1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

लाइपजिसः चर्च से चर्चित शहर

शिव प्रसाद जोशी२३ अगस्त २००९

“लाइपसिग चल पड़ा है.” सैक्सोनी प्रांत के इस शहर का ये नारा ये जतलाने के लिए है कि वो खुद को भविष्य का शहर समझता है. और ये उसका ऐतिहासिक हक़ भी है. इसका वर्तमान और इतिहास दोनों अचंभों से भरे हुए हैं.

https://p.dw.com/p/JGet
चर्च से निकली क्रांतितस्वीर: dpa Zentralbild

शहर की रणनीति यही है कि वो अपने जांचे परखे इतिहास को भविष्यवादी विचारों और आने वाले रूझानों में गुम्फित कर दे. सन् 1165 में लाइपसिग को शहर का दर्जा हासिल हुआ था. ये देश का प्रमुख वाणिज्यिक शहर ही नहीं संस्कृति और शिक्षा का अहम केंद्र भी है. लाइपसिग यूनिवर्सिटी का निर्माण 1409 में किया गया था. जर्मन प्रकाशन और किताबों के कारोबार के लिए भी ये शहर मशहूर है. 1912 में लाइपसिग में ही जर्मनी का राष्ट्रीय पुस्तकालय स्थापित किया गया था. साल में दो बार यहां व्यापार मेला लगता है जिसमें भारी संख्या में लोग जुटते हैं.

BdT Licht-Illumination am City-Hochhaus
आधुनिकता का पीछा करता शहरतस्वीर: dpa - Report

शहर की महानगरीयता और उसका कस्बाईपन
शहर का रेलवे स्टेशन एक मिसाल है. यूरोप के सबसे नये और सबसे सुंदर रेलवे स्टेशनों में से एक लाइपसिग का है. फिर से बनाये गए सिटी सेंटर के ये इतना क़रीब है कि आप कूदते फांदते वहां पहुंच सकते हैं. यहां आपकों पुराना मौलिक सिटी हॉल भी दिखेगा और उसका नया रूप भी. और ये नया भी सौ साल पुराना तो है ही.

सिटी सेंटर की विशेषताएं हैं- विभिन्न दुकानें, प्रशासनिक दफ़्तर, सांस्कृतिक प्रतिष्ठान और यूनिवर्सिटी की इमारत. सभी जगहें एक दूसरे से वॉकिंग डिस्टेंस पर हैं. पांच लाख की आबादी वाले शहर में विशाल महानगर सरीखी तमाम सुविधाएं हैं और उसका ले आउट देखिए तो किसी छोटे शहर जैसा है. लाइपसिग का यह एक कमाल है.

600 Jahre Uni Leipzig - Kustodie
यूनिवर्सिटी कैंपस का नज़ारातस्वीर: picture-alliance/ ZB

विराट व्यापार मेले

दुनिया भर से लाइपसिग के मेलों मे जुटने के लिए लोग आते हैं. न्यू मैसे कॉम्प्लेक्स का अभूतपूर्व आर्किटेक्चर एक शानदार व्यवस्था को संभव करा पाता है. प्रदर्शनियों में शामिल भागीदारों और दर्शकों के लिए राहत और स्पेस बनी रहती है. इसी कॉम्प्लेक्स में लाइपसिग का पुस्तक मेला लगता है जिसकी अंतरराष्ट्रीय ख्याति है. किताबें और मीडिया लाइपसिग के इतिहास के अभिन्न हिस्से हैं. महत्त्वपूर्ण जर्मन प्रकाशनों के मुख्य दफ़्तर यहीं हैं. दुनिया का पहला अख़बार सन् 1650 में लाइपसिग से ही छपा था.


सत्ता विरोध का जज़्बा

सैक्सोनी के लोगों को आमतौर पर दोस्ताना और सामाजिक माना जाता है. लेकिन वे कुछ विद्रोही प्रवृत्ति के भी हैं. हाल के इतिहास में इसकी एक मिसाल मिलती है सोमवार की प्रार्थना सभाओं से जिसकी परंपरा लाइपसिग के संत निकोलस चर्च में शुरू हुई थी 1989 में. आखिरकार इन चर्च सभाओं ने पूर्वी जर्मनी के कम्युनिस्ट निजाम के पतन की दिशा तय की थी. सभाएं बाद में कुछ समय और जारी रहीं जब शांतिपूर्ण क्रांति के लिए साप्ताहिक प्रदर्शन किए जाते थे. और जैसे जैसे 1989 का समय नज़दीक आया, ये प्रदर्शन और शक्तिशाली और सघन होते गए. बर्लिन की दीवार को ढहने में शायद और वक़्त लगता अगर लाइपसिग के ये शांत विद्रोही लोग न होते.
लाइपसिग में एक और तरह से विद्रोही तेवर अपना काम करते रहते हैं. लोग सत्ता और सत्ताधारियों का मज़ाक बनाने से नहीं चूकते. राजनैतिक विद्रूप का मखौल उड़ाने की कला लाइपसिग के लोगों को ख़ूब आती है. फिर वे किसी को नहीं बख़्शते. हसंते गाते नाचते वे सत्ता के मंच को अंगूठा दिखाते रहते हैं. और देखने वाले कहते हैं, अरे यह तो कला है.

Porsche baut Panamera in Leipzig
लाइपसिग के दमकते दफ़्तरतस्वीर: AP/Porsche


चर्च का विरोध और चर्च का संगीत

लाइपसिग के लोग संत टोमास चर्च पर ख़ासा गर्व करते हैं. 16वीं सदी के आरंभ में महान सुधारवादी मार्टिन लुथर ने यहां अपना भाषण दिया था- शहर विटेनबर्ग नाम के शहर से सिर्फ पचास किलोमीटर दूर है- वो जगह जहां 1517 में मार्टिन लुथर ने अपना प्रसिद्ध 95 थीसिज़ गढ़ा था जिसमें चर्च और पोप के कट्टरवाद को चुनौती दी गयी थी. पोप की सत्ता के ख़िलाफ़ इस चुनौती ने ही प्रोटेस्टेंट चर्च की स्थापना का रास्ता साफ किया था. संत टोमास चर्च ने दो सौ साल बाद एक बार फ़िर ख्याति बटोरी, इस बार संगीत के ज़रिए, जब महान संगीतज्ञ योहान सेबस्टियन बाख ने चर्च का संगीत रचा.
लाइपसिग इस तरह अपने संगीत अपने कारोबार अपने विद्रोह और अपने प्रतीको को पौंछता धुलता चमकाता हुआ शहर है. बाख के संगीत की करूण और मानवीय सुर लहरियां लाइपसिग पर खुशकिस्मती की तरह बरस रही हैं.

शिव प्रसाद जोशी