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मन्ना डे को दादा साहब फाल्के अवॉर्ड

३० सितम्बर २००९

भारतीय सिनेमा के गायक मन्ना डे को फिल्म जगत में योगदान के लिये 2007 का दादा साहब फाल्के पुरस्कार दिया गया है. लागा चुनरी में दाग, पूछो न कैसे मैने रैन बिताई उनके कुछ मशहूर गानों में हैं.

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दादा साहब फाल्के

मशहूर गीत 'नन्हे मुन्ने बच्चे तेरी मुट्ठी में क्या है', 'ए मेरी ज़ोहरा जबीं', 'कस्मे वादे प्यार वफ़ा सब बातें हैं बातों का क्या', 'ज़िन्दगी कैसी है पहेली' जैसे गाने मन्ना डे ने गाए हैं. कईं शास्त्रीय संगीत पर आधारित गानों को भी मन्ना डे ने आवाज़ दी है. शास्त्रीय संगीत पर आधारित उम्दा और मज़ेदार गीत किशोर कुमार के साथ पड़ोसन फिल्म में गाया हुआ गाना 'एक चतुर नार बड़ी होशियार' है. उसके अलावा पंडित भीमसेन जोशी के साथ उन्होंने बंसत बहार फ़िल्म में 'केतकी गुलाब जूही चंपक बन फूले' गीत भी गाया है.

दो दशकों तक छाए

90 साल के मन्ना डे ने 1950 से 1970 के बीच प्लेबैक की दुनिया पर राज किया. उन्होंने साढ़े तीन हज़ार गानों को अपनी आवाज़ दी है. मन्ना डे बांग्ला गानों के लिए भी उतने ही मशहूर हैं. मन्ना डे को पद्मश्री और पद्मभूषण से भी सम्मानित किया गया है.

1 मई 1919 में प्रबोध चंद्र राय का कोलकाता में जन्म हुआ और फिर वे बॉलीवुड में मन्ना डे के नाम से मशहूर हुआ. उनके ताऊजी केसी डे का उनके संगीत पर गहरा प्रभाव था. केसी डे एसडी बर्मन के संगीत शिक्षक थे.

भारत के सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने बुधवार को जानकारी देते हुए कहा कि इस हफ़्ते की शुरुआत में इस पांच सदस्यीय समिति ने इस बारे में निर्णय लिया. 90 साल के मन्ना डे को 21 अक्तूबर को यह अवॉर्ड राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल देंगी.

रिपोर्टः एजेंसियां/ आभा मोंढे

संपादनः ए जमाल