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मोदी पॉवेल मुलाकात के मायने

११ फ़रवरी २०१४

गुजरात दंगों के लगभग 12 साल बाद नरेंद्र मोदी की अंतरराष्ट्रीय 'अस्पृश्यता' खत्म होती दिख रही है. ब्रिटेन और दूसरे यूरोपीय देशों के बाद अमेरिका ने भी बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार की ओर हाथ बढ़ा दिया है.

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Internationales Drachenfestival 2013 Ahmedabad
तस्वीर: UNI

अमेरिकी राजदूत नैन्सी पॉवेल मोदी से मुलाकात करेंगी. 2002 के गुजरात दंगों के बाद 2005 में मोदी का अमेरिकी वीजा रद्द हो गया था. बाद में उन्हें वीजा नहीं मिला और इसके लिए बार बार इन्हीं दंगों को आधार बनाया गया है. लेकिन भारत में आम चुनाव होने वाले हैं और बीजेपी के नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार हैं. उनके पक्ष में अच्छी खासी हवा चल रही है, जिसे देखते हुए अमेरिका ने उनकी तरफ हाथ बढ़ा दिया है. गुजरात दंगों में 1000 से ज्यादा लोग मारे गए थे.

शायद गुरुवार को होने वाली इस मुलाकात के बारे में अमेरिका का कहना है कि वह भारत के वरिष्ठ राजनीतिक नेताओं और कारोबारियों से मेलजोल बढ़ाने के अपने कार्यक्रम के तहत ऐसा कर रहा है. अमेरिका ने पिछले साल नवंबर में यह कार्यक्रम शुरू किया था. दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास के एक अधिकारी ने कहा, "हम इस मुलाकात की पुष्टि कर सकते हैं." अधिकारी का कहना है कि इन मुलाकातों का मकसद "अमेरिका और भारत के बीच रिश्ते बेहतर बनाना है."

Indien Wahlkampf Narendra Modi
तस्वीर: picture-alliance/dpa

कारोबार का मामला

दोनों देशों के बीच करीब 100 अरब डॉलर का सालाना कारोबार है. अमेरिका के लिए भारत की अहमियत उसकी भौगोलिक स्थिति की वजह से भी बढ़ जाती है. एशिया में चीन सबसे मजबूत देश है और अमेरिका भारत के बल पर उसका मुकाबला भी करना चाहता है. गुजरात और अमेरिका के रिश्ते भी अच्छे रहे हैं. अमेरिकी मोटर कंपनी फोर्ड इस साल गुजरात में एक संयंत्र लगाना चाहती है.

मोदी की तरफ अमेरिकी नरमी के बाद मानवाधिकार ग्रुप और और मुस्लिम संगठन नाराज हो सकते हैं. इन लोगों का दावा है कि 2002 के दंगों को रोकने में मोदी ने जानबूझ कर कोताही बरती और उनके निर्देश पर दंगे ज्यादा भड़के. दंगों में ज्यादातर मुसलमान मारे गए थे. मोदी ने दंगों में किसी तरह का हाथ होने से इनकार किया है और अदालती कार्यवाही में भी अब तक उनके खिलाफ कुछ नहीं मिला है.

वीजा का विवाद

ब्रिटेन ने सबसे पहले मोदी का बहिष्कार खत्म करने का फैसला किया. गुजरात दंगों के बाद से ही ब्रिटेन ने मोदी को दरकिनार रखा था. ब्रिटेन के बाद दूसरे यूरोपीय देशों ने भी दोस्ती बढ़ानी शुरू कर दी. अमेरिकी वाणिज्य दूत ने दो साल पहले मोदी से मुलाकात की. पिछले साल अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल ने भी गुजरात का दौरा किया और उन्हें अपने देश बुलाया. हालांकि अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने मोदी के वीजा के मामले में अब तक दोबारा विचार नहीं किया है.

इस साल जनवरी में भी अमेरिकी की अंतरधार्मिक स्वतंत्रता समिति ने भी कहा कि मोदी को वीजा देने के बारे में विचार नहीं किया जा रहा है.

मोदी से मुलाकात के लिए पॉवेल गुजरात की राजधानी गांधीनगर जाएंगी. वह मोदी के दफ्तर में उनसे मुलाकात करेंगी. अभी यह तय नहीं हुआ है कि दोनों के बीच किन मुद्दों पर बातचीत होगी. भारतीय मीडिया का कहना है कि दोनों के बीच भारत और अमेरिका के रिश्तों पर चर्चा होगी, "मोदी के वीजा पर नहीं". पिछले साल बीजेपी के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने कहा था कि अगर अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा भारत आकर मोदी को वीजा नहीं देते, तो भारत को भी "ओबामा का वीजा रद्द कर देना चाहिए".

एजेए/ओएसजे (पीटीआई, रॉयटर्स)

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