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अपनी रसोई से करें बातें

१४ मार्च २०१४

जर्मनी के हनोवर में हुए सेबिट मेले में दुनिया भर की कंपनियों ने नई तकनीक का प्रदर्शन किया. लोगों का ध्यान खींचा बातें करने वाली रसोई ने.

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Kochbot Cebit 2014
तस्वीर: DW/I.Bhatia

आप दफ्तर से थके हारे घर लौटते हैं और अपनी भूख को शांत करने के लिए फटाफट फ्रिज खोलते हैं. पर फ्रिज में कुछ बना हुआ तो रखा नहीं है, बस कुछ टमाटर हैं, एक शिमला मिर्च और दूध. अब भला इसे मिला कर क्या बनाया जाए? आपको सोचने में वक्त बर्बाद करने की जरूरत नहीं है. अपनी रसोई से ही पूछ लीजिए, वह खुद ही आपको इस सवाल का जवाब दे देगी. जी हां, आपकी रसोई आपसे बात कर सकती है.

सेबिट के एक स्टॉल में बनी रसोई में खड़े फ्रेडेरिक आरनॉल्ड भी यही कर रहे हैं. किचन में लगे अपने एंड्रायड टेबलेट से वह नूडल्स और टमाटर के बारे में पूछते हैं और टेबलेट उन्हें रेसिपी की बड़ी सी लिस्ट निकाल कर दे देता है. इनमें से वह एक को चुनते हैं और टेबलेट उन्हें एक एक कर के बताने लगता है कि कब क्या करना है. मजेदार बात यह है कि इस सब में उन्हें एक बार भी अपने टेबलेट को छूने की जरूरत नहीं पड़ती. हाथ तो खाना बनाने में व्यस्त हैं, इसलिए टेबलेट से संपर्क बातचीत से ही हो रहा है. वैसे यही काम उनका स्मार्टफोन भी कर सकता है.

एंड्रॉयड ऐप 'कॉखबोट'

उनकी पूरी रसोई इस एंड्रॉयड ऐप से कुछ इस तरह जुडी हुई है कि बिजली से चलने वाला रसोई का चूल्हा भी खुद ही गर्म हो जाता है. आंच अपने आप तेज और कम होने लगती है. पास्ता बनाते समय जब उन्हें पानी की जरूरत पड़ती है तो वह कप को नल के नीचे ले जाते हैं. नल भी जानता है कि उन्हें ठीक 250 मिलीलीटर पानी की जरूरत है. उनका कप छोटा है और उसमें आधा ही पानी आ पाता है. लेकिन चिंता की कोई बात नहीं. जैसे ही फ्रेडेरिक कप को नल के नीचे से हटाते हैं नल रुक जाता है और पानी को पतीली में डाल कर जब दोबारा नल के पास लाते हैं तो नल बाकी का पानी दे देता है. कुल मिला कर ठीक 250 मिलीलीटर.

यह सब किसी साइंस फिक्शन फिल्म जैसा लगता है. लेकिन सारब्रुकेन यूनिवर्सिटी के फ्रेडेरिक ने अपने दो साथियों के साथ मिलकर इसे हकीकत में कर दिखाया है. इस ऐप का नाम उन्होंने रखा है 'कॉखबोट' यानि 'कुकिंग मेसेंजर'. इस ऐप के लिए इंटरनेट से अलग अलग तरह की रेसिपी जमा की गयी और उनका एक डाटाबेस बनाया गया. कॉखबोट के पास फिलहाल 38,000 रेसिपी हैं और वक्त के साथ इस डाटाबेस को और बढ़ाया जाएगा.

स्मार्टफोन वाला स्मार्ट किचन

कॉलेज के एक प्रोजेक्ट के तहत बनाए गए इस ऐप में जर्मनी के रिसर्च सेंटर फॉर आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (डीएफकेआई) ने काफी रुचि दिखाई है और अब वह इसमें निवेश कर रहा है. हालांकि अभी इसमें और कई बदलाव होने हैं और इसे बाजार में आने में समय लगेगा. डीएफकेआई के यान आलेक्सांडरसन का कहना है कि फिलहाल यह रसोई आंखों से लाचार लोगों के काम की नहीं है. दरअसल इस स्मार्ट किचन का चूल्हा कुछ ऐसा है कि अगर आप बर्तन को खिसका कर कहीं और ले जाएं तो वह उसे पहचान लेता है और दूसरी जगह पर गर्म होने लगता है. ऐसे में अगर कोई बिना देखे वहां हाथ रख दे, तो जलने का खतरा हो सकता है.

Kochbot Cebit 2014
कॉखबोट की मदद से खाना पकाते फ्रेडेरिक आरनॉल्डतस्वीर: DW/I.Bhatia

इस तरह की रसोई की कीमत भी काफी हो सकती है. लेकिन यान आलेक्सांडरसन को इसकी चिंता नहीं है. वह कहते हैं, "कीमत तय करना हमारा काम नहीं है. हमारा काम शोध करना है. जब कंपनियां इसे बनाने लगेंगी तब वे ही सोचेंगी कि ग्राहकों के लिए सही कीमत कैसे तय करनी है." बहरहाल बाजार इसी सिद्धांत पर चल रहा है कि अगर ग्राहकों को जरूरत है, तो वे जेब हल्की करने से नहीं कतराएंगे. ऐसे में इस स्मार्ट किचन का भविष्य अच्छा ही नजर आ रहा है.

रिपोर्ट: ईशा भाटिया, सेबिट, हनोवर

संपादन: आभा मोंढे