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चीनी रक्षा बजट से पड़ोसी चिंतित

५ मार्च २०१४

चीन ने रक्षा बजट बढ़ाकर 131.57 अरब डॉलर किया. बीजिंग ने साफ किया है कि वो जल, थल और वायुसेना के लिए हाई टेक हथियार विकसित करेगा. रक्षा बजट से पड़ोसी देश असहज महसूस कर रहे हैं.

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तस्वीर: Reuters

बीते तीन साल में यह रक्षा बजट में चीन का सबसे बड़ा इजाफा है. रक्षा पर अमेरिका के बाद सबसे ज्यादा खर्च करने वाले चीन ने ताजा बजट के जरिए बता दिया है कि वो विवादित इलाकों से अपने पैर पीछे नहीं खींचेगा. इजाफे के बाद चीन का रक्षा बजट भारत का करीब साढ़े तीन गुना हो जाएगा. भारत का रक्षा बजट 36.3 अरब डॉलर है.

हाल ही में चीनी राष्ट्रपति ने सैनिक नेतृत्व से विमानवाही युद्धपोत बनाने के काम में तेजी लाने को भी कहा था. प्रधानमंत्री ली केकियांग ने राष्ट्रीय जन कांग्रेस के अपने भाषण में रक्षा क्षेत्र में रिसर्च के काम को तेज करने का आह्वान किया, "हम विस्तारपूर्वक चीन की सशस्त्र सेनाओं की क्रांतिकारी प्रकृति को बढ़ाएंगे, उन्हें आगे और आधुनिक बनाया जाएगा, प्रदर्शन बेहतर किया जाएगा और सूचना युग के हिसाब से उनकी युद्ध क्षमता बढ़ाई जाएगी." केकियांग ने राष्ट्रीय स्तर पर बेहतर रिसर्च के जरिए नए और हाई टेक हथियार बनाने पर जोर दिया. उन्होंने कहा, "सीमा, तटीय और हवाई सुरक्षा को और बेहतर करना होगा."

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चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंगतस्वीर: picture-alliance/dpa

पड़ोसियों की चिंता

सिडनी के द इंडेपेंडेंट लोवी इंस्टीट्यूट के क्षेत्रीय सुरक्षा विश्लेषक रॉरी मैडकॉफ इसे चीन के पड़ोसियों के लिए चिंताजनक खबर बता रहे हैं, "पड़ोसियों के लिए और खासकर जापान के लिए यह चिंता की बात है." मैडकॉफ के मुताबिक जो लोग यह समझ रहे थे कि नए राष्ट्रपति शी जिनपिंग रक्षा के बजाए घरेलू मसलों पर ज्यादा ध्यान देंगे, उन्हें अब समझ लेना चाहिए कि चीन अपने हितों की रक्षा करना जानता है. इससे पहले चीन ने रक्षा बजट में जोरदार इजाफा 2011 में किया था. तब इसे 12.7 फीसदी बढ़ाया गया. इस बार 12.2 फीसदी की वृद्धि की गई है.

सैन्य बजट बढ़ाने के एलान के कुछ ही घंटों बाद जापान और ताइवान ने चिंता जताई. दोनों देशों के मुताबिक चीनी रक्षा तंत्र के बारे में दुनिया को कोई जानकारी नहीं हैं, ऐसे में रक्षा बजट का बढ़ना चिंताजनक है. टोक्यो में जापानी रक्षा मंत्री योशिहिदे सुगा ने कहा, "चीन के रक्षा बजट की पारदर्शिता हमेशा सवालों में रही है, आम तौर पर ऐसा माना जाता है कि बहुत ज्यादा पैसा सेना पर छुपाकर भी खर्च किया जाता है."

चीन के लगातार बढ़ते रक्षा बजट की गूंज वॉशिंगटन में भी सुनाई पड़ी. मंगलवार को पूर्वी एशिया के लिए जिम्मेदार उप रक्षा मंत्री डेविड हेल्वे ने कहा, "इस बात की चिंता बनी हुई है कि चीन की बढ़ती सेना में पारदर्शिता की कमी है और समुद्री इलाकों में उसका उग्र व्यवहार बढ़ता जा रहा है."

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खुद हथियार बनाने पर जोरतस्वीर: AP

कहां कहां विवाद

बीते छह दशकों से भारत और चीन के बीच सीमा विवाद चला आ रहा है. हाल के बरसों में चीन और जापान का विवाद भी तीखा हो रहा है. पूर्वी चीन सागर के कुछ द्वीपों को लेकर चीन, जापान और दक्षिण कोरिया झगड़ रहे हैं. वहीं 35 लाख वर्गकिलोमीटर के दक्षिण चीन सागर को लेकर भी बींजिंग का फिलीपींस, वियतनाम, मलेशिया, ब्रुनेई और ताइवान से झगड़ा चल रहा है. माना जाता है कि इस इलाके में सागर के नीचे अथाह प्राकृतिक गैस और खनिज तेल है.

लगातार बढ़ते चीनी रक्षा बजट का असर अब सिर्फ पूर्वी और दक्षिण चीन सागर में ही नहीं दिख रहा है, चीन पश्चिमी प्रशांत महासागर और हिंद महासागर में भी पैर पसारना चाह रहा है. इस बात के साफ संकेत मिल रहे हैं कि एशिया में चीन अमेरिकी सेना के पारंपरिक प्रभुत्व को चुनौती देने की स्थिति में पहुंच रहा है. पिछले साल पूर्वी चीन सागर में जापान और दक्षिण कोरिया के साथ हुई तकरार के बाद अब चीन के टोही विमान हर रोज विवादित इलाकों में चक्कर लगा रहे हैं.

एशिया में अमेरिकी सेना की मौजूदगी बढ़ाने की अमेरिकी तैयारियों के बीच चीन भी नई पनडुब्बियां, युद्धपोत, लड़ाकू विमान और हवा में मिसाइल भेदने वाली मिसाइलें बना रहा है.

ओएसजे/एमजे (रॉयटर्स)