलाइन प्रक्रिया के खिलाफ हैं. ज्यादातर कॉलेजों में विपक्षी उम्मीदवारों को नामांकन पत्र ही नहीं लेने दिया जाता. इससे जीत की राह आसान हो जाती है.

अब प्रेसीडेंसी के मामले ने साबित कर दिया है कि नामांकन पत्र लेने व दाखिल करने की प्रक्रिया ऑनलाइन होने पर हिंसा पर काफी हद तक अंकुश लगाया जा सकता है. पहले चुनाव के मुकाबले नामांकन पत्र भरने की प्रकिया के दौरान ही ज्यादा हिंसा होती थी.

छात्र संघों की राय

छात्र संघ चुनावों की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन करने पर छात्र संगठनों में अभी कोई राय नहीं बन पाई है. एसएफआई (सीपीएम), छात्र परिषद (कांग्रेस) और तृणमूल कांग्रेस छात्र परिषद का कहना है कि संबंधित राजनीतिक पार्टियों के साथ विचार-विमर्श के बिना वह इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे. एसएफआई के प्रदेश सचिव देवज्योति दास कहते हैं, "ऑनलाइन प्रणाली लागू करने से पहले यह देखना होगा कि यह कितनी सुरक्षित है. अगर इससे धांधली की आशंका बढ़ती है तो उस पर रोक लगाने के उपायों के बारे में भी सोचना होगा."

लेकिन प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय प्रबंधन को उम्मीद है कि इस प्रणाली को छात्रों का पूरा समर्थन मिलेगा. विश्वविद्यालय की डीन आफ स्टूडेंट्स देवश्रुति रायचौधुरी कहती हैं, "नामांकन पत्र ऑनलाइन लेने और दाखिल करने के प्रति छात्रों ने काफी उत्साह दिखाया है."

छात्र संघ चुनावों को पूरी तरह ऑनलाइन बनाने के प्रस्ताव से पुलिस भी खुश है. एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी कहते हैं, "बंगाल में यह चुनाव शुरू से ही हिंसक होते रहे हैं. इनके ऑनलाइन होने पर हिंसा पर काफी हद तक अंकुश लगाया जा सकता है. इससे हमारा सिरदर्द कम हो जाएगा."

रिपोर्ट: प्रभाकर, कोलकाता

संपादन: महेश झा

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