यौन अपराध: दो महीनों में होगी सुनवाई
२ जनवरी २०१०हरियाणा के रुचिका गेहरोत्रा मामले के बाद भारत सरकार ने ये अहम बदलाव किए हैं.गुरुवार से ये नए संशोधन लागू कर दिए गए हैं. पीड़ितों के लिए इसमें राहत ये है कि अभी सिर्फ़ राज्य को ही अदालती आदेश के ख़िलाफ़ अपील दायर करने का हक़ था.
केंद्रीय गृह मंत्रालय से जारी संशोधनों में ये भी कहा गया है कि पीड़ितों को सुनवाई में अपने लिए एक वकील रखने का अधिकार भी होगा.
बलात्कार जैसे मामलों में पीड़िता का बयान उसके घर पर लिया जाएगा और हर मुमकिन कोशिश ये की जाएगी की कोई महिला पुलिस अधिकारी उसके बयान ले. और उस समय पीड़िता का कोई परिजन, संरक्षक या सामाजिक कार्यकर्ता मौजूद हो.
बयानों को ऑडियो वीडियो माध्यमों से रिकॉर्ड किए जाने का भी प्रावधान है. दो महीने के भीतर बलात्कार या दूसरी तरह के यौन अपराधों की सुनवाई पूरी की जाएगी.
सीआरपीसी में एक नई धारा 357 ए भी जोड़ दी गई है जिसके तहत हर राज्य सरकार का ये दायित्व होगा कि वो पीड़ित या पीड़िता को मुआवज़े के तौर पर फंड जुटाने के लिए योजना बनाए.
रिपोर्ट: पीटीआई/एस जोशी
संपादन: ओ सिंह