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निराश और गुस्से में यूक्रेन

१९ मार्च २०१४

क्रीमिया हाथ से निकल जाने के बाद यूक्रेन के नए नेतृत्व में भारी गुस्सा है और निराशा भी कि वे कुछ नहीं कर पा रहे हैं. हालांकि युवाओं का एक वर्ग समझता है कि यह सच्चाई है और इसके साथ जीने को तैयार होना पड़ेगा.

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तस्वीर: Reuters

यूक्रेन की गैर अनुभवी सरकार इसे अपराध बता रही है. प्रधानमंत्री आर्सेनी यातसेनयुक का कहना है, "यह अंतरराष्ट्रीय स्तर की चोरी है. कोई देश फौज के बल पर आजाद मुल्क में आता है और डाका डाल कर चला जाता है." क्रीमिया के मुद्दे पर यूक्रेन और रूस में फौजी तनातनी भी है और यूक्रेन का दावा है कि मंगलवार को उसके एक सैनिक की जान चली गई.

यातसेनयुक का कहना है कि राजनीतिक विवाद ने सैनिक रूप ले लिया है और "रूसी सेना इसके लिए कसूरवार है". हालांकि उनके बयानों का किसी पर असर नहीं पड़ रहा है और यह यूक्रेन की नाउम्मीदी दिखाता है. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अंतरराष्ट्रीय दबावों से बेपरवाह क्रीमिया को रूस में शामिल करने की बात को ऐतिसाहिक करार दिया है. कीव मोहीला अकादमी में राजनीति शास्त्र के प्रोफेसर ओलेक्सी हारान का कहना है, "वे मांग कर रहे हैं कि संविधान बदल दो, नियम बदल दो, क्रीमिया दे दो. यह उग्र व्यवहार वाले की भाषा है. यह जोसेफ स्टालिन की भाषा है." उनका कहना है कि यूक्रेन ने पश्चिम की बात मानते हुए हिंसा नहीं की, किसी रूसी सैनिक को मारा नहीं.

नागरिकों की चिंता

क्रीमिया में रूसी बहुमत है और यूक्रेन का कहना है कि अगर उनका कोई नागरिक वहां से निकलना चाहता है, तो उसकी व्यवस्था की जाएगी. हालांकि न्याय मंत्री पावेल पेत्रेन्को ने कहा, "मैं क्रीमिया में रह रहे यूक्रेनी लोगों से अपील करता हूं कि वे अपने यूक्रेनी पासपोर्ट न छोड़ें. आप यूक्रेनी नागरिक हैं और कब्जा करने वालों के चंगुल में हैं. लोगों को खुद फैसला करना चाहिए कि क्या वे नागरिकता छोड़ना चाहते हैं और कोई उन पर दबाव नहीं बना सकता है."

हालांकि क्रीमिया को दूसरे तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि बिजली और पानी जैसी सुविधाएं यूक्रेन से मिलती हैं और यूक्रेन इस बात पर अड़ा है कि वह क्रीमिया को रूस का हिस्सा नहीं बनने देगा.

इस घटना के बाद पूर्वी यूक्रेन में भी तनाव शुरू हो गया है, जहां भारी संख्या में रूसी भाषा बोलने वाले लोग रहते हैं. पिछले महीने विक्टर यानुकोविच के सत्ता से हटने के बाद यूक्रेन की संसद ने रूसी भाषा को कम महत्व देने की बात की और उसके बाद से ही रूसी बोलने वाले लोगों में असंतोष बढ़ने लगा है. हालांकि बाद में नए प्रधानमंत्री यातसेनयुक ने कहा है कि रूसी भाषा का सम्मान किया जाएगा, "कोई भी रूसी बोलने के आपके अधिकार का हनन नहीं कर रहा है. मेरी पत्नी तेरिजिया रूसी ही बोलती है. और लाखों यूक्रेनियों की तरह उसे भी क्रेमलिन से सुरक्षा नहीं चाहिए."

एजेए/एएम (एपी)