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सीरियाई बच्चों से मिली मलाला

१९ फ़रवरी २०१४

तालिबान के निशाना बनी मलाला यूसुफजई कहती है कि पढ़ाई के मामले में सीरिया के बच्चे उसी अंधेरे वक्त से गुजर रहे हैं, जिससे कभी पाकिस्तानी बच्चों को गुजरना पड़ा.

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Malala Europaparlament Sacharow Preis 2013
तस्वीर: Reuters

पाकिस्तान की छात्रा मलाला महिला शिक्षा की वकालत करती है. 16 साल की मलाला यूसुफजई 2012 में उस वक्त सुर्खियों में आई, जब स्कूल से लौटते हुए पाकिस्तान के स्वात इलाके में तालिबान ने उस पर गोलियां बरसा दीं. मलाला के सिर में गोली लगी. पहले पाकिस्तानी सेना के डॉक्टरों और बाद में ब्रिटेन के अस्पताल में इलाज की वजह से वह पूरी तरह अच्छी हो गई है और दुनिया भर में महिलाओं की शिक्षा का प्रचार करती है.

जॉर्डन के रेगिस्तानी इलाके जातारी में शरणार्थी कैंपों में रह रहे सीरियाई बच्चों से मुलाकात के बाद मलाला ने कहा, "जब मैंने बच्चों को शिक्षा के बिना वहां देखा, तो मेरा दिल टूट गया. वे नंगे पांव गंदी गलियों में दौड़ रहे थे." सीरिया में गृह युद्ध चल रहा है, जिसकी वजह से वहां के लोगों को भागना पड़ रहा है. पड़ोसी मुल्क जॉर्डन के इस शिविर में भी करीब सवा लाख सीरियाई रह रहे हैं, जिनमें से 50,000 की उम्र 16 साल से कम है.

Malala Yousufzai Malala: A Girl from Paradise Dokumentation Pakistan
तस्वीर: Front Line Media

बच्चे और आतंकवाद

मलाला ने यहां के बच्चों से मुलाकात के बाद कहा, "घर में मैंने अपनी आंखों से आतंकवाद देखा है. स्कूलों को उड़ा दिया गया और बच्चों को मार दिया गया. मैं सीरिया संकट में भी लगभग वैसी ही हालत देख रही हूं. बच्चे मारे जा रहे हैं और पिछले तीन साल से बहुत से बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं."

2011 में शुरू हुए सीरिया संघर्ष के बाद लगभग 23 लाख लोगों ने देश छोड़ दिया है और वे पड़ोसी मुल्कों जॉर्डन, तुर्की और इराक में शिविरों में रहने को मजबूर हैं. संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के मुताबिक इनमें से आधे शरणार्थी बच्चे हैं. और उनमें से भी तीन चौथाई की उम्र 12 साल से कम है. यूएन की शरणार्थियों पर ध्यान देने वाली संस्था का कहना है कि बच्चे इस युद्ध से बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं. वे टूटे हुए परिवारों में पल रहे हैं, शिक्षा से दूर हैं और खतरनाक परिस्थितियों में रहने को मजबूर हैं. यूएनएचसीआर के मुताबिक तो कई बच्चों को कमा कर परिवार पालना पड़ रहा है. जातारी में करीब 680 छोटी दुकानें हैं, जिनमें से ज्यादातर बच्चे ही चला रहे हैं.

स्कूल और ग्राउंड

हालांकि यहां संयुक्त राष्ट्र भी स्कूल चला रहा है और बच्चों को खेलने की सुविधा भी दे रहा है. लेकिन बच्चों का कहना है कि उन्हें स्कूल जाने में काफी दिक्कत होती है क्योंकि इसके लिए काफी पैदल चलना पड़ता है. रूढ़िवादी परिवार वाले अपनी बच्चियों पर तो और भी पहरा लगाते हैं. मलाला संयुक्त राष्ट्र की देख रेख में एक फुटबॉल ग्राउंड भी गई और वहां के बच्चों से मिली. उसका कहना है, "दुनिया को पता होना चाहिए कि इन बच्चों की हालत क्या है. मैं भी कभी यह हाल देख चुकी हूं. घर से दूर रहना बहुत मुश्किल होता है."

मलाला ने कहा कि वह सीरियाई लोगों के लिए अभियान चलाएगी. लेकिन फिलहाल तो वह मलाला फंड से इन बच्चों की मदद करना चाहती है. मलाला फंड न्यूयॉर्क में चलता है. उसका कहना है कि वह कुछ टीचरों को नौकरी पर रखना चाहती है और जॉर्डन की राजधानी अम्मान के एक स्कूल की मरम्मत करा कर वहां पढ़ाई शुरू कराना चाहती है.

जातारी में अपने दौरे के लिए मलाला ने अपनी ही उम्र की एक सीरियाई बच्ची मोजोन मलिहान से कहा कि वह शिविर में उसके साथ रहे और उसकी मदद करे. पांच घंटे के बाद 16 साल की मोजोन ने कहा, "मुझे वह बहुत अच्छी लगी और हम दोनों तो बहनों की तरह बन गए हैं."

एजेए/एमजे (एपी)