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फिर फैशन में फर

Anwar Jamal Ashraf१९ फ़रवरी २०१४

फैशन की दुनिया में एक बार फिर से जानवरों के फर का इस्तेमाल बढ़ा है. कैटवॉक पर फर की पूछ हो रही है और इसके साथ ही जानवरों के अधिकार के लिए काम करने वाली संस्थाएं भी सक्रिय हो उठी हैं.

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तस्वीर: Uwe Annas - Fotolia.com

कभी 1990 के दशक में सुपरमॉडल क्लाउडिया शिफर, सिंडी क्रॉफर्ड और नाओमी कैंपबेल ने फर लगे कपड़ों के विरोध में एक प्रदर्शनी की थी, जिसमें कहा गया था, "फर पहनने से बेहतर तो मैं नंगा रहना पसंद करूंगी." उनके इस अभियान को जानवरों के अधिकार के लिए काम करने वाली संस्था पेटा ने प्रायोजित किया था.

दो दशक बाद मिंक और लोमड़ी की खाल और फर से बने कपड़े एक बार फिर फैशन शो में दिखने लगे हैं. मशहूर वेबसाइट फैशनइस्टा के मुताबिक 2013 में सर्दियों की शुरुआत में करीब 70 फीसदी डिजाइनरों ने फर का इस्तेमाल किया. कुछ लोगों का मानना है कि वित्तीय संकट की वजह से भी फर फैशन में लौट रहा है.

यूरोप में फर लॉबी के प्रमुख बो मांड्रेरुप कहते हैं, "अगर आप ऐसी हालत में हैं जहां अर्थव्यवस्था नीचे जा रही है और नेता सिर्फ यह देखने की कोशिश कर रहे हैं कि कैसे इसे सुधारा जाए, नौकरी बचाई जाए, तो ऐसा हो सकता है." पिछले 10 साल में मिंक के फर का उत्पादन दोगुना हुआ है. फिनलैंड की नीलामी संस्था सागा फर के मुताबिक पिछले साल इसकी 6.6 करोड़ खाल का उत्पादन हुआ.

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बाजार के लिए अवैध शिकार भीतस्वीर: Getty Images

चीन बड़ा बाजार

हालांकि हाल के दिनों में चीन में इसका उत्पादन बढ़ा है. लेकिन फिर भी यूरोप पहले नंबर पर बना हुआ है. डेनमार्क में सबसे ज्यादा फर तैयार होता है. पिछले साल करीब 1,400 डैनिश किसानों ने 1.7 अरब यूरो के फर निर्यात किए. ज्यादातर फर चीन गए.

यूरोपीय नियमों के हिसाब से जानवरों को पालने के लिए निश्चित जगह की जरूरत होती है. हालांकि ऑस्ट्रिया में पशु अधिकार के लिए काम करने वाली संस्था फिया फोटेन ने ऐसे वीडियो रिलीज किए हैं, जिनमें यूरोपीय लोमड़ी के फर के उत्पादन के तरीकों पर सवाल उठते हैं. ऑस्ट्रियाई संस्था का कहना है कि जानवरों को प्रताड़ित करने वाली हालत में रखा गया है.

वीडियो में दिखाया गया है कि किस तरह लोमड़ियों की दुम कटी हुई है, जो हो सकता है कि वहां बंद दूसरी लोमड़ियों ने खा ली हो. उनके पास घूमने टहलने की पर्याप्त जगह नहीं है. फिया फोटेन के थोमास पीच कहते हैं, "यह दिखाता है कि जानवरों को ध्यान में रख कर फर फार्मिंग नहीं हो रही है." पशु अधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि 2014 में गैस से मिंक को मारना और लोमड़ियों को बिजली के झटके देकर खत्म करना स्वीकार नहीं किया जा सकता है.

न्यायोचित ठहराने की कोशिश

मांड्रेरुप का कहना है, "कुछ लोग मांस खाते हैं, कुछ नहीं. इसी तरह कुछ लोगों को फर पसंद है, कुछ को नहीं. यह निजी विकल्प का मामला है. जानवरों को इससे फर्क नहीं पड़ता कि उन्हें खाया जा रहा है या उनका फर निकाला जा रहा है."

हाल के दिनों में मार्केटिंग के नए तरीकों से फर का बिजनेस बढ़ा है. अब इसके दूसरे इस्तेमाल भी सामने आने लगे हैं, मिसाल के तौर पर कॉलर, बेल्ट या हुड के तौर पर. रूस और चीन के तेजी से बढ़ते बाजार में फर अब स्टेटस सिंबल बनता जा रहा है. इसकी वजह से मिंक की कीमतें भी तेजी से बढ़ रही हैं. पिछले 20 साल में पहली बार स्वीडन में फर उत्पादन का कारोबार बढ़ा है.

लेकिन इसके साथ ही इस कारोबार का विरोध करने वालों की संख्या भी बढ़ रही है. स्वीडन में इनके फार्म पर हमला किया गया और कुछ फार्म मालिकों को धमकाया गया. स्वीडन के गोथेनबुर्ग में समाजशास्त्र के प्रोफेसर केर्स्टिन जैकबसन का कहना है कि विरोध करने वाले इन फार्मों की तुलना नाजी यातना शिविरों से कर रहे थे, "उन्हें यह बात समझने में दिक्कत हो रही है कि आम तौर पर समाज इस बात को लेकर समझ नहीं रखता."

कुछ देशों ने इस कारोबार में सख्त नियम अपनाए हैं और पशु कार्यकर्ताओं का साथ देने का फैसला किया है. नीदरलैंड्स का कहना है कि 2024 तक यह बिजनेस पूरी तरह बंद कर दिया जाएगा.

एजेए/ओएसजे (एएफपी)