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कीव में विरोध, लवीव में रसद

४ फ़रवरी २०१४

कोई 500 किलोमीटर दूर राजधानी कीव में प्रदर्शन हो रहे हैं. लोग हफ्तों से बर्फ के बीच सड़कों पर जमे हैं. लेकिन यहां लवीव शहर में उनके लिए खास रणनीति बन रही है, कंबल जुटाए जा रहे हैं.

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तस्वीर: DW/H.Stadnyk

दवाइयां, गर्म कपड़े, कंबल और खाने पीने की चीजों का विशाल भंडार लवीव शहर में जमा किया गया है. दो चर्चों में लोगों ने इन्हें भंडार के शक्ल में जमा कर लिया है. 23 साल की नतालिया कहती है, "यह फ्रंट के लिए सामान है." फ्रंट से उनका मतलब सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों से है, जो कीव में जुटे हैं. एक तरफ प्रदर्शनकारी हैं और दूसरी तरफ सुरक्षाकर्मी.

हालांकि वे लोग कीव में प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन उनमें से ज्यादातर पश्चिमी यूक्रेन के रहने वाले हैं. देश का वह हिस्सा, जो भौगोलिक तौर पर यूरोपीय संघ के करीब है. हर रोज, दर्जनों लोग बसों में भर कर राजधानी की ओर कूच कर रहे हैं, जो वहां न सिर्फ प्रदर्शनकारियों का नैतिक मनोबल बढ़ाते हैं, बल्कि रसद भी सप्लाई कररते हैं.

हर घर कीव में

लवीव के मेयर आंद्रेई सादोवी का कहना है, "इस शहर में शायद ही कोई परिवार होगा, जहां का कोई न कोई सदस्य चौक पर प्रदर्शन में शामिल न हो." यूक्रेनी राजधानी कीव के प्रदर्शनस्थल को मैदान कहा जाता है, जहां एक दशक पहले नारंगी क्रांति भी हुई थी.

थोड़ा दार्शनिक होते हुए सादोवी कहते हैं, "कीव यूक्रेन का दिल है लेकिन लवीव उसकी आत्मा." करीब साढ़े सात लाख की आबादी वाले शहर में लोग काम धंधा छोड़ कर प्रदर्शन के लिए निकल रहे हैं. कुछ जगहों पर तो कर्मचारियों को मुफ्त में छुट्टियां भी दी जा रही हैं. लगता है कि रूस विरोधी प्रदर्शन में लवीव एक साथ खड़ा हो गया है. नवंबर में यूक्रेन के राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच ने रूस के हक में फैसला लेते हुए यूरोपीय संघ के साथ एक संधि तोड़ने का एलान किया था.

Proteste in Kiew Ukraine 3.2.2014
तस्वीर: AFP/Getty Images

संघ के साथ

सादोवी कहते हैं, "यह हमारे लिए एक झटका था. संघ के साथ जुड़ने पर हमारी अर्थव्यवस्था बहुत अच्छी होगी." यूनिवर्सिटी वाले शहर लवीव के लोग राष्ट्रपति के फैसले से दुखी हैं. उन लोगों ने नीली और सफेद पट्टियां लगा ली हैं, जो राष्ट्रीय रंग हैं और जिनके जरिए वे लोग अपना विरोध प्रदर्शित कर रहे हैं. जैकेटों और थैलों पर ये रंग दिख जाएंगे. शहर के कई हिस्सों में यूरोपीय संघ का झंडा भी लहराया जा रहा है.

एक दुकान में सामान बेच रही ओकसाना का कहना है, "हम देख सकते हैं कि यूरोपीय संघ में लोग कितने अच्छे से रह रहे हैं. हमें भी वह चाहिए." ओलेग ने एक वाक्य और जोड़ दिया, "पूर्वी यूक्रेन में ज्यादातर लोग रूसी भाषा बोलते हैं. वे अभी भी सोवियत काल की तरह ही रह रहे हैं." उनका कहना है कि लवीव पर्यटकों की पसंद वाला शहर है और लोग यहां आना चाहते हैं. यहां 2012 में यूरो कप फुटबॉल का मैच भी हुआ था और उसके बाद से सैलानियों की संख्या दोगुनी हो गई है.

प्रदर्शनकारियों के लिए सामान जुटा रही नतालिया कहती है कि बूढ़ी औरतें अपने पास जो कुछ बचा है, सब कुछ दान में दे रही हैं, "उनके पास खुद जीने के लिए बहुत नहीं है." 15 साल की कोल्या का कहना है, "मुझे कीव जाने की इजाजत नहीं लेकिन मैं अपने भाइयों को यहां मदद कर रही हूं." कई चर्चों में रसद और कंबल जमा किए जा रहे हैं. नतालिया कहती हैं, "आंसू गैस से बचने के लिए हमें मास्क चाहिए. उसके अलावा गर्म बूट और दस्ताने भी तो चाहिए." 500 किलोमीटर दूर ही सही, लवीव मुस्तैदी से जुटा है.

एजेए/एएम (डीपीए)

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