आयन बीम थेरेपी से कैंसर का इलाज
९ अप्रैल २०१४हाइडेलबर्ग आयन बीम थेरेपी में मरीज पर एक खास तरह की किरणें चमकाई जातीं हैं. एक छल्ले जैसे एक्सेलेरेटर की मदद से आयन यानी नेगेटिव अणुओं की रफ्तार तेज की जाती है और उनकी धारा बनती है. इस धारा से कैंसर के ट्यूमर पर निशाना लगाया जाता है. आयन की धारा ट्यूमर की कोशिकाओं से टक्कर खाती है और आसपास की बीमार कोशिकाओं को मार देती है. स्वस्थ कोशिकाओं को इससे फर्क नहीं पड़ता और इसलिए इस थेरेपी के साइड इफेक्ट कम हैं.
इस तरह के इलाज का इस्तेमाल ब्रेन और प्रोस्टेट कैंसर के लिए भी किया जाता है क्योंकि यह शरीर के ऐसे अंग हैं जो हिलते नहीं. फेंफड़ों पर ऐसा नहीं किया जा सकता. अंग स्थिर रहने से ट्यूमर का निशाना पक्का होता है.
इस इलाज का विकास डार्मश्टाट के हेल्महोल्त्स सेंटर में हुआ. यहां भी आयन की रफ्तार बढ़ाने के लिए खास एक्सेलेरेटर है. सेंटर में काम कर रहीं भौतिकशास्त्री कारोला पोंप्लून कहती हैं, "हम यहां देख सकते हैं कि आयन की धारा कहां से निकल रही है. हमारे लीनियर एक्सेलेरेटर और रिंग एक्सेलेरेटर की मदद से आयन को रोशनी की गति के लगभर 70 प्रतिशत करीब लाया जाता है. आयन की धारा इस खिड़की से निकलती है. यहां मरीज लेटता है और आयन की धारा बिलकुल सटीक तरीके से उसके ट्यूमर में घुसती है और वहां कैंसर की कोशिकाओं को मारती है."
डार्मश्टाट के ट्रीटमेंट सेंटर में 450 मरीजों का इलाज होता है. इस बीच डार्मश्टाट की जगह मरीज हाइडेलबर्ग के अत्याधुनिक केंद्र में अपना इलाज करा रहे हैं.
रिपोर्टः एलीसाबेथ योर्क/एमजी
संपादनः ईशा भाटिया