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नाटो की अफगानिस्तान से वापसी की योजना

२७ फ़रवरी २०१४

नाटो के रक्षा मंत्रियों में इस बात को लेकर सहमति बन गई है कि अफगानिस्तान में सैन्य गठबंधन की इस साल पूरी तरह से वापसी को लेकर योजना बनाई जाए. बावजूद इसके नाटो वहां पर सैन्य टुकड़ी रखना चाहती है.

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तस्वीर: picture alliance/dpa

पश्चिमी देशों के सैन्य संगठन नाटो के महासचिव आंदर्स फो रासमुसेन के मुताबिक हामिद करजई के अमेरिका के साथ साझा सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर करने से इनकार के बाद नाटो के लिए भी कोई सहमति की संभावना नहीं दिख रही है. रासमुसेन ने कहा, "आवश्यक कानूनी ढांचे के बिना साफ तौर पर सेना की तैनाती 2014 के बाद नहीं हो सकती. इसलिए आज हम सभी संभावित परिणामों पर सहमत हुए, जिसमें यह भी संभावना है कि हम 2014 के बाद अफगानिस्तान में नाटो की तैनाती नहीं कर पाएंगे. इसका कारण समझौतों को लेकर लगातार हो रही देरी है."

रासमुसेन का यह भी कहना है कि यह वह नतीजा है जिसे नाटो नहीं चाहती. वे कहते हैं, "हमें लगता है कि यह नतीजा अफगान लोगों के हित में नहीं है. हालांकि अगर समय रहते सुरक्षा समझौते नहीं होते है तो दुर्भाग्यपूर्ण परिणाम हो सकते हैं. दांव पर यही है."

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करजई सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर से इनकार कर रहे हैं.तस्वीर: picture-alliance/dpa

इस हफ्ते ही अमेरिका के राष्ट्रपकि बराक ओबामा ने हामिद करजई से फोन पर बात की थी. करजई बार बार सुरक्षा समझौते पर फौरन हस्ताक्षर करने से इनकार कर रहे हैं. अमेरिका ने अफगानिस्तान से सेना वापसी की धमकी दे दिया है. द्विपक्षीय समझौते के तहत प्रस्तावित था कि अमेरिकी और नाटो सैनिकों के अफगानिस्तान से 2014 के अंत में वापसी के बाद भी कुछ सैन्य दल अफगानिस्तान में रह कर आतंकवाद निरोधी अभियानों और सैन्य प्रशिक्षण कार्यक्रमों में अफगानिस्तान की मदद करेंगे.

ऐसा माना जाता है कि समझौते के बाद विदेशी फौजों की वापसी के बाद भी 12000 सैनिक अफगानिस्तान में रुकेंगे. इसे एक गारंटी के तौर पर भी देखा जा रहा है जिसमें कठिन हालात में अमेरिका और नाटो अपना समर्थन देते रहेंगे. बगदाद के साथ सुरक्षा समझौता नहीं होने के बाद वॉशिंगटन ने साल 2011 में इराक से "शून्य विकल्प" के तहत अपने सभी सैनिकों को वापस बुला लिया था. डर इस बात का है कि अगर अफगानिस्तान में भी ऐसा ही कुछ होता है तो तालिबान के लिए दोबारा सत्ता में आने का रास्ता साफ हो जाएगा.

एए/एमजे (एपी,रॉयटर्स, एएफपी)