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प्रेग्नेंसी टेस्ट पर विवाद में बॉक्सिंग इंडिया

समरा फातिमा७ नवम्बर २०१४

विश्व बॉक्सिंग चैंपियनशिप में हिस्सा लेने जा रही 8 भारतीय महिला बॉक्सरों के प्रेग्नेंसी टेस्ट कराए जाने पर बॉक्सिंग इंडिया विवादों में घिर गया है. उल्लेखनीय है कि जूनियर खिलाड़ियों का भी टेस्ट हुआ.

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तस्वीर: AP

इसी महीने कोरिया के जीजू में होने जा रही विश्व मुक्केबाजी चैम्पियनशिप में 10 भारतीय मुक्केबाज हिस्सा लेने जा रही हैं. आठ युवा अविवाहित लड़कियों पर गर्भ परीक्षण किए गए जिसमें कुछ जूनियर खिलाड़ी भी शामिल हैं. इस बात की मानवाधिकार उल्लंघन के तौर पर आलोचना हो रही है.

बॉक्सिंग इंडिया का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय बॉक्सिंग संघ आईबा ने चैंपियनशिप के लिए जो निमंत्रण भेजा है, उसमें साफ तौर पर लिखा है कि सभी प्रतिभागी बॉक्सरों को एक मेडिकल डॉक्टर से 'नॉन प्रेग्नेंसी' फॉर्म लेना होगा. हालांकि गौर करने वाली बात है कि आईबा के नए नियम डॉक्टरी सर्टिफिकेट की मांग तो करते हैं लेकिन खिलाड़ियों का लैब परीक्षण कराए जाने जैसी बात नहीं कही गई है.

आईबा के पुराने नियम के मुताबिक महिला बॉक्सरों को इंटरनेशनल टूर्नामेंटों में भाग लेने के लिए यह हलफनामा देना जरूरी था कि वह गर्भवती नहीं हैं. मगर 31 अगस्त 2014 से इस नियम में थोड़ा बदलाव किया गया. अब महिला बॉक्सरों के लिए डॉक्टरी सर्टिफिकेट देना अनिवार्य कर दिया गया है. इस सर्टिफिकेट में यह जिक्र होना चाहिए कि बॉक्सर प्रेग्नेंट नहीं है. 18 साल से कम उम्र की लड़कियों को अपने और अपने अभिभावक या कानूनी सलाहकार के जरिये सर्टिफिकेट देने की जरूरत होगी कि वे गभर्वती नहीं हैं. नए नियमों के अनुसार मुक्केबाजों का गर्भ परीक्षण कराने का कोई प्रावधान नहीं है.

भारतीय खेल प्राधिकरण साई ने भी इन टेस्ट का विरोध नहीं किया. भारत के स्पोर्ट मेडिसिन महासंघ के अध्यक्ष डा. पीएसएम चंद्रन ने कहा कि बॉक्सिंग इंडिया के कहने पर साई ने ये परीक्षण करवाए. बॉक्सिंग इंडिया का कहना है कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है. इससे पहले कई बार महिला बॉक्सरों को प्रेग्नेंसी टेस्ट कराने पड़े हैं.

डॉक्टर चंद्रन ने बताया कि अधिकारियों ने खुद ही नियमों को समझे बगैर उसे अपने हिसाब से तोड़-मरोड़ लिया और लड़कियों के प्रेग्नेंसी टेस्ट करवा लिए. डॉ चंद्रन का दावा है कि उन्होंने प्रेग्नेंसी टेस्ट किए जाने से पहले अधिकारियों को ऐसा करने से मना भी किया था, लेकिन वे नहीं माने. वह मानते हैं कि यह मानवाधिकारों का हनन है.