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केपलर की अनजान दुनिया

५ फ़रवरी २०१४

साल 2014 शुरू होते ही केपलर ने पांच अनजान ग्रहों को खोज निकाला है. धरती जैसे पिंडों को खोजने के लिए अंतरिक्ष भेजा गया केपलर स्पेसक्राफ्ट काफी सफल रहा है. बस कोई और जीवन वाला ग्रह नहीं खोज पाया है.

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तस्वीर: NASA Ames/JPL-Caltech

जिन पांच नए ग्रहों की खोज की गई है, वे भारी पथरीले ग्रह हैं और उनका द्रव्यमान धरती से 10 से 80 फीसदी बड़ा है. इनमें से दो ग्रह मानव जीवन वाली धरती से करीब 40 फीसदी बड़े हैं. स्पेस डॉट कॉम की खबर के मुताबिक जानकारों ने इन ग्रहों पर जीवन की किसी संभावना से इनकार कर दिया है. उनका कहना है कि ये दोनों ग्रह अपने सूर्यों का चक्कर सिर्फ पांच दिनों में लगा लेते हैं और इस गति से घूर्णन करने वाले पिंडों में जीवन की तलाश मुमकिन नहीं.

धरती से बाहर जीवन तलाशने के लिए अनंत शून्य में भेजा गया केपलर स्पेसक्राफ्ट एक विशालकाय टेलिस्कोप से लैस है और इसने धरती के आकार के अस्सी अरब ग्रहों की जानकारी दी है. लेकिन जहां बात किसी और ग्रह पर पानी या जीवन की आती है, कामयाबी हाथ नहीं लगती.

जर्मनी के पोट्सडाम के खगोल विज्ञानी वैर्नर फॉन ब्लोह का कहना है, "धरती पर पानी, ये जीवन के लिए जरूरी है. अगर किसी दूसरे ग्रह में तापमान शून्य से 100 डिग्री सेल्सियस के बीच हो तो हो सकता है वहां भी पानी द्रव अवस्था में हो. ये जीवन के लिए सकारात्मक हालात हैं."

केपलर बड़ी बारीकी से काम करता है. जब कोई तारा अपने सूर्य के सामने से गुजरता है, तो दोनों की प्रकाशीय टकराव में सूर्य का तेज थोड़ा मद्धिम हो जाता है. प्रकाश में आने वाले इस मामूली बदलाव को केपलर पकड़ लेता है. हालांकि ग्रह अपने सूर्यों के सामने से यूं ही हर रोज नहीं गुजरते.

केपलर ने ब्रह्मांड के ऐसे इलाके को चुना है, जहां वह डेढ़ लाख तारों पर नजर रख सकता है. वहां से किए गए शोध को धरती पर आगे बढ़ाया जाता है. फॉन ब्लोह का कहना है, "मुश्किल यह है कि सौरमंडल के बाहर किसी ग्रह को खोजने में केंद्रीय तारे की चमक आड़े आ जाती है. वे इन तारों को छिपा देते हैं. ऐसे में हम सिर्फ बड़े तारों को देखते हैं, इन ग्रहों को नहीं."

हमारे सौरमंडल जैसा दूसरा सौरमंडल खोज चुके केपलर की समयसीमा मियाद से पहले ही खत्म करनी पड़ रही है क्योंकि इसके पहियों में खराबी आ गई है. लेकिन अब तक यह सौरमंडल से बाहर करीब 135 ग्रहों को खोज कर चुका है. फॉन ब्लेह बताते हैं कि केपलर की खोजों के आधार पर ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि हमारी आकाशगंगा मिल्की वे में करीब 50 अरब ग्रह हैं. इनमें से 50 करोड़ जीवन के लिए मुफीद हो सकते हैं.अगर वहां जीवन बन जाए, तो ग्रहों से ग्रहों के बीच यातायात की व्यवस्था करनी होगी.

एजेए/एएम

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