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लिखने में आलसी भेजें स्माइली

२७ जनवरी २०१४

करोड़ों इंटरनेट यूजर आज कल लिखने के बजाय इमोजीस यानी स्माइली का इस्तेमाल करते हैं. यह ज्यादातर मामलों में समय बचाने के लिए किया जाता है लेकिन सवाल यह है कि क्या वे पारंपरिक भाषा की खात्मे का कारण बन रहे हैं?

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कभी किसी जमाने में इंसान गुफाओं में पेंटिंग करता था. आज हम लकड़ी के कोयले की जगह स्मार्ट फोन का इस्तेमाल करते हैं. वक्त के साथ विषय भी बदल गया है. हाथियों के चित्र, आग या फिर भाला फेंकते लोगों के बदले अब हम कॉमिक आकृति, हवाई जहाज या फिर हाथ पकड़े जोड़े का इस्तेमाल करते हैं. ये छोटे छोटे चिह्न अब हर जगह उपलब्ध है. इन्हें इमोजीस या फिर इमोटिकॉन कहा जाता है, जो चेहरे की अभिव्यक्ति जाहिर करते हैं. इमोजी हर जगह मौजूद हैं. चैट एप्स में भी इमोजी का इस्तेमाल होता है. व्हाट्सएप के अलावा सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक में भी बड़े पैमान पर इसका इस्तेमाल हो रहा है. सिर्फ एप्पल के आईफोन में ही दो करोड़ बार इमोजी डाउनलोड किए गए हैं. बहुत से स्मार्टफोनों में 720 से ज्यादा स्माइली आइकन उपलब्ध हैं. स्मार्टफोन या फिर चैट एप में पारंपरिक स्माइली वाले चेहरे से लेकर दैत्य रूपी या फिर चुलबुले चेहरे वाले आइकन मौजूद हैं.

अभिव्यक्ति के लिए बस एक इमोजी

कुछ भाषाविद् कहते हैं इमोटिकॉन के बढ़ते चलन के कारण लिखित भाषा खत्म हो रही है. वे कहते हैं कि डिजिटल युग के लोग, जो साल 2000 के बाद पैदा हुए हैं, जिनकी जिंदगी में कंप्यूटर और इंटरनेट अहम जगह रखते हैं वे लिखित तौर पर खुद को अभिव्यक्त करने में "आलसी" हैं.

Screenshot von Emojis auf einem Smartphone
भाव प्रकट करने का आसान तरीका

लेकिन सामाजिक मनोवैज्ञानिक टीना गैंस्टर कहती हैं "इमोजी डिजिटल संचार की सीमाओं के बंधन से हटकर रचनात्मक होने का तरीका है."

गैंस्टर के मुताबिक इमोटिकॉन भी वास्तविक जीवन में गैर मौखिक संचार का ही एक विकल्प है. लिखित संदेश में भाव या फिर इशारे व्यक्त कर पाना लगभग असंभव है. गैंस्टर कहती हैं इमोजी ही ऑनलाइन टेक्स्ट में भावना व्यक्त करना का तरीका है. गैंस्टर के मुताबिक, "इन प्रतीकों से हम स्पष्ट करते हैं कि हमारे संदेश का मतलब क्या है. ये चिह्न विडंबना या फिर कटाक्ष व्यक्त कर सकते हैं. इस कारण गलतफहमी पैदा होने की गुंजाइश खत्म हो जाती है."

गैंस्टर कहती हैं, "वास्तविक बातचीत की ही तरह हम डिजिटल संवाद में भी भावनात्मक संबंध बनाना चाहते हैं. इमोजी हमारी मदद कर सकते हैं. डिजिटल तकनीक का इस्तेमाल करते हुए हम इस तरह के संबंध बना सकते हैं." हैनोवर में लाइब्निज यूनिवर्सिटी में भाषाविज्ञानी पेटर श्लोबिंस्की के मुताबिक इमोजी पारंपरिक भाषा के लिए खतरा नहीं है. श्लोबिंस्की कहते हैं, "ऐसा नहीं है कि इन चिह्नों का इस्तमाल हर जगह और हर वक्त होता है. इनका इस्तेमाल खास तरह के संवाद के लिए होता है, जैसा कि टेक्स्ट मैसेजिंग या व्हाट्सएप के लिए."

सबसे ज्यादा क्लासिक इमोजी

emojitracker.com ट्विटर पर किए गए हर ट्वीट को इमोजी के लिए स्कैन करती है. खबर लिखे जाने तक रेड हार्ट पहले नंबर पर है. इस लाल दिल का इस्तेमाल 24 करोड़ 20 लाख बार हो चुका है जबकि खुशी के आंसू दूसरे स्थान पर है. इसका इस्तेमाल 15 करोड़ 30 लाख बार हुआ है. तीसरे स्थान पर मुस्कुराते चेहरे हैं जो 8 करोड़ 60 लाख बार इस्तेमाल किए गए हैं. यह मूल इमोटिकॉन ":-)" के उत्तराधिकारी हैं. 1982 में अमेरिकी कंप्यूटर विज्ञानी स्कॉट फॉलमैन ने इसका आविष्कार किया था.

अलग देश में अलग इमोजी

श्लोबिंस्की कहते हैं इमोटिकॉन का इस्तेमाल लोग भाषा में किफायती होने के लिए करते हैं. वे पूछते हैं कि ट्विटर पर पूरे वाक्य लिखने के बजाय क्यों न हम इमोजी का इस्तेमाल करें जिससे कुछ वर्ण बच जाएंगे. कब और कौन से इमोजी का इस्तेमाल किया जाना चाहिए यह स्थानीय संस्कृति पर निर्भर करता है. गैंस्टर के मुताबिक "उदाहरण के लिए एशिया में इमोजी अलग तरह के दिखते हैं. उनकी आंखें बड़ी होती हैं." गैंस्टर बताती हैं कि जापान और चीन में इमोजी बहुत ही लोकप्रिय हैं क्योंकि उनकी पारंपरिक भाषा शब्दों के बजाय प्रतीकों पर आधारित है.

लेकिन सावधान इमोजी का अलग अलग संस्कृतियों में अलग मतलब निकाला जा सकता है.

रिपोर्ट: यान ब्रुक/एए

संपादन: एएम

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