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काजल के लिए अब अंधे नहीं होंगे खरगोश

आभा मोंढे (पीटीआई)१६ अक्टूबर २०१४

श्रृंगार अब किसी और के लिए दर्द का कारण नहीं बनेगा. भारत ने कॉस्मेटिक उत्पादों के लिए पशु परीक्षण पर रोक लगा दी है. जानवरों पर टेस्ट किए कोई भी उत्पाद अब देश में नहीं आ सकेंगे.

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तस्वीर: Ärzte gegen Tierversuche e.V.

इसी के साथ भारत दक्षिण एशिया में कम से कम सौंदर्य प्रसाधन उत्पादों के मामले में क्रूरता मुक्त देश बन गया है. ह्यूमन सोसायटी इंटरनेशनल नाम का गैर सरकारी संगठन आयात रोकने के बारे में कई दिन से अभियान चला रहा था. उन्होंने बताया कि सरकार ने ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स (पांचवा संशोधन) कानून 135बी नाम का एक नया कानून जोड़ा है. इसके बाद ऐसे किसी भी सौंदर्य उत्पाद का देश में आयात नहीं किया जा सकता जिसे बनाने के लिए पशुओं पर प्रयोग किया गया हो.

यह कानून 13 नवंबर से लागू हो जाएगा. इससे पहले 23 मई को देश में सौंदर्य उत्पाद बनाने के लिए पशु परीक्षण पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था.

ह्यूमन सोसायटी इंटरनेशनल ने इस खबर के बाद टिप्पणी में कहा, "यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि है जो सरकार, उपभोक्ताओं और उद्योग की मदद के बगैर संभव नहीं हो सकती थी. हमें पूरा विश्वास है कि अगर दूसरे मामलों में भी पशु प्रयोग रोका जा सके तो भारतीय विज्ञान के आधुनिकीकरण में यह अहम साबित हो सकता है. और बहुत ज्यादा जानवर दर्द और पीड़ा से बच जाएंगे."

भारत से पहले यूरोपीय संघ ने भी ऐसा ही ब्लैंकेट बैन अपने सदस्य देशों के लिए लागू किया था. पशु अधिकारों के लिए काम करने वाले ग्रुप पेटा ने भी इस फैसले का स्वागत किया है.

पेटा में विज्ञान नीति सलाहकार डॉ. चैतन्य कोदुरी ने कहा, "यह पूरी दुनिया को एक संदेश है कि भारत अब शैंपू, मस्कारा या फिर अन्य सौंदर्य उत्पादों के लिए किसी खरगोश को अंधा करना सहन नहीं करेगा. इस फैसले से उस उद्योग को प्रेरणा मिलेगी जो पशुओं पर प्रयोग नहीं करता."

भारत से विपरीत चीन और जापान में सौंदर्य उत्पादों के लिए जानवरों पर टेस्टिंग करना अनिवार्य है.

ह्यूमन सोसायटी इंटरनेशनल, इंडिया में "बी क्रुएल्टी फ्री" नाम के अभियान की मैनेजर आलोकपर्णा सेनगुप्ता ने कहा, "इस ऐतिहासिक प्रतिबंध, जिसमें जानवरों पर प्रयोग के बाद बनाए सौंदर्य उत्पादों का आयात नहीं किया जाएगा, को लागू कर भारत ने दक्षिण एशिया में इतिहास बना दिया है."