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जर्मन संसद में भारतीयों की भागीदारी बढ़ी

२९ सितम्बर २००९

भारतीय मूल के तीन सांसद जर्मन संसद बुंडेसटाग में पहुंचे हैं. एसपीडी के सेबाश्चियन एडाथी ने अपनी सीट सीधे जीती है जबकि ग्रीन पार्टी के जोसेफ़ विंकलर और वामपंथी राजू शर्मा पार्टी सूची से संसद में पहुंचे हैं.

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जीत गए एडाथी

वामपंथी डी लिंके ने भारतीय मूल के वकील राजू शर्मा को श्लेसविष होलश्टाइन प्रांत में अपना उम्मीदवार बनाया था. वह पार्टी की प्रांतीय सूची में दूसरे नंबर पर थे. 1964 में हैम्बर्ग में जन्मे राजू शर्मा ने अपनी कानूनी पढ़ाई मुंबई में भी की है. 1990 से वह वकालत कर रहे हैं और प्रांतीय सरकार में अधिकारी हैं.

जर्मनी के संसदीय चुनावों में इस बार भारतीय मूल के चार उम्मीदवार मैदान में थे. इनमें से दो सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी के सेबाश्चियन एडाथी और ग्रीन पार्टी के जोसेफ़ विंकलर 1998 से ही बुंडेसटाग के सदस्य हैं. एडाथी पिछले चार साल से संसद के ताक़तवर गृह नैतिक आयोग के प्रमुख थे तो विंकलर जर्मन भारत संसदीय ग्रुप के प्रमुख हैं.

Ravindra Gujjula
हार गए गुज्जुलातस्वीर: dpa

एसपीडी के सेबाश्चियन एडाथी ने लोवर सेक्सनी प्रांत में नीएनबुर्ग शाउमबुर्ग की अपनी सीट इस बार भी बचा ली है. इस सीट को वह पहले भी तीन बार सीधे चुनाव में जीत चुके हैं. हालांकि उनकी पार्टी को भारी हार का सामना करना पड़ा है. लेकिन एडाथी को साढ़े 41 फ़ीसदी वोट मिले हैं और वह अपनी सीट जीत गए हैं.

चार साल पहले उनकी एसपीडी पार्टी सत्ता में थी और लोवर सेक्सनी के ही गेरहार्ड श्रोएडर चांसलर थे. तब एडाथी को 51.6 फ़ीसदी मत मिले थे. उनके वोटों में हुई दस प्रतिशत की कमी का लाभ ग्रीन, एफ़डीपी और डी लिंके को मिला है. ये वोट उनके बीच बंटे हैं.

Josef Winkler Die Grünen
ग्रीन के विंकलरतस्वीर: Heiner Kiesel

एसपीडी ने भारतीय मूल के एक और उम्मीदवार को चुनावों में खड़ा किया था. ब्रांडेनबुर्ग प्रांत के विधायक रवींद्र गुज्जुला मैर्किश-ओबरलंड चुनाव क्षेत्र में पार्टी के सीधे उम्मीदवार थे. वह डी लिंके की डागमार एंकेलमन से चुनाव हार गए हैं. उन्हें 22.7 प्रतिशत मत मिले जबकि एंकेलमन को 37 प्रतिशत मत मिले.

ग्रीन पार्टी के जोसेफ़ फ़िलिप विंकलर राइनलंड पलैटिनेट में अपनी पार्टी की सूची में दूसरे स्थान पर हैं. जर्मनी में संसद की सीटों का बंटवारा पार्टियों को मतदान में मिले आनुपातिक मतों के आधार पर होता है. विंकलर अपनी सीट सीधे नहीं जीतते. वह पार्टी की सूची के आधार पर संसद में जाते रहे हैं और इस बार भी चुने गए हैं.

रिपोर्ट: महेश झा

संपादन: ए जमाल