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स्वात में रेशम उद्योग की मौत

५ मार्च २०१४

पाकिस्तान का स्विट्जरलैंड कही जाने वाली स्वात घाटी में कभी रेशम उद्योग शिखर पर था. लेकिन तालिबान की वजह से इसकी हालत खस्ता हो गई. फैक्ट्री मालिकों पर लाखों का कर्ज है और कर्मचारियों के पास काम नहीं.

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तस्वीर: DW/Adnan Bacha

तालिबान के आने के पांच साल बाद उत्तर पश्चिम पाकिस्तान की स्वात घाटी में संपन्न रेशम उद्योग गर्त में पहुंच गया. स्वात घाटी में रेशम उद्योग से जुड़े हजारों लोग अब बेरोजगार हैं. शौकत अली जैसे उद्यमियों को इसकी कीमत चुकानी पड़ रही है. अली का परिवार 1960 के दशक में लाहौर से स्वात घाटी आया था. स्वात घाटी में उस वक्त रेशम उद्योग तेजी से फल फूल रहा था. चारों तरफ हरियाली, झरने और बहती धाराओं की वजह से स्वात घाटी को "पाकिस्तान का स्विट्जरलैंड" भी कहा जाता था. रेशम उद्योग की शुरुआत अफगानिस्तान से तस्करी के जरिए लाए कच्चे धागे से हुई. यहां निवेशक सस्ता कच्चा माल और पर्याप्त मात्रा में मजदूरों की मौजूदगी से खिंचे चले आए. जब स्वात में रेशम उद्योग शिखर पर था तब 25 हजार लोगों को रोजगार मिल रहा था. ज्यादातर लोगों का काम कच्चा माल तैयार करना होता था जिसे बाद में कपड़ा फैक्ट्रियों को बेच दिया जाता था. देश के उत्तर पश्चिम भाग में स्थित स्वात ने उत्पादन के क्षेत्र में सफलता की दुर्लभ कहानी लिखी. अली के परिवार को लाभ अच्छा हो रहा था. रेशम की बुनाई के इस्तेमाल में आने वाले करीब 500 कारखानों के मशीनों की देखरेख अली का परिवार ही करता था. लेकिन साल 2007 में तालिबान के आने के बाद सबकुछ बदल गया.

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रेशम उद्योग में अब सिर्फ चार हजार लोग काम करते हैंतस्वीर: DW/Adnan Bacha

तालिबान ने किया बर्बाद

बंद पड़ी वर्कशॉप के बाहर अली कहते हैं, "तालिबान के आने के पहले तक मैं हर महीने 80,000 रुपये कमाता था. अब उद्योग बर्बाद हो गया है. मेरे पास कुछ भी नहीं है. मेरे ऊपर लाखों का कर्ज है." साल 2007 में स्वात घाटी में तालिबान के आने के अगले दो साल तक तालिबान हथियारों के बल पर इलाके पर राज करता रहा. बीच सड़क पर लोगों को सजा दी जाती. महिलाओं को चाबुक से मारा जाता. हालांकि इसके बाद सैन्य कार्रवाई कर वापस इसे पाने की कोशिश की गई. फैक्ट्री मालिक अली मोहम्मद के मुताबिक, "तालिबान के दौर में करीब 30 फैक्ट्रियां पूरी तरह से बर्बाद हो गई. कई फैक्ट्रियां तो बमबारी में तबाह हो गई या फिर लूट ली गईं." मोहम्मद कहते हैं कि हर फैक्ट्री मालिक अब नुकसान झेल रहा है. निवेशक स्वात घाटी से ज्यादा सुरक्षित माने जाने वाले कराची और लाहौर की तरफ रुख कर गए. फैक्ट्री मालिकों को बेहद कम उम्मीद है कि दोबारा यह उद्योग खड़ा हो पाएगा.

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फैक्ट्री मालिकों पर लाखों का कर्जतस्वीर: DW/Adnan Bacha

स्वात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष अहमद खान कहते हैं कि प्रांतीय सरकार ने रेशम उद्योग को दोबारा जिंदा करने के लिए औद्योगिक क्षेत्र बनाने का वादा किया है लेकिन सिर्फ घोषणा के अलावा सरकार ने व्यावहारिक तौर पर कुछ नहीं किया. खान का कहना है कि रेशम उद्योग में अब सिर्फ चार हजार लोग ही काम करते हैं. सरकारी अधिकारियों का कहना है कि स्वात में औद्योगिक क्षेत्र की स्थापना के लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया जारी है.

एए/एएम (एएफपी)

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