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इम्यून सिस्टम के राज खोलतीं आंद्रेया

२३ अप्रैल २०१४

जर्मनी की युवा रिसर्चर आंद्रेया अबलासर शरीर की प्रतिरोधी क्षमता पर रिसर्च कर रही हैं. उनके रिसर्च के लिए उन्हें प्रतिष्ठित पॉल एरलिष पुरस्कार से सम्मानित किया गया है.

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Andrea Ablasser
तस्वीर: picture-alliance/dpa

30 की उम्र में ही आंद्रेया ने वह हासिल कर लिया है, जिसके बारे में कई वैज्ञानिक सिर्फ सपने देख सकते हैं. उन्होंने पता लगाया है कि शरीर की प्रतिरोधी क्षमता बीमारी होने का पता कैसे करती है. मेडिकल साइंस में इस पर खासी चर्चा हो रही है. पॉल एरलिष पुरस्कार मिलने से खुश आंद्रेया कहती हैं, "आखिरकार आपको उस नतीजे पर भी खुशी होती है जो इस पुरस्कार के साथ जुड़ी है. मतलब उसके पीछे क्या है, आपकी उपलब्धि, जिसके कारण आपको पुरस्कार मिला है. और इस उपलब्धि की पुष्टि, यह बहुत ही अच्छी भावना है."

युवा मेडिकल रिसर्चर छह साल से बॉन यूनिवर्सिटी में काम कर रही हैं. मेडिकल रिसर्च में उनकी दिलचस्पी पढ़ाई के दौरान शुरू हुई. दरअसल वह कैंसर पर रिसर्च करना चाहती थीं लेकिन रिसर्च गाइड के कहने पर उन्होंने इम्यूनोलॉजी के क्षेत्र में काम करना शुरू किया.

Andrea Ablasser und Michael Reth
तस्वीर: picture-alliance/dpa

बॉन के यूनिवर्सिटी अस्पताल में रिसर्च और मेडिकल प्रैक्टिस साथ साथ चलती है. इससे आंद्रेया को मरीजों के नमूनों पर काम करने और खास बीमारियों की तह तक जाने का मौका मिलता है. उन्होंने स्पेन, इंग्लैंड और अमेरिका में भी रिसर्च की है. हालांकि करियर के लिए उन्होंने अपना घर जर्मनी ही चुना. उनके पास इसकी वजह भी है, "मैं समझती हूं कि जहां तक युवा वैज्ञानिकों के प्रशिक्षण का सवाल है, जर्मनी बदलाव के दौर से गुजर रहा है. मैं समझती हूं कि जर्मन यूनिवर्सिटियों ने और आर्थिक संस्थानों ने समझ लिया है कि युवा रिसर्चरों को करियर की प्लानिंग में शुरू से ही मदद करनी होगी, और उन्हें करियर की संभावना देनी होगी."

शरीर की प्रतिरोधी क्षमता बीमारी के लक्षण को किस तरह पहचान सकती है और उससे कैसे लड़ सकती है? रिसर्च के दौरान आंद्रेया ने एक प्रतिरोधी क्षमता और सेंसर का पता लगाया, जो आस पास की कोशिकाओं को भी खतरे के बारे में आगाह कर देता है. और इसके साथ फौरन प्रतिरोधी कार्रवाई शुरू हो जाती है. आंद्रेया के मुताबिक, "हम जो करते हैं, उसे आप औद्योगिक जासूसी भी कह सकते हैं. हम जानना चाहते हैं कि प्रकृति कैसे काम करती है. और उसके बाद इस तरीके का इस्तेमाल इलाज के लिए करना चाहते है."

जल्द ही वह स्विट्जरलैंड की लूसान यूनिवर्सिटी में रिसर्च शुरू करेंगी. उनके पार्टनर भी वहीं काम करते हैं. आंद्रेया असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर वहां अपना वर्किंग ग्रुप तैयार कर सकेंगी, "एक तरफ तो मैं इसे लेकर खुश हूं और दूसरी तरफ थोड़ा डर भी है. वहां नई जिम्मेदारी है. लेकिन मैं खुश हूं. यह एक मजेदार समय होगा. मजा आएगा."

भविष्य में भी वह कोशिकाओं में प्रतिरोधी क्षमता पर रिसर्च जारी रखेंगी. और पता करेंगी कि कोशिकाओं के भीतर क्या होता है. इस क्षेत्र में बहुत से सवाल अब भी रहस्य बने हुए हैं.

रिपोर्ट: कोर्नेलिया बोरमन/एजेए

संपादन: महेश झा