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नाटो-रूस संवाद पर लिथुआनिया का वीटो

५ मार्च २००९

नाटो परिषद की बैठक में लगभग सभी देश रूस के साथ संवाद फिर से चालू करने के पक्ष में थे, लेकिन लिथुआनिया की आपत्ति के चलते मामला टल गया.

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हिलैरी की पैरवी काम न आईतस्वीर: NATO

रूस के साथ संबंधों को एक नई गति देने के बारे में नाटो के अधिकांश सदस्यों के बीच सहमति बन चुकी लगती है. उन्हें ख़ासकर अमरीकी विदेश मंत्री हिलैरी क्लिंटन के वक्तव्य से उत्साह मिला है, जिन्होंने आज ब्रसेल्स में नाटो और रूस के बीच संबंधों में एक नए अध्याय की वकालत की. साथ ही उन्होंने कहा कि पूर्व सोवियत संघ के गणराज्य जार्जिया और उक्रेन के लिए नाटो के दरवाज़े खुले रहने चाहिए.

इन प्रयासों को अगर बाधा पहुंची है, तो सोवियत संघ के एक दूसरे पूर्व गणराज्य से. नाटो के विदेश मंत्रियों की बैठक में लिथुआनिया ने एकमात्र देश के रूप में रूस के साथ संबंधों की तुरंत शुरूआत का विरोध किया. चेक विदेश मंत्री कारेल श्वार्त्सेनबैर्ग का कहना था कि बैठक में काफ़ी जानदार बहस हुई. बैठक से पहले नाटो के महासचिव याप दे होप शेफ़र ने कहा था कि ख़ासकर जार्जिया के संदर्भ में नाटो और रूस के बीच जो गंभीर मतभेद कायम हैं, उनसे वे मुंह नहीं चुरा रहे हैं. लेकिन रूस के साथ सामान्य हित हैं. अफ़ग़ानिस्तान ऐसा एक मुद्दा है, और इसके अलावा आतंकवाद का सामना और आमसंहार के अस्त्रों के प्रसार के ख़िलाफ़ संघर्ष दूसरे मुद्दे हैं.

ब्रसेल्स में राजनयिक सूत्रों से प्राप्त संकेतों के अनुसार अमरीकी विदेश मंत्री हिलैरी क्लिंटन रूस के संबंधों में ताज़ापन लाने पर ज़ोर दे रही थीं. दूसरी ओर लिथुआनिया के विदेश मंत्री वीगाउदास उसाकास कहना था कि औपचारिक बातचीत शुरू करने में जल्दबाज़ी ठीक नहीं है. फ़िलहाल यह तय किया गया है कि 19 अगस्त को होने वाली नाटो-रूस परिषद की बैठक टाली जाएगी. वैसे लिथुआनिया के अलावा नाटो के बाक़ी सभी 26 सदस्य देश मान रहे हैं कि अब अफ़ग़ानिस्तान और ईरान जैसे मामलों में रूस के साथ एक नाव पर सवार होना लाज़मी है. लेकिन नाटो परिषद में सर्वसम्मति का सिद्धांत चलता है. ज्ञातव्य है कि यूरोप में मिसाईल प्रतिरोधी प्रणाली की स्थापना रोकने के सिलसिले में अपने पत्र में बैरक ओबामा ने भी ईरान के परमाणु अस्त्र विकास को रोकने के लिए रूस के सहयोग पर ज़ोर दिया है. उन्होंने रूसी राष्ट्रपति मेदवेदेव को इस आशय का पत्र भेजा है.