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शहरों का 3डी मॉडल

१६ जुलाई २०१४

हवाई अड्डे, सड़क, परमाणु बिजलीघर या पवन चक्की लगाने जैसे बड़े प्रोजेक्ट के मामलों में लोग ज्यादा जानकारी की उम्मीद करने लगे हैं. विवादों के कारण अक्सर प्रोजेक्ट लटक जाते हैं और अरबों का नुकसान होता है.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

जानकार इस पर एक राय हैं कि खुले संवाद से विवादों का निबटारा किया जा सकता है. वैज्ञानिक डिजिटल समाधान की वकालत कर रहे हैं. जर्मन शहर डार्मश्टाट के फ्राउनहोफर ग्राफिक डाटा प्रोसेसिंग इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक इस पर काम कर रहे हैं. वे सिटी और लैंडस्केप प्लानिंग की प्रक्रिया को लोगों के लिए आसान बनाना चाहते हैं. इसके लिए उन्होंने एक नया कंप्यूटर प्रोग्राम बनाया है जो शहर के हिस्सों को हूबहू 3डी में दिखाता है. इंस्टीट्यूट में काम करने वाले योआखिम रिक्स के मुताबकि, "इस प्रोजेक्ट के पीछे आइडिया है नागरिकों को इसमें शामिल करना, उन्हें ज्यादा से ज्यादा जानकारी देना, उन्हें अपनी राय देने की संभावना देना. इससे फैसले की प्रक्रिया में मदद मिलेगी और उसे स्वीकार्य बनाने में आसानी होगी."

टच स्क्रीन पर प्लानिंग

योजना तैयार करने और लाइसेंस की प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर जमा हुए डाटा को कंप्यूटर में डालना शोधकर्ताओं के लिए सबसे बड़ी चुनौती थी. डाटा के डिजीटल होने और इंस्टीट्यूट के अपने बड़े सर्वर के कारण यह काम इतना मुश्किल नहीं, सवाल सिर्फ इस्तेमाल होने वाले अलगोरिथम का है. डार्मश्टाट के रिसर्चरों ने ऐसा 3डी मॉडल बनाया है जो हकीकत के बहुत करीब दिखता है. इस काम के लिए दो तरह के डाटा का इस्तेमाल होता है.

मल्टी टच टेबल पर स्क्रीन को स्मार्ट फोन की तरह चलाया जा सकता है. उदाहरण के तौर पर पवन चक्की को अलग अलग जगह फिट कर यह देखा जा सकता है कि वह कहां सही रहेगी. अगर प्लानिंग में गड़बड़ी होती है तो उसे दोबारा दूसरी जगह लगाया जा सकता है. यह सब कुछ 3डी मॉडल की मदद से मुमकिन है.

प्रोजेक्ट शुरू होने के पहले किसी विवाद को सुलझाया जा सकता है. लाखों रुपये भी बचाए जा सकते हैं. योआखिम रिक्स कहते हैं, "मकसद यह है कि सारी सूचना एक जगह लाई जाए. उसके जरिए विवाद की संभावना का पता चले. और उसका समाधान भी निकाला जा सके. हमें लगता है कि यह दिखाकर कि बाद में असली स्थिति कैसी होगी, हम विवाद को कम कर सकते हैं."

इस तरह अनुचित आपत्तियों खारिज की जा सकेंगी और शहरों की प्लानिंग वीडियो गेम की तरह हो जाएगी.

रिपोर्ट: मार्टिन रीबे/एए

संपादन: ईशा भाटिया