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पूर्वोत्तर से इतनी रंजिश क्यों

आमिर अंसारी१७ अक्टूबर २०१४

उत्तर पूर्व के लोगों के साथ भारत के अन्य भागों में एक बार फिर नस्लभेदी अपराध बढ़ गए हैं. बीते कुछ दिनों में बैंगलोर और गुड़गांव में उत्तर पूर्व के लोगों पर संभावित नस्लभेदी हमले हुए हैं.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

पूर्वोत्तर के लोगों पर संभावित नस्लभेदी हमले का एक और मामला सामने आया है. नगालैंड के रहने वाले दो कॉल सेंटर कर्मचारियों को कथित तौर पर रोकने के बाद गुड़गांव के सिकंदरपुर में पिटाई कर दी गई. यह घटना गुरुवार तड़के की है. हमलावरों ने पीड़ितों में से एक कॉल सेंटर कर्मचारी अवांग नेवमेई के बाल भी काट दिए. गुड़गांव के दो अस्पतालों के पीड़ितों को दाखिल करने से इनकार करने के बाद उन्हें गुड़गांव के सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया. नेमई की हालत खराब होने के बाद उसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में शिफ्ट किया गया है.

"शराब को लेकर विवाद"

हालांकि गुड़गांव पुलिस कमिश्नर आलोक मित्तल ने इसे शराब को लेकर विवाद करार दिया है. उनके मुताबिक, "यह शराब को लेकर हुआ बवाल था, न कि नफरत से जुड़ा. छापेमारी जारी है." इससे पहले बैंगलोर में पूर्वोत्तर के तीन छात्रों के साथ भेदभाव और मारपीट की घटना सामने आई थी. नेमई ने बताया कि वह अपने 22 वर्षीय दोस्त अलतो के घर से रात साढ़े बजे निकला था, उसी दौरान छह लोगों ने उसे और उसके दोस्तों को साथ शराब पीने का निमंत्रण दिया.

अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने नेमई के हवाले से लिखा, "उन लोगों ने मुझे मेरे दोस्त को साथ लाने और अन्य दोस्तों को बुलाने को कहा, लेकिन कुछ देर बाद उन लोगों ने हमारी पिटाई शुरू कर दी, मुझे नहीं पता ऐसा क्यों किया, उन्होंने क्रिकेट बैट, हॉकी स्टिक से पिटाई की. मेरे पूरे शरीर पर बेल्ट से मार मारी और दबाव बनाया कि हम शराब पीते रहें. कुछ देर बाद मेरा दोस्त वहां से भागने में कामयाब हो गया. मैं सुबह चार बजे वहां से भागा." नेमई ने बताया कि एक हमलावर ने उससे कहा, “हम चाहते हैं कि तुम सभी नॉर्थ ईस्ट के लोग सिंकदरपुर से चले जाओ.”

कब खत्म होगी नफरत

पुलिस ने 15 लोगों के खिलाफ अवैध तरीके से रोकने और हत्या की कोशिश के तहत मामला दर्ज किया है. पुलिस ने गुरुवार को एक शख्स को हिरासत में लिया. एक स्थानीय निवासी के मुताबिक पीड़ित दो साल से सिंकदरपुर में रहते आए हैं और बीपीओ में काम करते हैं. एक स्थानीय नागरिक ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, "लड़कों को तीन घंटे तक बंधक बनाकर रखा गया और बेरहमी से पिटाई की गई. अलतो को एक रिश्तेदार बचाकर ले गया."

पूर्वोत्तर के लोगों के लिए सपोर्ट सेंटर के ब्रूसके थंगखाल ने कहा, "यह पहली दफा नहीं है कि इस तरह का मामला हुआ हो. छह महीने के भीतर इस इलाके में यह दूसरी घटना है. नाथुपुर और सिकंदरपुर में पूर्वोत्तर के कई लोगों के रहने के बावजूद यहां सीसीटीवी कैमरे नहीं लगे हैं."

भाषा पर लड़ाई

मंगलवार को बैंगलोर में मणिपुर के तीन छात्रों की कन्नड़ नहीं बोलने पर एक रेस्तरां में पिटाई कर दी गई थी. पुलिस ने तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है. पीड़ित छात्र माइकल ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि वह अपने दो दोस्तों के साथ रेस्तरां में बात कर रहा था कि तीन स्थानीय लोग आ धमके, "उन्होंने कहा कि तुम लोग कर्नाटक का खाना खाते हो, कर्नाटक में रहते हो, तुम्हें कन्नड़ बोलनी पड़ेगी. तुम कन्नड़ में बात क्यों नहीं करते? अगर ऐसा नहीं कर सकते तो फिर इस राज्य से भाग जाओ. इसके बाद उन्होंने हमारे ऊपर हमला कर दिया. हम लोग खुद को बचाने लगे." माइकल के हाथ और माथे पर चोट आई है.

पूर्वोत्तर के लोग बड़ी संख्या में दिल्ली, कर्नाटक जैसे अन्य राज्यों में पढ़ाई और रोजगार के लिए जाते हैं लेकिन कई बार उन्हें वहां बाहरी लोगों के तौर पर देखा जाता है.