रंगबिरंगी रोशनी का त्योहार
पूरे दस दिनों के लिए रंगीन रोशनी में नहाई जर्मनी की राजधानी बर्लिन नई सी लगती है. यह बहुत अच्छा मौका है शहर में घूम कर इतिहास को नए रंगों में देखने का. सैर पर चलिए...
पूरा शहर होता है कला का मंच
बर्लिन का 'फेस्टिवल ऑफ लाइट्स' दुनिया के कुछ सबसे जाने माने रोशनी की कला के आयोजनों में से एक है. सड़कें, चौराहे और सभी ऐतिहासिक स्थल रंगीन रोशनी में घुल कर नए से लगने लगते हैं.
सबसे बड़ा आकर्षण
बर्लिन में रंगीन रोशनियों के त्योहार का यह 10वां साल है. जर्मनी और दुनिया भर से आए कलाकारों ने शहर में अपनी कला को पेश किया है. पिछले साल इसे देखने करीब 20 साख पर्यटक पहुंचे थे.
केवल पर्यटकों के लिए ही नहीं
दूर से आने वालों को तो रंग बिरंगी प्रस्तुति भाती ही है. साथ ही बर्लिन के निवासी भी अपने शहर को एक नए अंदाज में सजा पाते हैं. हुम्बोल्ट यूनिवर्सिटी की ये चमक कोई नजरअंदाज नहीं कर सकता.
बर्लिन की खुली दीवार
25 साल पहले जर्मनी को दो हिस्सों में बांटने वाली यह दीवार अब चटक गुलाबी रंग में दमक रही है.
इतिहास बताते रंगीन वीडियो
बर्लिन के जेंदार्मेनमार्क्ट थिएटर की बाहरी दीवार पर इस इमारत के 200 सालों के इतिहास को फिल्म के जरिए दिखाया जाता है. यह नियो-क्लासिकल वास्तुकला का नमूना है जिसे वास्तुकार कार्ल फ्रीडरीष शिंकेल का मास्टरपीस माना जाता है.
जीती जागती रोशनी
'दि गार्जियन ऑफ टाइम्स' कहलाने वाला चलता फिरता कला का रहस्यमयी नमूना भी एक बड़ा आकर्षण है. राजधानी में हर दिन यह किसी अलग जगह पर प्रकट होता है.
डरना मना है
रोशनी के इस त्योहार में कुछ डरावनी चीजें अचानक आपके सामने आ सकती हैं. मशहूर फिल्म पार्क बाबेल्सबर्ग स्टूडियो के कलाकार भी कई बार किसी हॉरर शो के किरदारों के रुप में दिख जाते हैं.
इससे किसको होता है फायदा?
बर्लिन के पर्यटन उद्योग को होता है सबसे ज्यादा फायदा. मार्केटिंग के एक टूल के रूप में इस आयोजन का इस्तेमाल किया जाता है. 2013 में ही लाइट फेस्टिवल को मीडिया में करीब 1.8 अरब उल्लेख मिले.
सबसे लिए कुछ ना कुछ
19 अक्टूबर तक चलने वाले इस महोत्सव का आनंद आप नदी के रास्ते, साइकिल पर या फिर बग्घी में बैठ कर तो ले ही सकते हैं, गर्म हवा के गुब्बारे में उड़ते हुए भी इसका मजा लिया जा सकता है.