1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

कैसे मिले फेयरफोन

६ मार्च २०१४

कलपुर्जे पर्यावरण के अनुकूल हों, तैयार करने वाले मजदूरों के साथ भेदभाव न किया गया हो और बाजार की प्रतिद्वंद्विता में किसी तरह का समझौता न हुआ हो. अगर इन मानकों पर कोई मोबाइल फोन तैयार करना हो, तो क्या यह संभव है.

https://p.dw.com/p/1BKz0
Motorola Moto X Holz Design
तस्वीर: Don Emmert/AFP/Getty Images

डॉयचे वेले की पत्रकार रूथ क्राउजे ने ऐसा ही फोन खोजने की कोशिश की. बर्लिन में रहने वाली क्राउजे को ऐसा मोबाइल चाहिए, "जो टिकाऊ और तकनीकी तौर पर अच्छा हो". वह इसके लिए सुझाव लेने जब बर्लिन के बाजार में गईं, तो उन्हें बताया गया कि पक्के तौर पर किसी मोबाइल के बारे में उन्हें पूरी जानकारी नहीं मिल सकती है. अलबत्ता उन्हें नीदरलैंड्स की राजधानी एम्सटरडम के फेयरफोन के बारे में जानकारी जरूर मिली.

रूथ इसकी खोज में जब नीदरलैंड्स पहुंचीं, तो उन्हें बहुत कामयाबी नहीं मिली. कंपनी तो मिली, यह भी जाना कि वह जल्दी ही 25,000 ऐसे फोन बाजार में उतारने वाली है. लेकिन कंपनी उन्हें बहुत ज्यादा भरोसा नहीं दिला पाई. इसके संचार निदेशक टेसा वेरनिन्क का कहना है, "हम फोन के दो खनिज पहचानने में कामयाब रहे, टिन और टांटालूम. ये कांगो गणराज्य से आ रहे हैं. वे ऐसी खान से निकाले जा रहे हैं, जहां विवाद नहीं है, उन्हें सर्टिफिकेट मिला हुआ है. लेकिन दूसरे 28 खनिजों का हम पता नहीं लगा पाए हैं. उद्योग जगत में फिलहाल यह बड़ी समस्या है कि खनिजों के बारे में पता लगाना बहुत मुश्किल हो गया है."

मोबाइल फोन में 30 अलग अलग खनिजों का इस्तेमाल होता है और यह दुनिया के अलग अलग हिस्सों से जुटाई जाती हैं. जानकारों का कहना है कि यही मुश्किल है. पर्यावरण संरक्षण में लगी संस्था जर्मनवॉच की प्रमुख कोरनेलिया हेडेनराइष कहती है, "फेयर चॉकलेट या फेयर कॉफी जैसी चीजों में सिर्फ एक उत्पाद है. लेकिन मोबाइल में 30 धातुएं लगती हैं. इसकी शुरुआत एशिया में कच्चे माल के साथ होती है. जब यह बेकार हो जाता है, तो अफ्रीका में कचरे के तौर पर भेज दिया जाता है." यानी फेयर मोबाइल के लिए सभी 30 फेयर धातुओं की जरूरत है.

China Elektronik Huawei Smartphone
स्मार्टफोनों का बाजार लगातार बढ़ रहा हैतस्वीर: Imago/XINHUA

दुनिया भर में पिछले साल करीब 175 अरब स्मार्टफोन बिके. सिर्फ जर्मनी में दो करोड़ फोनों की बिक्री हुई. यहां हर दूसरे साल लोग अपना मोबाइल बदल लेते हैं. यानी काम कर रहे करोड़ों फोनों को फेंक दिया जाता है. हेडेनराइष के मुताबिक, "किसी भी डिवाइस को ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करने की कोशिश होनी चाहिए. ऐसा नहीं कि बाजार में कोई नया मॉडल आया, तो उसे फौरन ले लिया जाए. फेयरफोन की मदद से कुछ समस्याओं के हल की कोशिश है."

यानि फिलहाल पूरी तरह से फेयरफोन पाना मुमकिन नहीं दिखता. बेहतर है कि अगर डिवाइस ठीक है और काम करने की हालत में है, तो उसे लंबे वक्त तक इस्तेमाल किया जाए.

एजेए/एएम