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मुशर्रफ के वकील को जान की धमकी

५ मार्च २०१४

पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ पर देशद्रोह के आरोपों के खिलाफ पैरवी कर रहे वकीलों को जान से मारने की धमकी मिली है. साथ ही मुशर्रफ ने कोर्ट से विदेश में इलाज की भी अनुमति मांगी है.

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Pakistan Pervez Musharraf
तस्वीर: picture-alliance/dpa

पूर्व तानाशाह परवेज मुशर्रफ के वकीलों ने कोर्ट से मांग की है कि धमकी को देखते हुए सुनवाई की जगह बदली जाए. इसके साथ ही उन्होंने मांग की है कि मुशर्रफ को इलाज के लिए विदेश जाने की इजाजत दी जाए. पिछले महीने देशद्रोह के मुकदमे में पेश होने वाले मुशर्रफ पाकिस्तान के पहले सेना प्रमुख बने. मुशर्रफ ने नवंबर 2007 में पाकिस्तान में आपातकाल लगाया. उस वक्त परवेज मुशर्रफ राष्ट्रपति थे. अभियोजन पक्ष का आरोप है कि मुशर्रफ ने आपातकाल लगाकर संविधान के अनुच्छेद छह का उल्लंघन किया है. 70 साल के मुशर्रफ पर इसी वजह से देशद्रोह का मुकदमा चलाया जा रहा है.

वकील अहमद रजा कसूरी के मुताबिक बचाव पक्ष सोमवार को निचली अदालत परिसर में हुई गोलीबारी और बम हमले में 11 लोगों की मौत से अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित है. बचाव पक्ष सुनवाई के लिए दूसरी जगह की मांग कर रहा है.

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मुशर्रफ का केस लड़ने वाले वकीलतस्वीर: Shakoor Raheem

उन्हें और उनकी टीम को मिली धमकी भरी चिट्ठी पढ़ने के पहले कसूरी ने कहा, "इन हालात में हम मामले की पैरवी नहीं कर सकते." हाथ से लिखी धमकी भरी चिट्ठी में कहा गया है, "प्रिय महोदय, हम आपसे गुजारिश करते हैं कि आप तीनों मुशर्रफ की तरफ से पैरवी न करें, नहीं तो हम आपके बच्चों को बर्बाद कर देंगे. आपका सिर कलम कर देंगे." चिट्ठी में मुशर्रफ का वर्णन "यहूदी या फिर ईसाई" के तौर पर किया गया है. चिट्ठी के आखिरी में लिखा है, "अरबों डॉलर कमाकर मुशर्रफ दुनिया के सबसे अमीर शख्स बन गए. उन्हें पाकिस्तान आने की क्या जरूरत थी? उन्हें फांसी होनी चाहिए. वे काफिर, पाखंडी हैं और आप उनकी पैरवी करना बंद करे नहीं तो जंग के लिए तैयार रहे."

चिट्ठी के अंत में हस्ताक्षर "दक्षिण और उत्तर वजिरिस्तान की जनता" के नाम से किया गया है. लेकिन चिट्ठी की प्रामाणिकता सत्यापित नहीं हो पाई है. 1999 से 2008 तक पाकिस्तान पर हुकूमत करने वाले मुशर्रफ पर कई मुकदमे चल रहे हैं. इन्हीं मुकदमों की वजह से वो 2008 के बाद ब्रिटेन में रहने लगे थे. कट्टरपंथी मुशर्रफ के खिलाफ कड़ा रुख रखते हैं क्योंकि उन्होंने अमेरिकी मदद से आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई की. मुशर्रफ पर दो बार आत्मघाती हमले की भी कोशिश हो चुकी है. मुशर्रफ के वकीलों ने उनके द्वारा लिखा गया एक आवेदन भी कोर्ट को सौंपा है, जिसमें मुशर्रफ ने अपना इलाज विदेश में कराने और बीमार मां को देखने का जिक्र किया है. मुशर्रफ को दिल की बीमारी है. उनकी 94 वर्षीय मां दुबई में रहती हैं और वो भी कई बीमारियों की चपेट में हैं. कोर्ट इस तरह की पिछली गुजारिश ठुकरा चुकी है. कोर्ट ने मुशर्रफ और उनके वकीलों की अर्जी पर कुछ भी फैसला नहीं सुनाया है. संभावना है कि अगली सुनवाई में इन दोनों मामलों पर कोई फैसला आए.

एए/एएम (एएफपी)

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