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यूक्रेन में रूसी सेना भेजने को मंजूरी

१ मार्च २०१४

रूस की संसद के ऊपरी सदन ने यूक्रेन में रूसी सेना भेजने को मंजूरी दे दी है. यूक्रेन के भीतर रूसी सैनिकों की मौजूदगी की खबरें आने पर अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने रूस को यूक्रेन में सैन्य दखल न करने की चेतावनी दी.

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तस्वीर: Sean Gallup/Getty Images

उधर तेजी से बदलते घटनाक्रम में रूसी राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन ने संसद के ऊपरी सदन से यूक्रेन में सैन्य दखल की मंजूरी मांगी. राष्ट्रपति कार्यालय से आई खबरों के मुताबिक उन्होंने संसद से कहा, "यूक्रेन में जारी असाधारण हालात और वहां मौजूद रूसी नागरिकों पर खतरे को देखते हुए, मैं संघीय परिषद से अनुरोध करता हूं कि वे यूक्रेनी सीमा में रूसी सेना के इस्तेमाल को मंजूरी दें." राष्ट्रपति के प्रस्ताव पर संसद के विशेष सत्र के दौरान जमकर बहस हुई.

पश्चिम की चेतावनी

रूसी संसद के फैसले के बाद पश्चिमी देशों ने यूक्रेन के बदलते हालात पर चिंता जताई और सभी पक्षों से आग्रह किया है कि इसे और बिगड़ने से रोकें. जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने तनाव घटाने की अपील की है और कहा, "क्रीमिया पर जो हो रहा है वह अत्यंत चिंताजनक है." जर्मन विदेश मंत्री फ्रांक वाल्टर श्टाइनमायर ने कहा है कि रूस जो कुछ कर रहा है उसे यूक्रेन की संप्रभुता और क्षेत्रीयता अखंडता के पूरी तरह अनुकूल होना चाहिए.

Präsident Russland Wladimir Putin
रूसी राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन ने संसद के ऊपरी सदन से यूक्रेन में सैन्य दखल की मंजूरी मांगी.तस्वीर: DW/B. Riegert

ब्रिटेन के विदेश मंत्री विलियम हेग ने स्थिति को सामान्य बनाने की मांग की है. उन्होंने रूसी विदेश मंत्री सेर्गेई लावरोव से फोन पर बात की और ट्वीट किया, "मैंने विदेश मंत्री लावरोव से बात की और तनाव घटाने तथा यूक्रेन की संप्रभुता और स्वतंत्रता का आदर करने की अपील की."

अमेरिकी राष्ट्पति बराक ओबामा की चेतावनी के बाद फ्रांस, ब्रिटेन और जर्मनी ने क्रीमिया में रूस की सैन्य दखलंदाजी के खिलाफ चेतावनी दी है. इन देशों ने कहा है कि इससे इलाके में भारी अस्थिरता फैलेगी जिसकी बड़ी कीमत होगी. फ्रांस के विदेश मंत्री लॉरां फाबियुस ने बयान जारी कर कहा है, "क्रीमिया से आ रही सैन्य गतिविधियों की खबरों से फ्रांस बेहद चिंतित है."

क्रीमिया में सेना

कई हफ्तों से चले आ रहे हिंसक प्रदर्शनों के बाद रूस समर्थक राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच को पिछले सप्ताह सत्ता छोड़ कर भागना पड़ा. यूक्रेन के नए नेताओं का कहना है कि रूस दक्षिणी क्रीमिया के इलाके पर कब्जा करने की कोशिश कर रहा है. इस इलाके में बहुमत आबादी रूसी लोगों की है. यानुकोविच के जाने के बाद से हिंसा नहीं हुई है लेकिन यूक्रेन के नए नेताओं को क्रीमिया में चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. ये इलाका 1954 तक रूस का हिस्सा था.

Kiew Proteste 18.02.2014
यूक्रेन में पिछले कई हफ्तों हिंसा जारी हैं.तस्वीर: picture-alliance/dpa

यूक्रेन के प्रधानमंत्री आर्सेनी यात्सेनियुक ने शनिवार को आरोप लगाया कि रूस ने इलाके में हजारों सैनिक भेजे हैं. लड़ाकू वर्दी पहने हथियारबंद जवानों ने दो अहम हवाई अड्डों और क्रीमिया की संसद को अपने कब्जे में ले लिया है. इन हथियारबंद जवानों की पहचान नहीं हो सकी है. यूक्रेन की नई सरकार इसे रूसी सैनिकों का कब्जा बता रही है. यूक्रेन के रक्षा मंत्री इगोर तेन्युख ने शनिवार को कहा कि रूस ने तीस बख्तरबंद गाड़ियां और 6000 अतिरिक्त सेना क्रीमिया में भेजी है.

क्रीमिया के रूस समर्थक प्रधानमंत्री ने खुद को इलाके में सभी सैन्य बलों, पुलिस और अन्य सुरक्षा सेवाओं का प्रमुख घोषित कर दिया है. उन्होंने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन से क्षेत्र में शांति स्थापित करने के लिए मदद की मांग की.

इस बीच यूक्रेन में संयुक्त राष्ट्र के राजदूत ने शनिवार को शांति मिशन बीच में ही छोड़ दिया. उन्होंने कहा मौजूदा हालात में क्रीमिया जाना संभव नहीं है. संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने उनसे क्रीमिया जाने का अनुरोध किया था.

एसएफ/एमजे (एएफपी, रॉयटर्स)

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